जब विधानसभा में शिक्षामंत्री ने गजब ढाया, यूं तो होते हैं मोहब्बत में जुनूं के आसार...
बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन शिक्षामंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा सदन में शेरो शायरी के मूड में थे। उन्होंने एक से बढ़कर एक शेर पढ़े जानिए पूरी खबर....
पटना [एसए शाद]। विधानसभा में बुधवार को शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा कुछ अलग अंदाज में ही दिखे। वह अल्लामा इकबाल से शुरू हुए तो फिर 18वीं शताब्दी के मशहूर शायर मुशफी गुलाम हमदानी तक जा पहुंचे। मकसद अपने संबोधन तक विपक्ष के सदस्यों को विधानसभा में रोके रखने का था। मगर उनकी शायरी भी विपक्ष को सदन से वाकआउट करने से रोक नहीं पाई। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने इसपर हंसते हुए कहा कि इतना भारी-भारी शेर सुनाएंगे तो कोई रुकेगा भला।
शिक्षा विभाग की मांग पर सदन में वाद-विवाद में जब सरकार का उत्तर पेश करने कृष्णनंद वर्मा उठे तो उन्होंने विपक्ष को मुखातिब कर अल्लामा इकबाल का यह शेर पढ़ा-'ऐ ताइरे लाहूती, उस रिज्क से मौत अच्छी, जिस रिज्क से परवाज में आती हो कोताही।'
विधानसभा अध्यक्ष ने शेर की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसका मतलब भी सभी को बताएं। मंत्री ने कहा कि ऐ बड़ी हैसियत के पक्षी, ऐसे खाने से मौत अच्छी है जिससे तेरी उड़ान में कोताही आ जाए। स्पीकर ने कहा कि आप हलका-हलका शेर सुनाएंगे तभी लोग रुकेंगे। इतने भारी शेरों को सुन जाने वाला कहां रुक पाएगा भला? लेकिन शिक्षा मंत्री मूड में थे।
उन्होंने फिर विपक्ष पर बशीर बद्र के इस शेर से निशाना साधा-'लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में।' राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी उस समय अपनी सीट पर ही बैठे थे। वह सदन से जाने के मूड में नहीं दिख रहे थे। मगर उन्हें भी सभी के साथ सदन से वाकआउट करना पड़ा। इस मौके को भी कृष्णनंदन वर्मा खोना नहीं चाहते थे।
उन्होंने इस बार लखनऊ के मुशफी गुलाम हमदानी का यह शेर पढ़ डाला-'यूं तो होते हैं मोहब्बत में जुनूं(जुनून) के आसार, और कुछ लोग भी दीवाना बना देते हैं।' उनके कहने का मतलब था कि सिद्दीकी पर उनके सहयोगियों का कुछ ज्यादा ही असर हो गया है, नहीं तो वह सदन से नहीं जाते।
कृष्णनंदन वर्मा ने कहा कि काश मेरी यह बात सुन कर सिद्दीकी साहब जाते। इस पर स्पीकर ने कहा कि आप निश्चित रहें, वह जहां भी होंगे आपकी यह बात उनतक जरूर पहुंच गई होगी।