आइजीआइएमएस में बिहार का पहला लिवर प्रत्यारोपण इसी माह, मरीज व डोनर चिन्हित Patna News
राजधानी के आइजीआइएमएस में बिहार का पहला लिवर प्रत्यारोपण इसी महीने किया जाएगा। इसके लिए मरीज और डोनर को चिन्हित कर लिया गया है।
नलिनी रंजन, पटना। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में बिहार का पहला लिवर प्रत्यारोपण इसी महीने होगा। लिवर प्रत्यारोपण के लिए आइजीआइएमएस के चिकित्सकों ने मरीज व उनके लिवर डोनर की आवश्यक जांच पूरी कर ली है। अब मुख्यमंत्री चिकित्सा कोष से अनुदान का इंतजार किया जा रहा है। अनुदान जारी होते ही प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। आइजीआइएमएस में होने वाले पहले प्रत्यारोपण के मरीज व डोनर दोनों ही पटना जिला के रहने वाले हैं। आइजीआइएमएस की प्रतीक्षा सूची में लिवर प्रत्यारोपण के करीब एक दर्जन मरीज हैं। बता दें कि आइजीआइएमएस में लिवर प्रत्यारोपण को लेकर बीते एक वर्ष से कवायद की जा रही है।
आइजीआइएमएस से होगी अंग प्रत्यारोपण की मॉनीटरिंग
राज्य में अंग प्रत्यारोपण की मॉनीटरिंग आइजीआइएमएस से होगी। इसके लिए स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) का मुख्यालय आइजीआइएमएस को बनाया गया है। इसके तहत राज्य में अंग प्रत्यारोपण की मॉनीटङ्क्षरग आइजीआइएमएस से ही होगी। आइजीआइएमएस के सोटो कार्यालय में कंप्यूटराइज्ड सिस्टम बनाया गया है। राज्य के किसी भी अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण होगा तो इसकी सूचना सबसे पहले आइजीआइएमएस स्थित सोटो को भेजनी होगी।
इसके बाद सोटो की ओर से नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (नोटो) को दिल्ली भेजना होगा। आइजीआइएमएस के सोटो का अध्यक्ष डॉ. मनीष मंडल को बनाया गया है। बिहार में किसी भी प्रत्यारोपण के लिए यहां से लाइसेंस लेना होगा। किडनी, लिवर व कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए यहां प्रतीक्षा सूची भी जमा करनी होगी। यहां से अपग्रेड कर नेशनल को भेजी जाएगी। यदि कोई बॉडी बंगाल में मिलती है तो वहां से एक अंग पड़ोस के राज्य को भेजना होता है। यदि वह अंग बिहार में आता है तो आइजीआइएमएस तय करेगा कि यह अंग कहां प्रत्यारोपित होगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
पहले लिवर प्रत्यारोपण के लिए मरीज व डोनर चिन्हित कर लिए गए हैं। जनवरी में ही उनका प्रत्यारोपण कराया जाना है। यही नहीं अंग प्रत्यारोपण को लेकर आइजीआइएमएस की सोटो टीम जन जागरुकता अभियान चलाएगी। इसके लिए कार्य योजना बनाई जा रही है।
- डॉ. मनीष मंडल, चिकित्सा अधीक्षक, आइजीआइएमएस