Bihar Politics: खरमास के बाद अब नहीं चलेगा बहाना; बिहार में शुरू होंगे ठप पड़े सभी सियासी काम
Bihar Politics गुरुवार को मकर संक्रांति के साथ खरमास खत्म हो गया है। अब शुक्रवार से बिहार की सियासत के ठप पड़े कई बड़े कार्य होंगे। नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो पक्ष-विपक्ष के कई दलों में टूट के दावों की भी परीक्षा तय है।
पटना, अरविंद शर्मा। बिहार में सत्ता और सियासत के कई सारे कार्य खरमास के बहाने रुके पड़े हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार (Cabinet Expansion) हो या विधान परिषद के उपचुनाव के लिए नामांकन (Nomination for MLC Bye Election) या फिर राज्यपाल कोटे के 12 विधान पार्षदों (MLC) के मनोनयन की अनुशंसा; सभी कार्यों के रास्ते के सारे अवरोध शुक्रवार से हट जाएंगे। विपक्ष के भी कई शुभ कार्यों को खरमास के खत्म होने का इंतजार है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) को प्रदेश भर में धन्यवाद यात्रा (Dhanyawaad Yatra) निकालनी है, जिसके लिए उन्हें भी खरमास के खत्म होने की प्रतीक्षा थी। पक्ष-प्रतिपक्ष के कुछ शीर्ष नेताओं और प्रवक्ताओं के दावों की भी अग्निपरीक्षा होनी है, जिन्होंने दूसरे के दल में खरमास बाद टूट-फूट का दावा किया था।
खरमास के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद
बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में एनडीए की नई सरकार के बने हुए दो महीने बीत चुके हैं। मुख्यमंत्री समेत नई सरकार के 15 मंत्रियों ने पहली बार 16 नवंबर को शपथ ली थी। तब दावा किया गया था कि जल्द ही मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार होगा। किंतु प्रतीक्षा लंबी होती चली गई। इसी बीच खरमास शुरू हो गया तो कहा गया कि अब मंत्रिमंडल विस्तार मकर संक्रांति के बाद होगा।
विधान पार्षदों की सीटों पर अब होगा चुनाव
राज्यपाल कोटे के 12 विधान पार्षदों की सीटें पिछले साल सात मई से ही रिक्त चली आ रही हैं। पहले कोरोना संक्रमण (CoronaVirus Infection), फिर विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के बहाने मामला टलता गया। विधानसभा कोटे की दो रिक्त सीटों पर उपचुनाव भी होने हैं। खरमास के चलते उसपर भी विचार करने की जरूरत नहीं समझी गई। किंतु शुक्रवार से कोई बहाना नहीं चलेगा। सियासतदानों को सारे काम निपटाने होंगे या बताना पड़ेगा कि क्या अड़चन है?
बीजेपी समेत सबके दावों की अग्निपरीक्षा
बड़ा सवाल तो यह भी है कि पक्ष-विपक्ष के दावे के मुताबिक क्या राजनीतिक दलों में टूट हो सकती है? तोड़-फोड़ के दावे में सारे के सारे दल शामिल थे। सबने एक-दूसरे के बारे में दावे कर रखे हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बारे में खरमास खत्म होने के बाद बड़ी टूट की भविष्यवाणी कर रखी है। उसके पहले आरजेडी की ओर से श्याम रजक (Shyam Rajak) ने दावा किया था कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) के 17 विधायक उनके संपर्क में हैं। तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने भी कुछ ऐसा ही दावा कर रखा है। जेडीयू के नेता-प्रवक्ता भी पीछे नहीं रहे। संसदीय दल के नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) को आभास हुआ कि बीजेपी चाहेगी तो आरजेडी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। आरजेडी का बीजेपी में विलय हो जाएगा। कांग्रेस के एक पूर्व विधायक भरत सिंह (Bharat Singh) ने तो अपनी ही पार्टी में टूट की भविष्यवाणी कर दी। उन्होंने संख्या भी गिन ली। कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा (Ajit Sharma) समेत 11 विधायक जेडीयू के संपर्क में हैं, जो खरमास बाद पाला बदलने वाले हैं।
खरमास के बाद आरजेडी की पहली बैठक
तेजस्वी यादव को लग रहा है कि बिहार में मध्यावधि चुनाव हो सकता है। इसलिए आरजेडी को चुनाव के लिहाज से तैयार करना चाह रहे हैं। खरमास खत्म होते ही उन्होंने शनिवार को आरजेडी के प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। खरमास के बाद यह किसी भी दल की पहली बैठक होगी। तेजस्वी को कई चीजों की तैयारी करनी है। धन्यवाद यात्रा की तारीख तय करनी है। किसानों और बेरोजगारों के मुद्दे पर महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर 30 जनवरी को पूरे प्रदेश में मानव श्रृंखला बनानी है।