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Bihar News महागठबंधन की सरकार बनते ही बिहार में दो फाड़ हुई कांग्रेस, पार्टी में बने दो अलग-अलग खेमे

Bihar politics बिहार में महागठबंधन की सरकार बनते ही प्रदेश कांग्रेस दो भागी में बंटी हुई नजर आ रही है। कांग्रेस में नीचे के नेताओं में जोश देखने को मिल रहा है तो वहीं ऊपरी पंक्ति के नेतां में हताशा दिखाई दे रही है।

By Rahul KumarEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 06:08 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 06:08 PM (IST)
बिहार कांग्रेस में दो अलग-अलग खेमे बन गए हैं। सांकेतिक तस्वीर

सुनील राज, पटना। लगातार पांच वर्षो से बिहार की सत्ता से बाहर बैठी कांग्रेस एक बार फिर नीतीश सरकार का हिस्सा बन गई है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस के दो विधायकों को नीतीश सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला है। पार्टी आलाकमान के फैसले के बाद सरकार में शामिल होते ही पार्टी दो भागों में बंटी नजर आने लगी है। यहां दो अलग-अलग खेमे बन गए हैं। 

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कांग्रेस कोटे से सरकार में जिन विधायकों को पार्टी ने मंत्री बनाया है, उनमें एक अल्पसंख्यक समाज से आने वाले अफाक आलम हैं तो दूसरे मुरारी गौतम हैं, जो अनुसूचित जाति से आते हैं। इन दो नेताओं को मंत्री बनाकर कांग्रेस ने एक संदेश देने की कोशिश की है कि जो नेता-कार्यकर्ता काम करेगा उसके लिए पार्टी में आगे का मार्ग प्रशस्त है। पार्टी के इस फैसले से कांग्रेस के निचले पायदान पर काम करने वाले नेता-कार्यकर्ताओं में नया उत्साह देखा जा रहा है। 

दूसरी ओर बिहार में पार्टी के प्रमुख पदों पर बैठे और लंबे समय से कर्ताधर्ता बने नेताओं में मायूसी का आलम है। पार्टी के सूत्र बता रहे हैं कि पहली पंक्ति के नेता इस उम्मीद में थे कि नई सरकार में उन्हें मंत्री बनने का मौका मुहैया कराया जाएगा।  तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसे नेता अपने मनसूबे में सफल नहीं हो सके। पार्टी ने उम्मीद के विपरीत जाकर फैसला ले लिया। इस फैसले के साथ ही पार्टी दो पाटों में बंटी हुई नजर आ रही है। पार्टी के बड़े और अग्रणी पंक्ति के नेता जहां अपने-अपने कुनबे में सिमट गए हैं और अच्छा-बुरा पर बोलने से बच रहे हैं, वहीं नीचे की पंक्ति के नेता मुखर हो उठे हैं।

ऐसे लोग मानते हैं कि पार्टी ने इस तरह का फैसला लेकर कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा कर दिया है। हालांकि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी कहते हैं कि आलाकमान ने बिहार कांग्रेस के हित में यह फैसला लिया है, जो भी निर्णय है उसे लेकर पार्टी में कहीं कोई विरोध नहीं। वहीं पार्टी प्रवक्ता असित नाथ तिवारी कहते हैं कि कार्यकर्ताओं को मंत्री बनाए जाने से नीचे की पंक्ति के नेता उत्साहित हुए हैं और मानते हैं कि आने वाले दिनों में पार्टी के अंदर कार्यकर्ता और मजबूत होंगे। पहली पंक्ति के कुछ नेता जरूर हतोत्साहित महसूस कर रहे हैं। जो नेता मानते थे कि हम ही पार्टी हैं, केंद्रीय नेतृत्व ने ऐसे नेताओं का भ्रम तोड़ दिया है। बहरहाल पार्टी के फैसले पर बड़े नेता अंगुली उठाने से परहेज कर रहे, लेकिन चर्चा है कि ये नेता जल्द ही पार्टी के सामने नई चुनौती खड़ी कर सकते हैं।


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