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बिहार नगरपालिका कानून में 15 साल बाद बड़ा संशोधन, मुख्‍य पार्षद और मेयर बनना अब अधिक मुश्किल

बिहार सरकार 15 वर्ष पुराने बिहार नगर पालिका कानून-2007 में संशोधन करने जा रही है। आधी औपचारिकता पूरी कर ली गई है। कानून में संशोधन की प्रक्रिया पूरी होते ही बिहार के 263 शहरों में एक बड़ा बदलाव दिखने लगेगा।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sat, 08 Jan 2022 09:27 AM (IST)Updated: Sat, 08 Jan 2022 09:27 AM (IST)
बिहार में नगरपालिका कानून को बदलने की तैयारी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार सरकार 15 वर्ष पुराने बिहार नगर पालिका कानून-2007 में संशोधन करने जा रही है। आधी औपचारिकता पूरी कर ली गई है। कानून में संशोधन की प्रक्रिया पूरी होते ही बिहार के 263 शहर की सरकार के मुखिया को सीधे जनता चुनेगी। नगर पंचायत के मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद, नगर परिषद के सभापति व उप सभापति और नगर निगम के महापौर व उप महापौर बनने के लिए जीते हुए वार्ड पार्षदों के बजाए जनता जनार्दन से जिताने की अपील करेंगे। अभी तक जनता सीधे वार्ड पार्षद को चुनती थी। इसके बाद जीते हुए वार्ड पार्षदों के बीच से मुख्य पार्षद से लेकर महापौर चुने जाते थे।

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दक्षिण भारत के कई राज्‍यों में है ऐसी व्‍यवस्‍था

वर्तमान में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी यह प्रणाली लागू है। दक्षिण भारत के भी कई राज्यों की जनता सीधे महापौर और उप महापौर चुनती है। नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट और राज्यपाल की मुहर लग गई है। अब कानून में संशोधन को अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार अध्यादेश लाने जा रही है।

बजट सत्र का इंतजार नहीं करेगी सरकार

दरअसल, विधानमंडल का बजट मार्च में प्रस्तावित है। ऐसी स्थिति में सरकार ने दो महीने इंतजाम करने के बजाए कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने का निर्णय लिया है। सरकार ने यह पहल राज्य निर्वाचन आयोग के चुनाव संबंधित तैयारियों को ध्यान में रखकर किया है। नया कानून सभी 263 नगर निकायों में लागू होगा।

  • नगर निकायों के प्रमुख को अब सीधे जनता चुनेगी
  • नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर
  • नगर पालिका कानून-2007 के संशोधन को राज्यपाल की मिली मंजूरी
  • सरकार अगले हफ्ते लाएगी कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश

पार्षदों की खरीद-परोख्त लगेगा अंकुश

नगर पालिका कानून-2007 में संशोधन के बाद वार्ड पार्षदों की खरीद-परोख्त पर अंकुश लग जाएगा। यही नहीं, वार्ड पार्षदों की मनमानी नहीं चलेगी। वार्ड पार्षदों के मनमानी की शिकायत काफी अधिक आती थी। दोनों पदों को हासिल करने के लिए मोटी रकम का खेल खेला जाता है। यही नहीं, बीच कार्यकाल में ही अविश्वास प्रस्ताव लाकर विकास कार्य को वार्ड पार्षद बाधित करते थे।

दलगत आधार पर नहीं होगा चुनाव

कानून में संशोधन के साथ यह प्रविधान किया गया है कि प्रत्याशी किसी दल के सिंबल पर नहीं लड़ सकेंगे। यही नहीं, चुनाव के दौरान प्रत्याशियों को किसी दल के झंडा, बैनर या प्रतीक चिह्न के उपयोग प्रतिबंध रहेगा।

नगर पालिका कानून में हुआ संशोधन

नगर पालिका कानून की दो धारा में संशोधन मुख्य रूप से संशोधन किया गया है। इसके अलावा कुछ धाराएं नई जोड़ी गईं हैं। धारा 23(1) और धारा (25) को बदला गया है। धारा 23(1) में अभी तक यह प्रविधान था कि पार्षद अपनी पहली बैठक में बहुमत से महापौर और उप महापौर चुनेंगे। संशोधन के बाद नगर पालिका क्षेत्र के मतदाता सीधा मुख्य पार्षद से लेकर महापौर तक को चुनेंगे। धारा (25) में महापौर और उप महापौर के खिलाफ एक तिहाई पार्षद को अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रविधान था। संशोधन के बाद विसंगति समाप्त हो जाएगी।


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