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Bihar Politics: पुत्र मोह में अपनों से दूर हो रहे लालू, आरजेडी पर भारी पड़ रही तेज प्रताप की मनमानी

Bihar Politics आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बेटे तेज प्रताप यादव के बयानों के कारण अपनों से लगातार दूर होते जा रहे हैं। रघुवंश प्रसाद सिंह व रामचंद्र पूर्वे के बाद अब जगदानंद सिंह की बारी है। जगदानंद सिंह को मनाने में लालू यादव खुद जुटे हुए हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 17 Aug 2021 09:36 AM (IST)Updated: Tue, 17 Aug 2021 10:57 AM (IST)
Bihar Politics: पुत्र मोह में अपनों से दूर हो रहे लालू, आरजेडी पर भारी पड़ रही तेज प्रताप की मनमानी
तेज प्रताप यादव एवं लालू प्रसाद यादव के साथ तेज प्रताप यादव। फाइल तस्‍वीरें।

पटना, अरविंद शर्मा। Lalu Prasad Yadav News बिहार में लालू-राबड़ी परिवार (Lalu-Rabri Family) से जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) का रिश्ता निर्णायक दौर में पहुंच गया है। राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) कार्यालय से वास्ता खत्म किए हुए आठ दिन बीत गए। मनाने-समझाने के सारे प्रयास अभी तक विफल साबित हुए हैं। लालू के करीबियों में जगदानंद सिंह पहले व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें उनके बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के बयानों से धक्का लगा है। इसके पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) और आरजेडी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे (Ramchandra Purvey) पर भी तेज प्रताप के बयानों की गाज गिर चुकी है। रघुवंश तो इतने व्यथित हुए कि अपने आखिरी क्षणों में अस्पताल से ही लालू का साथ छोड़ने का एलान कर दिया था। फिर भी तेज प्रताप की जुबान रुकी नहीं, ठहरी नहीं। नतीजतन पुत्र के प्रति मोह से लालू के अपने लगातार बिछुड़ते जा रहे हैं।

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2019 में प्रदेश अध्‍यक्ष पद से बेदखल किए गए थे रामचंद्र पूर्वे

जगदानंद के अनुशासन का मौके-बेमौके मजाक उड़ाने वाले तेज प्रताप ने चार बार से लगातार आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष बनते आ रहे रामचंद्र पूर्वे को 2019 में पद से बेदखल कराया था। उनपर चुगली करने और फोन नहीं उठाने का आरोप लगाया था। तेज प्रताप की सिफारिश पर आरजेडी में एक पदाधिकारी बनाने में देरी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा था। यह वही पूर्वे हैं, जिन्होंने 1997 में जनता दल से अलग होकर लालू की नई बनी पार्टी का संविधान तैयार किया था। चारा घोटाले (Fodder Scam) में लालू जब जेल गए तो राबड़ी देवी (Rabri Devi) के साथ मंत्री के रूप में सबसे पहले शपथ लेने वाले पूर्वे ही थे। बाकी मंत्रीमंडल का गठन बाद में हुआ था। पूर्वे अपनी ही बनाई पार्टी से अब अलग-थलग हैं।

तेज प्रताप के कारण टूटा दरोगा प्रसाद राय परिवार से रिश्‍ता

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय (Daroga Prasad Rai) के घराने से लालू परिवार का रिश्ता खत्म होने की वजह भी तेज प्रताप ही बने। तेज प्रताप की शादी दरोगा प्रसाद की पौत्री ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) के साथ हुई थी। छह महीने के भीतर ही मामला तलाक (Tej Pratap Yadav Divorcs) तक पहुंच गया। अभी अदालत में लंबित है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी तेज प्रताप ने आरजेडी के अधिकृत दो प्रत्याशियों के खिलाफ लालू-राबड़ी मोर्चा बनाकर प्रत्याशी उतार दिए थे। प्रचार भी किया था। जहानाबाद में आरजेडी के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव को महज एक हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा था। तेज प्रताप ने प्रत्याशी नहीं दिया होता तो उक्त सीट आरजेडी के कब्जे में होती।

अब जगदानंद सिंह हुए नाराज, मनाने में खुद जुटे लालू यादव

आरजेडी के प्रदेश कार्यालय में 15 अगस्त और 26 जनवरी को प्रदेश अध्यक्ष ही तिरंगा फहराते रहे हैं, लेकिन इस बार जगदानंद सिंह ने इसकी परवाह भी नहीं की। 15 अगस्त को नहीं आए। किसी को अधिकृत भी नहीं किया। गंभीरता को देखकर लालू प्रसाद यादव ने मामले को अपने हाथ में लिया है। अब वह खुद समझाने में जुटे हैं। सूचना है कि लालू ने उनसे खुद बात की है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।


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