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समीकरण से बन गए मंत्री पर नहीं दे पाते जवाब: किसी से वाक्य पूरा नहीं होता तो किसी के बोलते ही हंस पड़ते हैं सब

बिहार सरकार में कई नेता समीकरण साधने के फेर में मंत्री बन गए लेकिन सदन वे ​जवाब नहीं दे पाते। तेज प्रताप की जगह विधानमंडल के दोनों सदनों में उनके पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के उत्तर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता देते हैं।

By Arun AsheshEdited By: Deepti MishraThu, 30 Mar 2023 07:31 PM (IST)
समीकरण से बन गए मंत्री पर नहीं दे पाते जवाब: किसी से वाक्य पूरा नहीं होता तो किसी के बोलते ही हंस पड़ते हैं सब
समीकरण से मंत्री बन गए, लेकिन सदन में प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पाते।

अरुण अशेष, पटना: पिछले साल यूपी पुलिस का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें डीआईजी एक सब इंस्पेक्टर से बंदूक चलाने के लिए कहते हैं। सब इंस्पेक्टर गाेली को बंदूक की नली में डालता है तो डीजीआई उसे रोक देते हैं। वायरल वीडियो देखकर समझा जा सकता था कि इंस्पेक्टर को बंदूक चलाने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया। ऐसा ही हाल बिहार सरकार के उन मंत्रियों का है, जिन्हें समीकरण साधने के फेर में पद मिल गया, लेकिन सदन में जवाब देने के वक्त इनकी हालत उस वायरल वीडियो के सब इंस्पेक्टर जैसी हो जाती है।

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव बहुत मुखर हैं। बहुत बोलते हैं। इंटरनेट मीडिया पर छाये रहते हैं। इधर, विधानमंडल के दोनों सदनों में उनके पर्यावरण एवं वन मंत्रालय का अधिसंख्य उत्तर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता देते हैं। आलोक मेहता पढ़े लिखे और गंभीर व्यक्ति हैं। प्रश्नों के उत्तर पूरी तैयारी के साथ देते हैं।

स्पीकर खुद बोले- ये नहीं दे पाएंगी उत्तर

शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर इन दिनों मानस, मनु स्मृति और बंच आफ थाटस के चलते चर्चा में हैं। समारोह में इन विषयों पर धारा प्रवाह बोलते हैं, लेकिन शिक्षा विभाग से जुड़े प्रश्नों के उत्तर के समय अक्सर फंस जाते हैं। वह जब विभाग से संबंधित उत्तर देने के लिए खड़े होते हैं। सदन के किसी कोने से आवाज जरूर आती है-मानस मत बांचने लगिएगा।

परिवहन मंत्री शीला मंडल पहली बार विधायक और मंत्री बनीं। सदस्यों की बात छोड़ दीजिए। उनके उत्तर देने के समय स्वयं विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी चिंतित हो जाते हैं। इसी मंगलवार की बात है। शीला मंडल के खड़े होते ही अध्यक्ष के मुंह से निकल गया- ये उत्तर नहीं दे पाएंगी। पढ़े-लिखे जयंत राज का और बुरा हाल है। वह सदन में अपना वाक्य पूरा नहीं कर पाते हैं, जबकि लघु जल संसाधन मंत्री हैं।

..हमसे मिल लीजिए न

फंसने पर कुछ मंत्रियों ने बचाव का रास्ता भी निकाल लिया है। बालू खनन में गड़बडी से जुड़े भाकपा माले के विधायक महानंद सिंह के प्रश्न पर जब असहज स्थिति उत्पन्न हुई तो मंत्री रामानंद यादव ने विधायक को कहा कि वह आकर मिलें, जिस अधिकारी से कहेंगे, जांच करवा देंगे। कई सदस्यों ने इसका विरोध किया। ऐसी ही स्थिति में सहकारिता मंत्री सुरेंद्र यादव ने प्रश्नकर्ता सदस्य को दो मिनट के लिए अपने कक्ष में आने का आमंत्रण दिया। सदन में हंसी का फव्वारा फूट गया। क्यों? इसलिए कि तेज प्रताप यादव ने पोर्टल के एक रिपोर्टर को दो मिनट के लिए बुलाया था। रिपोर्टर अनहोनी की आशंका से भाग गया था, यह प्रसंग बहुत दिनों से चर्चा में है।