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Bihar Politics: दो हिस्सों में बंट गई रामविलास की लोजपा, चुनाव आयोग ने चिराग और पशुपति को अलाट किया नया सिंबल

Bihar Politics लोक जनशक्ति पार्टी में आखिरकार औपचारिक तौर पर विभाजन हो गया है। अब चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों की पार्टियों का नाम बदल गया है। साथ ही दोनों को नया चुनाव चिह्न भी अलाट कर दिया गया है।

By Rahul KumarEdited By: Published: Tue, 05 Oct 2021 12:16 PM (IST)Updated: Tue, 05 Oct 2021 02:09 PM (IST)
जमुई सांसद चिराग पासवान और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस। जागरण आर्काइव

राज्य ब्यूरो, पटना । Bihar Politics चाचा-भतीजा (पशुपति कुमार पारस व चिराग पासवान) की राजनीतिक लड़ाई में आखिरकार लोक जनशक्ति पार्टी में औपचारिक विभाजन हो गया। चुनाव आयोग ने मंगलवार को पारस और चिराग के नाम से पार्टी का अलग-अलग नाम और चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया। पारस के हिस्से में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और चुनाव चिह्न सिलाई मशीन आया तो चिराग को लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) और हेलीकाप्टर चुनाव चिह्न मिला। हालांकि मूल पार्टी लोजपा और उसका चुनाव चिह्न बंगला पर आयोग का अंतिम फैसला 5 नवंबर को आएगा। 

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सिंबल को चुनाव आयोग ने किया था फ्रीज

इससे पहले चुनाव आयोग ने लोजपा का चुनाव चिह्न बंगला को फ्रिज करते हुए इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। तब चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अपना प्रत्याशी उतारने के लिए चुनाव आयोग से नई पार्टी और चुनाव चिह्न देने का अनुरोध किया था। चुनाव आयोग के फैसले का दोनों पक्ष ने स्वागत किया है।

'फैसला हमारे पक्ष में आएगा'

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने चुनाव आयोग से आवंटित नई पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर कहा कि आयोग का जो भी फैसला आया है वो मान्य है, लेकिन आयोग से 5 नवंबर को लोजपा और बंगला चुनाव चिह्न पर अंतिम फैसला हमारे पक्ष में आएगा क्योंकि असली लोजपा हमारी है।  इधर, लोजपा (चिराग गुट) के प्रधान महासचिव संजय पासवान ने कहा कि चुनाव आयोग का यह अंतरिम फैसला है जो हमारे नेता चिराग पासवान को मान्य है। नई पार्टी और नये सिंबल पर हमारे नेता उपचुनाव में प्रत्याशियों को पूरी ताकत से उतारेंगे और जीत दिलाएंगे। 

गौरतलब है कि, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद से पार्टी के अंदर खींचतान शुरू हो गई थी। 16 जून 2021 को लोजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में चिराग पासवान को साइड कर दिया गया और पशुपति कुमार पारस को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष चुन लिया गया था। इसके बाद से ही लोजपा पर कब्जे को लेकर चिराग और पशुपति कुमार पारस के बीच रस्साकशी जारी थी। दोनों गुट लोजपा पर अपने दावेदारी ठोक रहे थे। 


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