इन्होंने कहा- लालू लाना चाहते थे बुलेट ट्रेन, की थी सवारी, अब कर रहे विरोध
नेता प्रतिपक्ष डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि बुलेट ट्रेन के औचित्य पर सवाल उठाने वाले लालू प्रसाद स्वयं जब रेल मंत्री थे तो जापान में इसकी यात्रा कर चुके हैं। उन्होंने भारत में भी इस प्रोजेक्ट को शुरु करने का निर्णय लिया था और अब इसका विरोध कर रहे।
पटना। नेता प्रतिपक्ष डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि बुलेट ट्रेन के औचित्य पर सवाल उठाने वाले लालू प्रसाद स्वयं 13 और 14 जनवरी 2009 में रेल मंत्री की हैसियत से जापान में इसकी यात्रा कर चुके हैं।
इस यात्रा के बाद उन्होंने भारत में इस प्रोजेक्ट की संभाव्यता का अध्ययन कराने का निर्णय लिया था। कहा कि लालू प्रसाद का बुलेट ट्रेन का विरोध क्या वादा करके भुलाने का उदाहरण नहीं है।
डॉ. कुमार ने कहा कि जनवरी 2009 में रेल मंत्री रहते लालू प्रसाद जापान में टोक्यो से क्योटो तक 300 किलोमीटर की यात्रा बुलेट ट्रेन में की थी। इसके बाद ही रेलवे ने दिल्ली -चंडीगढ़-अमृतसर रूट पर हाई स्पीड ट्रेन कारिडोर पर संभाव्यता अध्ययन के लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किया था।
इसके अतिरिक्त रेलवे ने उन दिनों चार अन्य रूट पुणे-मुंबई-अहमदाबाद, हैदराबाद- विजयवाड़ा-चेन्नई, चेन्नई- बेंगलोर-कोयम्बटूर-अर्णाकुलम और हावड़ा-हल्दिया के बीच हाई स्पीड पैसेंजर रुट्स पर संभाव्यता अध्ययन कराने का निर्णय लिया था।
तब गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, महाराष्ट्र, केरल और पश्चिम बंगाल की सरकारें इस प्रोजेक्ट का साझेदार बनने को तैयार थीं। आज जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतार रहें हैं तो वही लालू प्रसाद इसका विरोध कर रहे हैं। उनका यह विरोध भारत की जनता की समझ से परे है।
डॉ. कुमार ने कहा कि महागठबंधन के नेता सिर्फ गरीब जनता को गुमराह कर सत्ता हासिल करने में माहिर हैं। लालू प्रसाद तो मधेपुरा और मढौरा रेल कारखाने की घोषणा और शिलान्यास करके भूल चुके थे। लालू प्रसाद को तो शुक्रगुजार होना चाहिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का, जिन्होंने रेलमंत्री के रूप में उनकी घोषणाओं को धरातल पर उतारा है।