Bihar Vidhan Sabha News: नरम पड़े कुशवाहा, खत्म हो जाएगा महागठबंधन में नेतृत्व पर उठा विवाद
महागठबंधन में नेतृत्व का विवाद जल्द सुलझ जाएगा। रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा कह रहे हैं कि बैठक में जिसके नाम पर सहमति होगी उसे वे स्वीकार कर लेंगे।
पटना, जेएनएन। महागठबंधन में नेतृत्व का विवाद जल्द सुलझ जाएगा। उम्मीद है कि बैठक की औपचारिकता के जरिए तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर सहमति बन जाएगी। रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा कह रहे हैं कि बैठक में जिसके नाम पर सहमति होगी, उसे वे स्वीकार कर लेंगे। इस मसले पर कुशवाहा अबतक चुप थे। उन्होंने कहा कि बैठक में हम अपनी राय रखेंगे। अगर हमारी राय खारिज हो गई तो उस हालत में भी हम सहयोगी दलों के फैसले को स्वीकार कर चुनाव मैदान में जाएंगे, क्योंकि राज्य के हित में परिवर्तन बेहद जरूरी है।
मालूम हो कि महागठबंधन के दलों में नेतृत्व के सवाल पर लंबे समय से तकरार जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इसी सवाल पर बिदके हुए हैं। वे हिंदूस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के सामने भी अपनी बात रखी। कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने अल्टीमेटम के तौर पर कई तारीखें तय कीं। महागठबंधन के किसी दल ने नोटिस नहीं लिया, लिहाजा अब वह खुद किनारे हो गए हैं। इधर से कोई उन्हेंं मनाने नहीं जा रहा है। राजद तो आधिकारिक तौर पर अब मांझी का नाम भी नहीं ले रहा है। मांझी और उनकी पार्टी की वह हैसियत नहीं है कि घटक दल उन्हेंं खुश रखने के लिए राजद से संबंध खराब कर लें।
कांग्रेस भी पंचायत के मूड में नहीं, वीआइपी पहले से तेजस्वी पर राजी
एक अन्य घटक विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी कुछ दिनों तक मांझी के संपर्क में रहने के बाद अब राजद के साथ आ गए हैं। उन्होंने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता बताना शुरू कर दिया है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, वह पंचायत करने के मूड में थी, लेकिन उसके रुख में भी बदलाव आया है। कांग्रेस के एक हिस्से का तर्क था कि बेशक राजद बड़ा दल है। उसका नेता होना भी चाहिए, लेकिन नेतृत्व की जवाबदेही किसी बुजुर्ग और परिपक्व चेहरे को दिया जाए। तेजस्वी नौजवान हैं। उनका भविष्य है। उन्हेंं पांच साल इंतजार करना चाहिए। पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा कहते हैं कि सबसे बड़े दल के नाते राजद महागठबंधन का स्वाभाविक नेता है, लेकिन यह आपस में मिल-बैठकर तय हो। कोरोना संकट खत्म हो तो नेतृत्व का मसला भी हल हो जाएगा।
राजग के स्टैंड से मिल रही मदद, सीधी लड़ाई में दिख रहा फायदा
तेजस्वी पर राजद का हमला जितना तेज हो रहा है, महागठबंधन के दलों के बीच नेता के तौर पर उनकी स्वीकार्यता बढ़ रही है। राजग के घटक दल भाजपा और जदयू के प्राय: सभी नेता विपक्ष के नाम पर तेजस्वी यादव पर ही हमला कर रहे हैं। 15 साल बनाम 15 साल का नारा, जो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के राजकाज को बताने के लिए गढ़ा गया है, अंतत: तेजस्वी यादव पर ही केंद्रित है। राजग यही चाह रहा है कि राजद के साथ उसकी सीधी लड़ाई हो। उसकी रणनीति लड़ाई को आमने-सामने रखने की है। ऐसे में महागठबंधन के घटक दलों में यह समझ विकसित हो रही है कि चुनाव मैदान में तीसरे कोण की गुंजाइश नहीं है। यह समझ उन्हेंं तेजस्वी के नेतृत्व में गोलबंद होने के लिए प्रेरित करता है।