Bihar News: महागठबंधन की नई सरकार ने बिहार के सभी मुखिया और सरपंच को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी
अब मुखिया सरपंच के साथ सभी वर्ग के लोगों की सहभागिता से टीबी के खिलाफ बड़े अभियान की तैयारी है। टीबी के मरीजों के स्वस्थ होने की दर में तेजी आए साथ ही नए मरीजों की त्वरित पहचान हो सके इसके लिए स्वास्थ्य महकमा नित नई पहल कर रहा है।
राज्य ब्यूरो, पटना : टीबी रोग को प्रदेश से पूरी तरह से समाप्त करने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार नई-नई कोशिशें कर रहा है। इसी कड़ी में अब मुखिया, सरपंच के साथ सभी वर्ग के लोगों की सहभागिता से टीबी के खिलाफ बड़े अभियान की तैयारी है। अभियान सितंबर से संभावित है। टीबी के मरीजों के स्वस्थ होने की दर में तेजी आए साथ ही नए मरीजों की त्वरित पहचान हो सके इसके लिए स्वास्थ्य महकमा नित नई पहल कर रहा है। विभाग के प्रयास आंकड़े में भी दिखाई देते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार लगातार किए जा रहे प्रयासों का प्रतिफल है कि 2020 में राज्य में टीबी के जहां सिर्फ 98913 मामलों की पहचान की जा सकी, वहीं वर्ष 2021-22 में 1.22 लाख मरीजों की पहचान हुई। जिनका समय पर इलज प्रारंभ हो गया और वे समय के साथ स्वस्थ होने की दिशा में बढ़ भी रहे हैं। मरीजों की समय पर पहचान न होने की वजह से इस बीमारी के बढऩे की आशंका रहती है।
कोरोना महामारी के दौरान तपेदिक (टीबी) उन्मूलन कार्यक्रम सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। लेकिन कोरोना के नए मामलों में लगातार कमी को देखते हुए सरकार ने नए सिरे से 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जिला, प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर तक अभियान चलाकर लोगों को इस बीमारी से जागरूक करने की योजना बनाई है। प्रखंड और पंचायतों में चलने वाले अभियान की सारी जवाबदेही मुखिया और सरपंचों की होगी। जागरूकता अभियान में राज्य सरकार की तरफ से टीबी रोगियों ( सार्वजनिक और निजी) को इलाज के दौरान दी जाने वाली पोषण संबंधी सहायता, मुफ्त उपचार और 500 रुपये मासिक सहायता जैसी योजनाओं की जानकारी दी गई। अभियान की दूसरी प्राथमिकता जनता को इस बात से अवगत करना था कि टीबी के इलाज के लिए मरीज व उनके परिजनों के जेब से होने वाले खर्च को कैसे रोका जाए।
विभाग के अनुसार टीबी मरीजों की जांच के लिए जिलों को 37 ट्रू-नेट मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। साथ ही अधिकारियों से परीक्षण बढ़ाने के साथ-साथ टीबी उन्मूलन में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया है। अभियान सितंबर महीने से प्रारंभ होगा जिसमें मुखिया और सरपंच के साथ इसमें आंदोलन रोगी सहायता समूहों, आशा, एएनएम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, जीविका और शिक्षा व आइसीडीएस जैसे अन्य विभागों के कर्मचारियों व केयर-इंडिया जैसे भागीदार संगठनों की मदद भी ली जाएगी।