बिहार सरकार ने डॉक्टरों के 2580 फ्लोटिंग पद सृजित किए, एमबीबीएस और डिप्लोमा पास डॉक्टरों कीजल्द होगी नियुक्ति
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में डाॅक्टरों की कमी को दूर करने के लिए 2580 फ्लोटिंग पद सृजित किए हैं। इन पदों पर राज्य के मेडिकल कालेज व अस्पताल से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को जल्द नियुक्त किया जाएगा। ये डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य रूप से सेवा देंगे।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार में डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग (Bihar Health Department) लगातार नए-नए कदम उठा रहा है। एक ओर जहां सेवानिवृत्त डाक्टरों (retired Drs.) को अवधि विस्तार (extension) देकर सेवा में बनाए रखा जा रहा है वहीं मेडिकल के पीजी और डिप्लोमा छात्रों से भी सेवा लेने की व्यवस्था राज्य में की गई है। इसी कड़ी में अब सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र (rural area) में डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए 2580 फ्लोटिंग पद सृजित किए हैं। इन पदों पर राज्य के मेडिकल कालेज व अस्पताल से एमबीबीएस (MBBS) करने वाले छात्रों को नियुक्त किया जाएगा। इन डाक्टरों को अनिवार्य रूप से कम से कम दो वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवा देनी होगी।
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सूबे में सामान्य चिकित्सकों की काफी कमी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के मुताबिक देश में 1456 की आबादी पर एक डाक्टर हैं, जबकि बिहार में 28,391 की आबादी पर एक डाक्टर है। डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में दो वर्ष की अनिवार्य सेवा
विभाग के अनुसार प्रदेश में पीएमसीएच, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान सहित कुल 10 मेडिकल काॅलेज हैं। इन काॅलेजों में एमबीबीएस की कुल 1290 सीटें हैं। एमबीबीएस करने के बाद डाक्टरों की प्राथमिकता पीजी में नामांकन की होती है, लेकिन कम सीटें होने की वजह से अधिसंख्य डाक्टरों का नामांकन नहीं हो पाता। इस समस्या को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में डाक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार ने एमबीबीएस पास करने वाले छात्रों को अनिवार्य रूप से दो वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात करने के लिए 2580 पद सृजित किए हैं।
65 हजार रुपये मानदेय
इन पदों को दो वर्ष में भरा जागा। पहले वर्ष 1290 और दूसरे वर्ष 1290 डाक्टर बहाल किए जाएंगे। इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। इन डाॅक्टरों को सामान्य चिकित्सक के बराबर 65 हजार रुपये का मानदेय दिया जाएगा। पहले वर्ष में 1290 पदों का मानदेय भुगतान करने में 100.62 करोड़ रुपये का भार आए।