NRC पर बिहार में मचा बवाल, विपक्ष के साथ ही JDU नेता ने दिया बड़ा बयान, जानिए
बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन विपक्ष ने एनआरसी के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया। विपक्ष के हंगामे के बीच जदयू नेता खुर्शीद आलम ने बड़ा बयान दिया है। जानिए क्या कहा है.
पटना, जेएनएन। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को विपक्ष ने एनआरसी (Natioanl Register Of Citizens) मुद्दे को लेकर सत्तापक्ष पर आरोप लगाए और जमकर हंगामा मचाया। हंगामे के बीच जदयू (JDU) नेता खुर्शीद आलम (Khurshedd Alam) ने एनआरसी (NRC) का समर्थन किया और बड़ा बयान दे डाला।
जदयू नेता ने किया एनआरसी का समर्थन, दिया बड़ा बयान
जदयू (JDU) नेता और बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री खुर्शीद आलम (Minority Welfare Minister Khurshid Alam) ने एनआरसी का समर्थन करते हुए कहा कि "जो भारत के रहने वाले नहीं, उनको भारत में कैसे रहने दिया जा सकता है? क्या हम पाकिस्तान के अवैध लोगों को भारत में रहने की इजाजत दे दें? जो बाहर के हैं, उनको बाहर जाना पड़ेगा। जदयू नेता के इस बयान से बिहार में सियासी सरगर्मी तेज हो सकती है।
ये वही खुर्शीद आलम उर्फ फिरोज अहमद हैं जो कि वर्ष 2017 में सरकार के विश्वास मत के दौरान विधानसभा में जय श्री राम के नारे लगाकर चर्चा में आए थे। वे अपनी बेबाक राय देने के लिए भी जाने जाते हैं।
वेल में आ गए विरोधी
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर मंगलवार को विपक्षी दलों ने विधानसभा में दोनों पाली में जर्बदस्त हंगामा किया। भाकपा (माले) के सदस्यों ने सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही यह मामला उठाया और नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। राजद और कांग्रेस के भी सभी सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए। भाकपा (माले) ने इस सिलसिले में कार्यस्थगन प्रस्ताव भी पेश किया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने नामंजूर कर दिया। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही 12 मिनट बाद ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। दूसरी पाली में भी विपक्ष का हंगामा जारी रहा, परन्तु हंगामे के बीच ही दो विधेयकों को मंजूरी दी गई। इसके अलावा महालेखाकार की रिपोर्ट सदन पटल पर रखी गई। भाकपा (माले) के सदस्यों ने कार्यस्थगन प्रस्ताव मंजूर किए जाने के साथ-साथ बिहार में एनआरसी लागू नहीं किए जाने संबंधी प्रस्ताव विधानसभा से पारित किए जाने की मांग की। मांग का समर्थन विपक्ष के सभी दलों ने किया और इसके पक्ष में वेल में नारेबाजी की।
विजय चौधरी बोले- यह उचित समय नहीं
विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि मामले को उठाने का यह उचित समय नहीं है। अभी प्रश्नकाल का समय है। इससे पूर्व उन्होंने सदन को याद दिलाया कि आज संविधान दिवस है। उन्होंने संविधान दिवस पर सभी को शुभकामनाएं भी दीं। वेल में हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों ने यह नारा भी लगाया-'संविधान की रक्षा कौन करेगा, हम करेंगे, हम करेंगे।' भाकपा(माले) के सदस्यों ने कहा कि भाजपा असम के बाद अब पूरे देश में एनआरसी लागू कराने पर आमादा है। असम के लभगभ 20 लाख लोगों की नागरिकता को खतरे में डाल दिया गया है, जिसमें लगभग 13 लाख हिन्दू हैं। डिटेंशन कैंपों में 28 लोगों के मारे जाने की खबर है। देश की स्वाधीनता के 72 साल बाद जनता से अपनी नागरिकता साबित करने के लिए 1951 या उससे पहले के प्रामाणिक कागजात मांगे जा रहे हैं। दूसरी पाली में भी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही मात्र 30 मिनट ही चली।
एनआरसी मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष में चले बयानों के तीर
वहीं किशनगंज से एआइएमआइएम के एकमात्र विधायक कमरूल होदा ने NRC मुद्दे पर कहा कि इसे बिहार सरकार लागू करे एनआरसी, किशनगंज में कोई भी घुसपैठिया नहीं है, कुछ नहीं मिलेगा। दूसरी ओर जदयू विधायक रवि ज्योति ने कहा कि विरोधियों को एनआरसी की कोई जानकारी नहीं है, वे केवल हंगामा करना जानते हैं। हमारे नेता का जो आदेश होगा, हम वही मानेंगे। इसी मुद्दे पर बीजेपी नेता मनोज शर्मा ने कहा कि विरोधी दल को जानकारी का अभाव है। तो लोजपा के विधायक राजू तिवारी ने कहा कि घुसपैठियों को बाहर का रास्ता दिखाना सही काम है। विरोधियों को देश हित में सोचना चाहिए। यही एनडीए और यूपीए में फर्क है।
एनडीए पर भाजपा को मिला लोजपा का साथ
भाजपा पूरे देश में NRC लागू करने की मांग काफी वक्त से कर रही है। इस मुद्दे पर भाजपा को एनडीए (NDA) की सहयोगी लोजपा (LJP) का भी साथ मिला है। लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने NRC का खुलकर समर्थन किया है और भाजपा की ही तरह इसे पूरे देश में लागू करने की वकालत की है।
जदयू नेता प्रशांत किशोर ने किया था ट्वीट
बता दें कि इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब कहा था कि एनआरसी पूरे देश में लागू करेंगे तो जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और लिखा था कि सरकार पहले बीजेपी शासित राज्यों से इस मामले पर सहमति बनाए। प्रशांत किशोर ने ट्वीट में लिखा था, 15 से अधिक राज्यों में गैर-बीजेपी मुख्यमंत्री हैं और ये ऐसे राज्य हैं जहां देश की 55 फ़ीसदी से अधिक जनसंख्या है। आश्चर्य यह है कि उनमें से कितने लोगों से एनआरसी पर विमर्श किया गया और कितने अपने-अपने राज्यों में इसे लागू करने के लिए तैयार हैं।
भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने दिया था ये जवाब
इसपर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था कि 'सहमति और आम सहमति का क्या सवाल है? NRC से उन्हें निकाला जाएगा जो अवैध हैं। अवैध से किसी को प्रेम क्यों? चाहे सहमति हो या असहमति, अवैध तो अवैध है। उसे देश में रहने का अधिकार नहीं है। भारत कोई धर्मशाला नहीं है।'