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बिहार में दो दशक से लगातार हो रहे शिक्षा घोटाले, मंत्री तक जा चुके जेल

बिहार में शिक्षा घोटालों का इतिहास नया नहीं है। 1995 के बीएड डिग्री घोटाले के बाद तो इसका सिलसिला चल पड़ा है। बीएसएससी पेपर लीक कांड उसी की ताजा कड़ी है।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 08:25 PM (IST)Updated: Sat, 25 Feb 2017 10:45 PM (IST)
बिहार में दो दशक से लगातार हो रहे शिक्षा घोटाले, मंत्री तक जा चुके जेल
बिहार में दो दशक से लगातार हो रहे शिक्षा घोटाले, मंत्री तक जा चुके जेल

पटना [जितेन्द्र कुमार]। करीब दो दशक से बिहार में एक के बाद एक शिक्षा घोटाले हुए। बीएड डिग्री घोटाला, कैट पेपर लीक, टीईटी पेपर लीक, इंटर मेधा घोटाला और अब बीएसएससी पेपर लीक कांड सुर्खियों में है। इन घोटालों की नींव 1995 में बीएड डिग्री घोटाले से पड़ी। आइए नजर डालते हैं बिहार के ऐसे चर्चित शिक्षा घोटालों पर।

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बीएड डिग्री घोटाला
मगध और दरभंगा विश्वविद्यालय के माध्यम से 1995 में उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित अन्य राज्यों के बीएड कॉलेजों को मान्यता दी गई। वहां दो से ढाई लाख में बीएड की डिग्री बांटी जाती थी। मामले में बिहार निगरानी ब्यूरो ने 1999 में छह अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की थी।

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इस मामले में तत्कालीन शिक्षा मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव को 2000 में जेल जाना पड़ा था, जबकि शिक्षा राज्य मंत्री रहे जीतनराम मांझी को अग्रिम जमानत मिल गई थी। 25 नवंबर 2005 में एनडीए की पहली सरकार में मांझी ने शपथ ली, लेकिन मुख्यमंत्री को पूर्व के शासन में लगे दाग की खबर लगी तो उन्होंने इस्तीफा ले लिया। बाद में मांझी बरी हो गए।

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मेडिकल प्रवेश परीक्षा पेपर लीक
2002 में मेडिकल प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पेपर लीक मामले में 22 नवंबर 2003 को दिल्ली से डॉ. रंजीत उर्फ सुमन कुमार सिंह को सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था। रंजीत डॉन नाम से प्रसिद्ध यह शिक्षा माफिया नालंदा जिले के हिलसा अनुमंडल के खडीलोदीपुर का मूल निवासी है।

इस मामले में नालंदा निवासी राजीव की गिरफ्तारी हुई थी। राजीव मुंबई में प्रिंटिंग प्रेस से पेपर लीक करता था। सीबीआइ ने मामले में 162 गवाह बनाए, जिसमें 103 की गवाही हो सकी है। यह मामला अंडर ट्रायल है।
40 हजार शिक्षकों की बहाली
बिहार में शिक्षकों की बहाली में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जांच का आदेश पटना हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल 2015 को दिया था। 2011 से 2013 के बीच 94 हजार शिक्षकों की बहाली के लिए वैकेंसी निकाली गई थी, जिसमें 40 हजार फर्जी सर्टिफिकेट जांच के दायरे में हैं। 3000 शिक्षकों से इस्तीफा लिया जा चुका है। हालांकि अभी कार्रवाई बाकी है।

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इंटर मेधा घोटाला
गत वर्ष इंटर के टॉपर घोटाले में विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद अभी तक जेल से बाहर नहीं निकल सके हैं। इस मामले में आरोपी उनकी पत्नी और पूर्व विधायक डॉ. ऊषा सिन्हा जेल से बाहर आ चुकी हैं और मास्टरमाइंड बच्चा राय पर आरोप गठन की प्रक्रिया चल रही है।

बीएसएससी पर्चा लीक घोटाला 

इस वर्ष बीएसएससी पर्चा लीक का मामला उजागर हुआ।मामले में आयोग के तत्कालीन सचिव परमेश्वर राम के अलावा शुक्रवार को अध्यक्ष आइएएस अधिकारी सुधीर कुमार को गिरफ्तार किया गया है। मामले में कई सेटर भी जेल की हवा खा रहे हैं। 


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