बिहार में बरस सकता है काल बैशाखी का कहर, जानें क्या है यह बला और क्या होगा इसका असर
Bihar Weather बिहार में तीन दिनों के अंदर तेजी से बदल सकता है मौसम का मिजाज 11 मार्च तक प्रदेश में आ सकती काल बैशाखी पूर्वा हवा बहने के कारण प्रदेश में आने लगी नमी बनने लगे बादल बिहार में आंधी के साथ हो सकती बारिश
पटना, जागरण संवाददाता। Weather Forecast for Bihar: बिहार का मौसम (Bihar Weather) आजकल काफी तेजी से बदल रहा है। रविवार से पूर्वा हवा बहने के कारण प्रदेश के आकाश में नमी बढ़ने लगी है। इससे वातावरण में बादल बनने लगे हैं। आगामी 11 मार्च को काल बैशाखी (Kaal Baishakhi) बन सकती है। इस दौरान प्रदेश के विभिन्न इलाके में आंधी के साथ बारिश (Rain with thunderstorm) हो सकती है। तेज हवा (strong wind) चलने से रबी की फसलों (Rabi crop) को नुकसान भी हो सकता है।
बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आ रही हवा
पटना मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी संजय कुमार ने कहा कि प्रदेश के मौसम में आए बदलाव के कारण तापमान में थोड़ी वृद्धि हुई है। रविवार से प्रदेश में पूर्वा हवा चलना शुरू कर दी है। हवा अपने साथ बंगाल की खाड़ी से काफी नमी ला रही है। इससे प्रदेश के आकाश में बादल छाने लगे हैं।
रविवार को 32.6 डिग्री रहा अधिकतम तापमान
सोमवार को वातावरण में बादल और बढ़ने की आशंका है। रविवार को राजधानी में अधिकतम तापमान 32.6 एवं न्यूनतम तापमान 15.2 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। राजधानी की हवा में नमी 49 फीसद रिकार्ड की गई। फिलहाल दिन के वक्त तापमान ठीक-ठाक बढ़ जा रहा है, लेकिन सुबह के वक्त हल्की ठंड महसूस की जा रही है।
गया में तापमान सामान्य से अधिक रहा
पटना के अलावा गया में भी तापमान सामान्य से अधिक रिकार्ड किया गया। गया में अधिकतम तापमान 32.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जो सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस है। भागलपुर एवं पूर्णिया में अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहा।
काल बैशाखी की वजह से तेज हवा के साथ होती है बारिश
काल बैशाखी वातावरण में होने वाला एक तेज बदलाव है। इसमें तूफान के साथ तेज बारिश होती है। इस प्रकार के तूफान साधारणत: बंगाल में आते हैं, लेकिन इनकी गति तेज होने पर असर झारखंड और बिहार तक पहुंच जाता है। उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में भी इसका असर होता है। ऐसी बारिश किसानों के लिए काफी नुकसानदेह साबित होती है। पुराने जमाने में कच्चे मकानों को भी ऐसी बारिश से नुकसान होता था। इसी वजह से शायद इसे काल बैशाखी नाम दिया गया।