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बिहारः नीतीश को देख यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी किया था लागू, जदयू ने याद दिलाई योजना

जदयू ने कहा है कि 15 साल शासन करने के बावजूद राजद की किसी योजना का किसी राज्य ने अनुकरण नहीं किया। नीरज ने कहा कि जनता दरबार को यूपी की अखिलेश सरकार ने लागू किया। राइट टू पब्लिक सर्विस एक्ट को कर्नाटक की सरकार ने लागू किया।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 04:58 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 04:58 PM (IST)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव। जागरण आर्काइव।

राज्य ब्यूरो, पटना: जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार की योजनाओं का दूसरे राज्य अनुकरण करते हैं। उनकी कई योजनाओं को केंद्र ने भी लागू किया है। 15 साल शासन करने के बावजूद राजद की किसी योजना का किसी राज्य ने अनुकरण नहीं किया। नीरज ने कहा कि जनता दरबार को यूपी की अखिलेश सरकार ने लागू किया। राइट टू पब्लिक सर्विस एक्ट को कर्नाटक की सरकार ने लागू किया। कोरोना काल में पलायन कर रहे मजदूरों के कल्याण की योजनाओं की कई राज्यों ने तारीफ की। 

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उन्होंने कहा कि जल,जीवन, हरियाली, साइकिल योजना, महिला स्वयं सहायता समूह, महिलाओं को आरक्षण समेत कई ऐसी योजनाएं हैं, जिन्हें देश-विदेश में ख्याति मिली। संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण परिवर्तन पर होने वाले गोलमेज सम्मेलन में दुनिया के 20 लोगों को बुलावा भेजा था, उनमें से एक नीतीश कुमार भी थे। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं को साइकिल देने की योजना को कई राज्यों ने लागू किया। ब्रिटेन के हाई कमिश्नर ने भी इस योजना की तारीफ की। मुख्यमंत्री को ब्रिटेन आकर बिहार के विकास माडल पर बात रखने का न्योता दिया था। आज प्रदेश में 10 लाख से अधिक महिला स्वयं सहायता समूह हैं। जीविका की तर्ज पर केंद्र सरकार आजीविका योजना चला रही है। पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के आरक्षण को भी कई राज्यों ने लागू किया। मुख्यमंत्री भिक्षा निवारण योजना का अनुकरण केंद्र सरकार ने किया। 

जातीय जनगणना जदयू की पुरानी मांग: संजय

प्रदेश जदयू उपाध्यक्ष संजय सिंह ने गुरुवार को कहा कि जातीय जनगणना जदयू की पुरानी मांग रही है। इससे पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। बिहार विधानमंडल से जातीय जनगणना को लेकर जो प्रस्ताव पारित किया गया, उसकी पहल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही की थी। संजय ने कहा कि जदयू न केवल जातीय जनगणना का समर्थन करता है बल्कि इसके लिए कृतसंकल्पित भी है। जातीय जनगणना का प्रकाशन बहुत जरूरी है। जनगणना में जाति का कालम होना ही चाहिए। किसी भी योजना को तैयार करने का आधार जनसंख्या ही है। 


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