बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के स्वरूप पर काम किया शुरू, जन प्रतिनिधि को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी
योजना बन रही है कि स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ सभी जगहों पर अधिकारियों के साथ बैठक होगी। यह लिखित तौर यह जानकारी ली जाएगी कि उनसे संबंधित इलाके में कितनी तरह की जाति और उपजाति रह रही है।
राज्य ब्यूरो, पटना। अपने संसाधन से जातिगत जनगणना कराए जाने को ले राज्य सरकार ने अभी से ही उसके स्वरूप पर काम को आगे बढ़ाना आरंभ कर दिया है। सामाजिक-आर्थिक जनगणना में हुए झंझट से सबक लेते हुए अब यह योजना बन रही है कि स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ सभी जगहों पर अधिकारियों के साथ बैठक होगी। जन प्रतिनिधियों से यह लिखित तौर यह जानकारी ली जाएगी कि उनसे संबंधित इलाके में कितनी तरह की जाति और उपजाति रह रही है। इससे जातिगत जनगणना में लगाए जाने वाले अधिकारियों को अपने काम में सहूलियत होगी। यही नहीं योजना यह है कि सभी जिले में जातिगत जनगणना के काम में समन्वय के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को जिम्मा दिया जाएगा।
जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कई चरणों में
जातिगत जनगणना आरंभ किए जाने के पूर्व जन प्रतिनिधियों के साथ बैठक कई चरणों में होगी। इसके तहत एक बैठक जिला मुख्यालय के स्तर पर विधायकों, विधान पार्षदों के साथ होगी। दूसरा चरण शहरी क्षेत्र के निर्वाचित निकाय प्रतिनिधियों का और तीसरा चरण त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बैठक का होगा। तीनों स्तर पर बैठक में स्थानीय अधिकारी मौजूद रहेंगे। इस बैठक का उद्देश्य है कि जन प्रतिनिधियों से यह ब्योरा पूरी तरह से उपलब्ध करा लिया जाए कि कौन सी पंचायत में कौन-कौन जाति और उपजाति है। पूर्व से सूचना उपलब्ध रहने से जातिगत जनगणना में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। जिस दिन जातिगत जनगणना के लिए संबंधित वार्ड में कर्मी रहेंगे इसकी सूचना भी पूर्व से रहेगी। वार्ड स्तर के प्रतिनिधि यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई घर छूट नहीं पाए।
समन्वय के लिए अलग से अधिकारी रहेंगे
जातिगत जनगणना की वजह से प्रशासन से जुड़े काम में किसी तरह का व्यवधान नहीं हो इस बात को ध्यान में रख समन्वय के लिए सभी जिले में एक वरिष्ठ अधिकारी को एक तय अवधि के लिए तैनात किया जाएगा। वह पूरे जिले में चल रही जातिगत जनगणना का काम काज देखेंगे।