राज्य ब्यूरो, पटना: जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि देश के किसी नागरिक को राष्ट्र गीत गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। यह धारणा भी गलत है कि राष्ट्र गीत गाने वाले लोग ही देशभक्त हैं। उन्होंने कहा कि पढ़े लिखे लोगों को छोड़ दें तो गांवों में रहने वाली बड़ी आबादी को राष्ट्र गीत याद नहीं है। वे नहीं गा सकते। इसका मतलब यह नहीं है कि गांव के लोग देशभक्त नहीं हैं। मालूम हो कि शुक्रवार को बिहार विधानसभा सत्र का समापन राष्ट्र गीत से हुआ। सदन के बाहर एआईएमआइएम के विधायक दल के नेता अख्तरूल ईमान ने राष्ट्र गीत थोपने का आरोप लगाकर इसका विरोध किया। कुशवाहा इसी संदर्भ में टिप्पणी कर रहे थे।
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष ने भाजपा विधायक निक्की हेम्ब्रम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की टिप्पणी पर विवाद करने की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि महिला विधायक को सुंदर कहा गया। यह विवाद का विषय कैसे हो सकता है। हम मां सीता की जन्म भूमि के हैं। यहां की बहन-बेटियां सुंदर हैं। अति सुंदर होती ही हैं। मुख्यमंत्री ने अभिभावक के नाते उन्हें सुंदर कहा। हमारे यहां हरेक पिता-भाई अपनी बेटी-बहन को सुंदर कहता है। संभव है कि कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के भाव को नहीं समझा। यह भी संभव है कि कुछ लोग जान बूझ कर इसकी गलत व्याख्या करते हैं। कुशवाहा ने कहा कि निक्की हेम्ब्रम आदिवासी समाज से आती हैं। किसी महिला को कुरूप कहना अपमानजनक हो सकता है। सुंदर कहने में भला अपमान का भाव कहां है।
शराबबंदी लंबी प्रक्रिया है
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि राज्य में शराबबंदी लागू है। इसकी लंबी प्रक्रिया है। पहले की तुलना में बहुत सुधार हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस पहल का सभी राजनीतिक दलों ने सदन के अंदर और बाहर समर्थन किया है। आम लोगों में शराब न पीने को लेकर जागरूकता बढ़ी है। कुछ समय भले लगे, लेकिन राज्य के लोग ही इस कानून को सफल बनाएंगे।
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