बिहार सरकार का सख्त निर्देश-24 घंटे के भीतर खोलें निजी अस्पताल, क्लीनिक और जांच केंद्र
बिहार सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों क्लिनिक और जांच केंद्रों को 24 घंटे के भीतर खोलने का निर्देश जारी किया है। निजी अस्पतालों के बंद होने से मरीजों को काफी परेशानी हो रही है।
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में कोरोना का प्रभाव बढऩे के साथ निजी क्षेत्र के अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, फार्मेसी और डायग्नोस्टिक सेंटरों ने अपनी सेवाएं बंद कर दी थीं। अब सरकार ने महामारी रेगुलेशन 2020 के तहत इन्हें तत्काल खोलने के निर्देश दिए हैं। सभी जिलाधिकारियों और सिविल सर्जनों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे 24 घंटे के अंदर इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएं।
निजी अस्पतालों में हुए अघोषित बंद से सामान्य मरीजों को काफी परेशानी हो रही थी। इसे देखते हुए ही सरकार ने यह कदम उठाया है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि निजी अस्पताल क्लीनिक और नर्सिंग होम में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर, पारा मेडिक्स, नर्सों के साथ ही अन्य तकनीकी और गैर तकनीकी कर्मचारी उपस्थित रहें।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा है कि संस्थान फिजिकल डिस्टेंङ्क्षसग का पालन करें। जो स्टाफ हैं उन्हें पीपीई किट, मास्क, ग्लव्स जैसे आवश्यक संसाधन मुहैया कराएं। यदि किसी संस्थान में कोरोना से संबंधित कोई केस आता हैं तो उसकी कांटेक्ट हिस्ट्री तैयार की जाए। इसके बारे में तीन घंटे के अंदर संबंधित सिविल सर्जन को सूचित करें।
आदेश में प्राइवेट अस्पतालों को यह जिम्मेदारी भी दी गई है कि वे इंफ्लूएंजा लाइक इलनेस और सिवियर एक्यूट रेस्पेरेटरी इलनेस के मरीजों की स्क्रीङ्क्षनग भी करें। प्रधान सचिव ने कहा कि आदेश न मानने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
प्रधान सचिव ने ट्वीट कर निजी अस्पतालों को लताड़ा
कोरोना काल में निजी अस्पतालों द्वारा सहयोग नहीं मिलने के बाद सरकार ने इनके प्रबंधकों को जमकर लताड़ा है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने दो अलग-अलग ट््वीट कर कहा कि राज्य में 48 प्रतिशत अस्पताल नर्सिंग होम प्राइवेट सेक्टर में हैं। मात्र 22 फीसद अस्पताल सरकारी हैं। ओपीडी का 90 फीसद कार्य निजी सेक्टर से पूरा होता है।
प्राइवेट सेक्टर के अस्पतालों का मकसद सिर्फ लाभ कमाना नहीं होना चाहिए। राज्य में कोरोना के खिलाफ सरकारी अस्पताल जंग लड़ रहे हैं और प्राइवेट अस्पताल बंद पड़े हैं। यह उचित नहीं। पर जब प्राफिट की बात आती है तो प्राइवेट अस्पतालों को सर्वाधिक फायदा चाहिए होता है।