बिहार म्यूजियम की गैलरियों में झलकता है सैकड़ों साल पुराना अतीत, यहां है बादशाह शेरशाह सूरी का मकबरा
बिहार म्यूजियम के चर्चे केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों तक हैं। कभी पटना की पहचान गोलघर से हुआ करती थी अब हजारों साल पुराने इस शहर के साथ बिहार म्यूजियम का नाम भी जुड़ गया है। म्यूजियम में बिहार के गौरवशाली अतीत की झलक मिलती है।
पटना, जागरण संवाददाता। Bihar Museum: बिहार म्यूजियम के चर्चे केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक हैं। कभी पटना की पहचान गोलघर से हुआ करती थी, अब हजारों साल पुराने इस शहर के साथ बिहार म्यूजियम का नाम भी जुड़ गया है। म्यूजियम की अलग-अलग गैलरियों में बिहार के गौरवशाली अतीत और यहां की समृद्ध कला-संस्कृति की झलक मिलती है। माैर्य काल में बिहार का शासन-प्रशासन कैसा था? सिद्धार्थ किस तरह भगवान बुद्ध बने? आदिमानव कौन थे? इन तमाम और इन जैसे और भी ढेरों सवालों के जवाब आपको इस संग्रहालय की गैलरियों में मिल सकते हैं। बिहार म्यूजियम के निदेशक दीपक आनंद ने बताया कि बिहार म्यूजियम की इतिहास गैलरी में घूमना पर्यटकों और बिहार का इतिहास जानने के लिए इच्छुक लोगों के लिए शानदार मौका है।
सैकड़ों साल पहले के बौद्ध भिक्षुओं से रूबरू होने का मौका
बिहार म्यूजियम की गैलरी में अब बड़ी स्क्रीन पर थ्रीडी इफेक्ट वाले वीडियो के माध्यम से नालंदा की गुफाओं को देखने का मौका मिलेगा। नालंदा की गुफाओं में रहने वाले बौद्ध भिक्षुकों की पूरी जीवनशैली को इस वीडियो के जरिये दिखाया जाता है। देखने वाले को ऐसा लगता है जैसे वह सैकड़ों साल पहले घटित इन घटनाओं का एक पात्र खुद भी हो। ऐसा महसूस होगा, जैसे आप गुफा के अंदर जाकर उन भिक्षुओं से रूबरू हो रहे हों। वीडियो में बौद्ध भिक्षु प्रार्थना और ध्यान करते नजर आएंगे।
कैमूर के मुंडेश्वरी मंदिर के शिल्प को देख कर होंगे मंत्रमुग्ध
बिहार म्यूजियम में आप बिहार के सीमावर्ती जिले कैमूर के मुंडेश्वरी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यहां मुंडेश्वरी मंदिर के लिए अलग से थ्री-डी गैलरी बनाई गई है। इस गैलरी में थ्रीडी शो के जरिये मंदिर की आरती और माता के शृंगार का नजारा देखा जा सकता है।
सूफी संगीत को सुनते हुए बिहार को जानने का अवसर
म्यूजियम की इतिहास गैलरी सी को पूरी तरह से थ्रीडी लुक के साथ तैयार किया गया है। इस गैलरी में प्रवेश करते ही दर्शक सूफी संगीत का आनंद ले सकते हैं। यहां बिहार के अतीत खासकर सूफी परंपरा को नजदीक से जानने का मौका मिलता है।
अंगेजी राज की तोप और शेरशाह के बारे में भी मिलती जानकारी
म्यूजियम की एक थ्री-डी गैलरी में आते ही दिल्ली सल्तनत के गैर मुगल बादशाह शेरशाह सूरी का मकबरा देखने का मौका मिलता है। शेरशाह का मकबरा वैसे तो बिहार के रोहतास जिले में है, लेकिन म्यूजियम में आकर आपको लगेगा कि आप असली मकबरे को ही देख रहे हैं। यहां अंग्रेजी राज की तोप को भी प्रदर्शित किया गया है।