पटना जू में सेप्टीसीमिया से शेर की मौत, पहले किसी बीमारी से ग्रसित नहीं था सात साल का 'शेरू'
पटना जू में शेरू नामक शेर की सोमवार की सुबह 830 बजे अचानक मौत हो गई। शेरू की उम्र लगभग साढ़े सात साल थी। शेर बिल्कुल स्वस्थ था। पहले से उसमें कोई बीमारी के लक्षण नहीं थे। उसके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
पटना, जेएनएन। संजय गांधी जैविक उद्यान में जोड़ी लगने के पहले ही शेरू नाम के युवा बब्बर शेर की सोमवार सुबह मौत हो गई। इसके पहले शेरू की मां सरस्वती की भी पांच वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी। शेरनी की तलाश के पहले शेरू की मौत हो जाने से उद्यान प्रशासन को बड़ी क्षति हुई है। शेरू की मौत से उद्यान में मातम-सा सन्नाटा
पसरा है।
पटना में ही हुआ था जन्म
शेरू का जन्म साढ़े सात वर्ष पहले स्थानीय चिड़ियाघर में ही हुआ था। इसका बड़ा भाई सम्राट और पिता विशाल हैं। दोनों को डिस्प्ले में रखा जाता है, जबकि एक हाइब्रिड वृद्ध शेरनी अपने जीवन की अंतिम सांसें ले रही है। यहां मादा शेर की तलाश थी। शेर से अदला-बदली की बात हैदराबाद सहित अन्य चिडय़ाघरों के साथ चल रही थी। इस बीच शेरू की मौत ने सबको आवाक कर दिया है। चिडिय़ाघर में शेरू की मौत सुबह 8:30 बजे हुई। साढ़े सात वर्ष का शेरू बिल्कुल स्वस्थ था। उसे पहले से कोई बीमारी नहीं थी।
नहीं प्राप्त हुई है विस्तृत रिपोर्ट
निदेशक अमित कुमार ने बताया, उद्यान के पशु चिकित्सक सहित बिहार वेटनरी कॉलेज की पांच सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम की उपस्थिति में पोस्टमॉर्टम कराया गया। मौत का कारण प्रथमदृष्टया सेप्टीसीमिया शॉक बताया गया है। हालांकि अभी विस्तृत रिपोर्ट नहीं प्राप्त हुई है। मृत्यु के कारण की जांच के लिए लिवर, किडनी सहित रक्त नमूने को आइवीआरआइ इज्जतनगर, बरेली और बिहार वेटनरी कॉलेज, पटना को भेजा गया है।
केयरटेकर को नहीं पता था सेप्टीसीमिया का लक्षण
सेप्टीसीमिया या सेप्सिस एक गंभीर रक्त प्रवाह संक्रमण है। इसे बैक्टीरिया या रक्त विषाक्तता के रूप में जाना जाता है। फेफड़े या त्वचा में जीवाणु संक्रमण होने के बाद यह रक्त में प्रवेश करता और पूरे शरीर में फैल जाता है। प्रारंभिक अवस्था में जानकारी नहीं हो पाने से समुचित उपचार नहीं हो पाता है, इसलिए मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। अगर केयरटेकर को शुरुआती लक्षण व बचाव की जानकारी हो जाती तो शेर को बचाया जा सकता है।