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Bihar Election 2020: राहुल गांधी और कांग्रेस दोनों के लिए बेहद अहम है बिहार चुनाव, नतीजे तय करेंगे दशा-दिशा

Bihar Election 2020 पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए जहां कांग्रेस की केंद्रीय टीम को बिहार आकर मोर्चा संभालना पड़ा वहीं पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी चुनाव में अपनी सक्रियता बढ़ानी पड़ी। राहुल गांधी को पता है कि उनके लिए बिहार चुनाव बेहद अहम हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 09:23 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 06:30 PM (IST)
कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी बिहार चुनाव में 8 रैलियां कर चुके हैं।

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Election 2020 बिहार विधानसभा तक पहुंचने का चुनावी युद्ध धीरे-धीरे ढलान पर है। तीन चरणों के चुनाव में दो चरण बीत चुके हैं। सात नवंबर को जनता अंतिम दौर के चुनाव में अपनी पसंद-नापसंद का इजहार कर चुकी है। इसके साथ ही नई सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। एक लंबे अंतराल के बाद बिहार कांग्रेस को 70 सीटों पर किस्मत आजमाने का मौका मिला। इसके पूर्व 2015 में पार्टी ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 2010 में पार्टी ने अकेले 243 सीटों पर चुनाव तो लड़ा, लेकिन जीत पाई थी महज चार सीटें।

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जबकि 2015 में पार्टी 41 सीटों पर लड़कर 27 पर विजय हासिल करने में सफल हुई थी। 2020 में 70 सीटों पर चुनाव लडऩा कांग्रेस के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं था। नतीजा, पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए जहां कांग्रेस की केंद्रीय टीम को बिहार आकर मोर्चा संभालना पड़ा वहीं पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी चुनाव में अपनी सक्रियता बढ़ानी पड़ी। राहुल गांधी को पता है कि कांग्रेस के साथ-साथ उनके लिए भी बिहार चुनाव बेहद अहम हैं। क्योंकि इसके बाद उनकी लड़ाई बंगाल और यूपी में होनी है।

2020 के चुनाव में राहुल गांधी चार बार बिहार आए और उन्होंने चार दौरों में आठ सभाएं की। इस दौरान राहुल जनता से जुड़े मुद्दों को उठाकर विरोधियों पर हमलावर दिखे। उन्होंने जनता को दिए अपने संबोधन में बेरोजगारी, कोरोना, लॉकडाउन, नोटबंदी, जीएसटी, छोटे व्यापारियों, किसानों की समस्या, केंद्र सरकार की वादा खिलाफी, प्रत्येक वर्ष दो करोड़ रोजगार, तीन नए कृषि कानून, मंडियों की समाप्ति, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, मक्का किसानों की समस्या, बाढ़ से परेशानी, महिलाओं की सुरक्षा जैसे मसलों पर ज्यादा बात की। इन मुद्दों के जरिए वे केंद्र की मोदी और बिहार की नीतीश सरकार पर प्रहार करते दिखे। विश्लेषक भी मानते हैं कि राहुल गांधी पलटवार से बचते दिखे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों का जवाब देने की बजाय उन्हें अपने मुद्दे पर ही फोकस करना ज्यादा माकूल दिखा। बहरहाल राहुल गांधी ने चार नवंबर यानी आज दो आखिरी सभाएं अररिया और मधेपुरा के बिहारीगंज में की। इसके बाद वे दिल्ली लौट गए। पीछे पार्टी की केंद्रीय टीम बिहार में रह गई है। सूत्रों की माने तो सात नवंबर को तीसरे चरण के मतदान के साथ ही केंद्रीय टीम की भी दिल्ली वापसी तय है। 10 नवंबर को जब चुनाव के परिणाम आएंगे तभी यह तय हो पाएगा कि पीएम मोदी के हमलावर तेवर पर जनता ने भरोसा जताया या फिर राहुल गांधी के मुद्दों पर।

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