बिहार में बालू घाटों के पुराने बंदोबस्तधारियों के लिए नए नियम, मानना ही होगा सरकार का फैसला
बिहार की नदियों से बालू खनन की पांच साल की बंदोबस्त प्रक्रिया भी चल रही है। सरकार ने पुराने बंदोबस्तधारियों को तीन महीने का अवधि विस्तार देने के बाद यह फैसला किया है। बालू के खनन और ढुलाई में प्रयुक्त होने वाली नावों पर जीपीएस ट्रैकर लगाना होगा।
जागरण टीम, पटना : करीब तीन महीने के अंतराल के बाद 16 जिलों में नदियों से बालू का खनन प्रारंभ कर दिया गया है। इधर दूसरी ओर बिहार की नदियों से बालू खनन की पांच साल की बंदोबस्त प्रक्रिया भी चल रही है। अब सरकार ने पुराने बंदोबस्तधारियों को तीन महीने का अवधि विस्तार देने के बाद यह फैसला किया है कि बंदोबस्तधारियों को बालू के खनन और ढुलाई में प्रयुक्त होने वाली नावों पर जीपीएस ट्रैकर लगाना होगा। विभाग ने अपने फैसले से जिलों के खान निरीक्षकों को अवगत करा दिया है।
बंदोबस्तधारियों को एक निश्चित क्षेत्र में खनन की अनुमति
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुराने बालू घाटों के बंदोबस्तधारियों को एक निश्चित क्षेत्र में खनन की अनुमति है। इस क्षेत्र से बाहर ठीकेदार खनन तो नहीं कर रहे, इसकी मानिटरिंग के लिए नावों पर जीपीएस लगाने पर सहमति बनी है। जीपीएस ट्रैकर की मदद से खनन निगम मुख्यालय में बैठकर मानिटरिंग कर सकेगा ठीकेदार अपनी सीमा में खनन कर रहे हैं इससे बाहर नहीं। इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर कराने की जिम्मेदारी जिलों के खनन पदाधिकारियों को सौंपी गई है।
जून महीने से बालू खनन पर रोक थी
बता दें कि प्रदेश में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के आलोक में जून महीने से बालू खनन पर रोक थी। कोर्ट का निर्देश था कि खान एवं भू-तत्व विभाग जिला सर्वे रिपोर्ट बनाकर नए सिरे से पांच वर्ष के लिए बंदोबस्त करे। कोर्ट के आदेश पर अक्टूबर महीने की शुरुआत से नए सिरे से घाटों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया प्रारंभ की गर्ई है। विभाग का दावा है कि अक्टूबर महीने के अंत तक बंदोबस्ती का काम पूरा कर लिया जाएगा। जारी प्रक्रिया के बीच पुराने बंदोबस्तधारियों के लिए जीपीएस के नियम को प्रभावी किया गया है।