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Bihar News: बिहार में नगर निकाय चुनाव की अड़चन दूर, अतिपिछड़ा आयोग गठित; रिपोर्ट आने के बाद होंगे चुनाव

Bihar Municipal Election 2022 बिहार नगर निकाय चुनाव को लेकर अब अड़चन दूर हो गई है। पटना हाईकोर्ट में हलफनामा देने के बाद बुधवार को राज्य सरकार ने डा. नवीन आर्या की अध्यक्षता राज्य अतिपिछड़ा आयोग का गठन किया गया।

By Rahul KumarEdited By: Published: Wed, 19 Oct 2022 05:13 PM (IST)Updated: Wed, 19 Oct 2022 08:01 PM (IST)
Bihar News: बिहार में नगर निकाय चुनाव की अड़चन दूर, अतिपिछड़ा आयोग गठित; रिपोर्ट आने के बाद होंगे चुनाव
बिहार नगर निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी। सांकेतिक तस्वीर

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में नगर निकाय चुनाव को लेकर अड़चन अब दूर हो गई है। बिहार सरकार ने बुधवार को हाईकोर्ट को यह जानकारी दी कि वह अति पिछड़ा आयोग का गठन करने जा रही है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद आरक्षण तय कर चुनाव कराया जाएगा। हाईकोर्ट ने इसपर अपनी सहमति दे दी। इसके बाद राज्य सरकार ने अपनी पुनर्विचार याचिका वापस ले ली। देर शाम अति पिछड़ा आयोग के गठन की घोषणा कर दी गई। जदयू के वरिष्ठ नेता डा. नवीन कुमार आर्या की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन किया गया है। 

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ईबीसी कमीशन की रिपोर्ट के आने के बाद होगा चुनाव

राज्य सरकार ने बुधवार को पटना हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि वह अतिपिछड़ा वर्ग आयोग (ईबीसी कमीशन) से अतिपिछड़ों की स्थिति का आकलन कराने के बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। यह आयोग सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों के लिए आरक्षण की अनुशंसा करेगा। राज्य सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान यह पक्ष रखा गया।  इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ईबीसी कमीशन की रिपोर्ट के आने के बाद बिहार के निकाय चुनाव कराए जाएंगे। इसके लिए 2005 में अस्तित्व में आए बिहार ईबीसी आयोग को बतौर डेडिकेटेड कमीशन पुनर्जीवित किया गया है। आयोग जल्द अतिपिछड़ों के राजनीतिक पिछड़ेपन से जुडे़ आंकड़े जुटा लेगा। समझा जाता है कि आयोग जल्द अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। उस रिपोर्ट के अवलोकन के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग बिहार में निकाय चुनाव अधिसूचित करेगा। इन सारी बातों पर सहमति बनने के बाद सरकार एवं चुनाव आयोग की ओर से दायर याचिका वापस ले ली गई। राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद हाईकोर्ट का चार अक्टूबर का फैसला यथावत रह गया। 

क्या है सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव में तभी पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया जा सकता है, जब सरकार ट्रिपल टेस्ट कराए। सरकार ये पता लगाए कि किस वर्ग को पर्याप्त राजनीति प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। सुनवाई में राज्य सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता विकास सिंह एवं वरीय अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने रखा । वरीय अधिवक्ता विकास सिंह ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ द्वारा पूर्व में पारित आदेश में त्रुटि बताते हुए कोर्ट कहा कि आरक्षण का प्रविधान केवल ईबीसी के लिए है न कि ओबीसी के लिए। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने चुनाव आयोग से जानना चाहा कि ओबीसी एवं ईबीसी के अलावा समान्य वर्ग का चुनाव क्यों नहीं कराया जा सका? इस पर आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी ने बताया कि बार-बार चुनाव कराना अपने आप में एक बेहद कठिन कार्य है। उन्होंने चुनाव आयोग के खिलाफ की गई कोर्ट की टिप्पणियों को पारित फैसले से हटाने की गुहार भी की ।

सरकार ने किया आयोग का गठन

राज्य सरकार ने बुधवार शाम को जदयू के वरिष्ठ नेता डा. नवीन कुमार आर्या की अध्यक्षता में अतिपिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग के अन्य सदस्य हैं-अरविंद निषाद, ज्ञानचंद्र पटेल एवं तारकेश्वर ठाकुर। पहली बार इस आयोग का गठन 2006 में किया गया था। बताया कि आयोग को रिपोर्ट देने के लिए अधिकतम तीन महीने का समय दिया गया है। लेकिन, अपेक्षा की गई है कि आयोग जल्द से जल्द रिपोर्ट दे।


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