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गन्ना किसानों की दुश्वारियों पर चेती बिहार सरकार, चीनी मिलों के मालिक तलब

बिहार के पांच लाख गन्ना किसानों की दुश्वारियों को लेकर कृषि एवं गन्ना विकास मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने गुरुवार को चीनी मिल मालिकों की बैठक बुलाई है। मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठक का सबसे अहम एजेंडा गन्ना मूल्य का निर्धारण और क्रय केंद्रों की परेशानियां हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 11:19 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 11:19 AM (IST)
गन्ना किसानों की दुश्वारियों पर चेती बिहार सरकार, चीनी मिलों के मालिक तलब
बिहार के गन्ना किसानों की दुश्वारियों को लेकर कृषि मंत्री ने आज चीनी मिल मालिकों की बैठक बुलाई है।

राज्य ब्यूरो, पटना: बिहार के पांच लाख गन्ना किसानों की दुश्वारियों को लेकर कृषि एवं गन्ना विकास मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने गुरुवार यानी आज चीनी मिल मालिकों की बैठक बुलाई है। मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठक का सबसे अहम एजेंडा गन्ना मूल्य का निर्धारण और क्रय केंद्रों की परेशानियां हैं। 

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दरअसल, गन्ना सत्र का आधा समय बीतने को है लेकिन अभी तक सरकार गन्ने का मूल्य तय नहीं कर पाई है। सामान्य तौर पर सरकार प्रतिवर्ष अक्टूबर-नंवबर में गन्ने का मूल्य घोषित कर देती थी। इस वर्ष जनवरी बीतने को है लेकिन अभी तक गन्ने का मूल्य का निर्धारण अधर में हैं। इस बीच बिचौलिए मिल मालिकों से साठगांठ कर औने-पौने दाम पर धड़ल्ले से गन्ने की खरीद कर रहे हैं। ऐसी स्थिति खासकर सीतामढ़ी और शिवहर जिले के किसानों के साथ है। धानुका ग्रुप की रीगा चीनी मिल बंद होने की वजह से किसानों की दुश्वारियां बढ़ी हुई हैं। यह स्थिति तब है जबकि गन्ना आयुक्त रीगा चीनी मिल से जुड़े किसानों के गन्ने को दो चीनी मिलों में आवंटित कर चुके हैं। फिर भी किसी चीनी मील ने अभी तक गन्ने का क्रय केंद्र शुरू नहीं किया है। पिछले वर्ष गन्ने का मूल्य अगेती प्रजाति के लिए 310 रुपये क्विंटल, सामान्य प्रजाति के लिए 290 रुपये और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 265 रुपये क्विंटल घोषित किया गया था। इस वर्ष के मूल्य का किसानों को अभी तक इंतजार है। हालांकि किसानों और चीनी मिल मालिकों को मंत्री की पहल पर भरोसा नहीं है। दोनों पक्ष कैबिनेट विस्तार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हस्तक्षेप की बाट जोह रहे हैं।

कौन-कौन चीनी मिल कर रही पेराई

देश का चौथा सर्वाधिक गन्ना उत्पादन करने वाला प्रदेश होने के बावजूद बिहार में महज दस चीनी मिलें ही चालू हैं। कभी 35 चीनी मीलें हुआ करती थीं। वर्तमान में महज दस चीनी मिलें सुगौली, सिधवलिया, नरकटियागंज, हसनपुर, बगहा, लौरिया, मझवलिया, सासामुसा, गोपालगंज और हरिनगर ही चल रही है।


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