Bihar News: शहरों में घूम रहे बच्चियों का सौदा करने वाले दरिंदे, शक न हो इसलिए गिरोह में महिलाएं भी
Bihar News Today बच्चियों को बेचने वाले इस समूह में ऑटो चालक भी है। प्रतिमा और कन्हैया भीड़ वाले इलाकों पर कूड़ा-कचरा चुनने वाले बनकर नाबालिक लड़कियों की रेकी करते थे। ये लोग गरीब और निम्न मध्यम परिवारों की लड़कियों को करते थे टारगेट। अच्छी तरह रेकी करने के बाद दोनों लड़की को फांसने के लिए उसकी दिनचर्या का पता लगाते थे।
आशीष शुक्ला,पटना। Bihar News Today: महिलाओं, विशेष रूप से कम उम्र की लड़कियों को बहला-फुसलाकर उसका सौदा करने वाले दरिंदे घूम रहे हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं, ताकि कोई शक नहीं करे। इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां लड़कियों की खरीद-बिक्री का खेल चलता है। सासाराम में ऐसे कई मामले सामने आए थे, पर यह नेटवर्क फैलता जा रहा है।
एक छात्रा को अगवा कर उसे कोलकाता (Kolkata) में बेचने का प्रयास भी इसी की एक कड़ी है, हालांकि समय रहते आरोपित दबोच लिए गए। नाबालिगों को बहुत सुनियोजित तरीके से उठाया जाता है। ये ऐसी बच्चियों पर नजर रखते हैं, जहां भी उसे थोड़ा परेशान देखते हैं, सहायता के नाम पर विश्वास में लेते हैं। यहीं वह इनका शिकार बन जाती है।
छात्रा को बेचने की नीयत से अगवा करने वाला कन्हैया कुमार 20-21 वर्ष का था, जबकि प्रतिमा देवी की उम्र करीब 50 वर्ष है। जिस छात्रा को अगवा किया, वह 16 वर्ष की थी। वे उसे बेचने जा रहे थे, पर ग्राहक पटना जंक्शन नहीं पहुंचा। इन्होंने बच्ची को राजेंद्र टर्मिनल के पीछे एक कबाड़ दुकान के पास छिपा रखा था और दूसरे दलाल से संपर्क करने चले गए थे। तभी वह होश में आ गई।
एक राहगीर की सहायता से उसने घर वालों को काल किया। तब तक उसे अगवा करने वाले पहुंच चुके थे, लेकिन पुलिस भी समय पर आ गई। हालांकि, एक और था जो फरार है। कदमकुआं थाने की पुलिस उसकी खोज कर रही है। प्रतिमा और कन्हैया के संपर्कों का पता लगाया जा रहा है।
गैंग में हैं कई शामिल
इस समूह में आटो चालक भी है। प्रतिमा और कन्हैया स्टेशनों और भीड़ वाले इलाकों पर कूड़ा-कचरा चुनने वाले बनकर नाबालिक लड़कियों की रेकी करते थे। इनके निशाने पर गरीब और निम्न मध्यम परिवारों की लड़कियां होती थीं। अच्छी तरह रेकी करने के बाद दोनों लड़की को फांसने के लिए उसकी दिनचर्या का पता लगाते थे।
वे ज्यादातर आटो पर बैठ कर ही रेकी करते थे। जैसे ही शिकार उन्हें किसी सड़क पर अकेले मिलता, वह महिला उससे पता पूछने या किसी अन्य सहायता के बहाने नजदीकी बढ़ा लेती। बातें करने के दौरान लड़की के मुंह पर हाथ रखती थी, जिससे उसे चंद सेकेंड में चक्कर आने लगता था। फिर, आटो में बिठा कर स्टेशन की ओर लेकर चली जाती थी। यह सब ऐसी जगह होता था, जहां आसपास ज्यादा लोग नहीं हों।
रेकी के दौरान ही कर लेते थे सौदा
रेकी करने के दौरान ही प्रतिमा ग्राहक को लड़की की उम्र, रंग-रूप, कद-काठी आदि की जानकारी उपलब्ध करा देती थी।
सौदा तय करने के बाद होता था यह काम
सौदा तय होने पर वह ग्राहक को पटना बुलाती थी और अपहरण करने के तुंरत बाद उसे किसी स्टेशन पर पहुंचने को कहती थी। प्रतिमा और कन्हैया की जिम्मेदारी लड़की को रेलवे स्टेशन तक पहुंचाने की होती थी। उनका तीसरा साथी ग्राहक के साथ लड़की को ट्रेन से लेकर दूसरे शहर जाता था। प्रतिमा के ज्यादातर ग्राहक कोलकाता और आसनसोल के हैं। गया में भी इस तरह का मामला कुछ वर्ष पहले हुआ था, जिसमें तस्करों को सजा भी हुई। बहुत मामले संज्ञान में भी नहीं आ पाते हैं। पुलिस थाने में अपहरण के कई केस अंकित हैं।
एक छात्रा को अगवा कर बेचने का किया गया प्रयास
खानाबदोश की तरह रेलवे स्टेशन के आसपास रहते थानेदार बताते हैं कि वैसे तो प्रतिमा स्वयं को बख्तियारपुर और कन्हैया दरभंगा जिले का मूल निवासी बता रहा था। लेकिन, वे खानाबदोश की तरह रेलवे स्टेशनों के आसपास ही किराये पर कमरा लेकर रहते थे। हर वारदात के बाद कमरा बदल लेते थे।
प्रतिमा को रेल पुलिस ने बच्चियों के अपहरण के आरोप में पहले गिरफ्तार कर जेल भेजा था। यह बात भी सामने आई है कि जेल में रहने के दौरान आसनसोल की एक महिला तस्कर से प्रतिमा की मुलाकात हुई थी। वह तस्कर अब भी उसके संपर्क में है।
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