बिहार: बैंकों ने दिखाई सुस्ती तो निगम ने बांट दिए अरबों के एजुकेशन लोन, जानिए
बैंकों की नाकामी और असहयोगात्मक रवैये के बावजूद बिहार में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना ने मुकाम हासिल किया है। इसमें शिक्षा वित्त निगम का बड़ा योगदान है। जानिए मामला इस खबर में।
By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 03:42 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 10:44 PM (IST)
पटना [सुनील राज]। बैंकों के असहयोग से निराश बिहारी छात्रों को शिक्षा वित्त निगम ने संजीवनी दी है। राज्य सरकार की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर 12वीं पास विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई 'स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना' ने एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। बैंकों की नाकामी और असहयोगात्मक रवैये के बाद शुरू किए गए शिक्षा वित्त निगम ने 50 दिन में वह काम कर दिखाया जो बैंक 17 महीने में नहीं कर पाए। निगम ने 50 दिन की छोटी सी अवधि में नौ हजार से अधिक विद्यार्थियों को 2.60 अरब रुपये का शिक्षा ऋण स्वीकृत कर दिया।
दो दर्जन बैंकों ने दिखाई थी उदासीनता
राज्य सरकार ने दो अक्टूबर 2016 को सात निश्चय के तहत आर्थिक रूप से कमजोर तबके के विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की। योजना प्रारंभ होने के पूर्व शिक्षा ऋण स्वीकृति के लिए सरकार ने 23 राष्ट्रीयकृत बैंकों से करार किया। व्यवस्था बनी कि जिला निबंधन केंद्र के जरिए लोन के लिए मिले आवेदन बैंकों को भेजे जाएंगे और बैंक 15 दिन की मियाद लेकर चार लाख रुपये तक का ऋण स्वीकृत कर देंगे।
बैंकों का रवैया सरकार को पसंद नहीं
शिक्षा ऋण के लिए सरकार की शत प्रतिशत गारंटी के बाद भी बैंकों का रवैया शुरू से सहयोग का नहीं रहा। सच्चाई यह है कि 17 महीने की अवधि में बैंकों को तकरीबन 35 हजार ऋण आवेदन भेजे गए जिसमें से दो हजार आवेदन पर भी बैंक ने स्वीकृति नहीं दी। इसके बाद तत्कालीन मुख्यसचिव अंजनी कुमार सिंह के स्तर पर बैंकों से वार्ता की गई, बैंकर्स कमेटी में शिकायत तक गई लेकिन, स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ।
तब सरकार ने निगम बनाने की ठानी
इसके बाद जनवरी-फरवरी 2018 में सरकार ने फैसला किया कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ अधिक से अधिक छात्रों को देने के लिए सरकार खुद का निगम बनाएगी। आदेश अमल में आया और अप्रैल 2018 में निगम अस्तित्व में आ गया, हालांकि निगम ने आधारभूत संरचना और मानव संसाधन मिलने के बाद 15 जुलाई 2018 से विधिवत काम करना शुरू किया।
पहले दिन स्वीकृत हुए 1500 आवेदन
निगम के काम शुरू करने के साथ ही शिक्षा विभाग ने जिला निबंधन से परामर्श केंद्र के जरिए मिले आवेदन निगम को ऋण स्वीकृति के लिए भेजने शुरू किए। निगम ने तत्परता दिखाते हुए पहले दिन ही तकरीबन 15 सौ आवेदनों का निष्पादन किया।
पहले दिन से लेकर आज तक के बीच निगम की गति में कोई कमी नहीं आई है। निगम की कार्यप्रणाली और सरकार की छात्रों के प्रति सोच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 50 दिन की कार्यावधि में निगम ने कुल 9273 विद्यार्थियों को शिक्षा ऋण के रूप में दो अरब, 60 करोड़, 65 लाख, 23 हजार आठ सौ पांच रुपये का ऋण स्वीकृत किया है। स्वीकृत आवेदनों में दो हजार विद्यार्थियों के बैंक खाते में राशि भी ट्रांसफर भी की जा चुकी है।
ऋण पर एक नजर
पुरुष आवेदक - 7474
ऋण राशि स्वीकृत - 2अरब 10 करोड़ 58 लाख
महिला आवेदक - 1799
ऋण राशि स्वीकृत - 50 करोड़ 71 लाख 13 हजार
सर्वाधिक आवेदन देने वाले जिले
पटना - 742
गया - 454
सिवान - 419
समस्तीपुर - 398
रोहतास - 391
बेगूसराय - 317
दरभंगा -313
एक नजर आवेदन पर
शिक्षा विभाग को मिले जिलों से कुल आवेदन - 54800
निगम को भेजे गए कुल आवेदन - 11589
निगम द्वारा कुल स्वीकृत आवेदन - 9273
दो दर्जन बैंकों ने दिखाई थी उदासीनता
राज्य सरकार ने दो अक्टूबर 2016 को सात निश्चय के तहत आर्थिक रूप से कमजोर तबके के विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की। योजना प्रारंभ होने के पूर्व शिक्षा ऋण स्वीकृति के लिए सरकार ने 23 राष्ट्रीयकृत बैंकों से करार किया। व्यवस्था बनी कि जिला निबंधन केंद्र के जरिए लोन के लिए मिले आवेदन बैंकों को भेजे जाएंगे और बैंक 15 दिन की मियाद लेकर चार लाख रुपये तक का ऋण स्वीकृत कर देंगे।
बैंकों का रवैया सरकार को पसंद नहीं
शिक्षा ऋण के लिए सरकार की शत प्रतिशत गारंटी के बाद भी बैंकों का रवैया शुरू से सहयोग का नहीं रहा। सच्चाई यह है कि 17 महीने की अवधि में बैंकों को तकरीबन 35 हजार ऋण आवेदन भेजे गए जिसमें से दो हजार आवेदन पर भी बैंक ने स्वीकृति नहीं दी। इसके बाद तत्कालीन मुख्यसचिव अंजनी कुमार सिंह के स्तर पर बैंकों से वार्ता की गई, बैंकर्स कमेटी में शिकायत तक गई लेकिन, स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ।
तब सरकार ने निगम बनाने की ठानी
इसके बाद जनवरी-फरवरी 2018 में सरकार ने फैसला किया कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ अधिक से अधिक छात्रों को देने के लिए सरकार खुद का निगम बनाएगी। आदेश अमल में आया और अप्रैल 2018 में निगम अस्तित्व में आ गया, हालांकि निगम ने आधारभूत संरचना और मानव संसाधन मिलने के बाद 15 जुलाई 2018 से विधिवत काम करना शुरू किया।
पहले दिन स्वीकृत हुए 1500 आवेदन
निगम के काम शुरू करने के साथ ही शिक्षा विभाग ने जिला निबंधन से परामर्श केंद्र के जरिए मिले आवेदन निगम को ऋण स्वीकृति के लिए भेजने शुरू किए। निगम ने तत्परता दिखाते हुए पहले दिन ही तकरीबन 15 सौ आवेदनों का निष्पादन किया।
पहले दिन से लेकर आज तक के बीच निगम की गति में कोई कमी नहीं आई है। निगम की कार्यप्रणाली और सरकार की छात्रों के प्रति सोच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 50 दिन की कार्यावधि में निगम ने कुल 9273 विद्यार्थियों को शिक्षा ऋण के रूप में दो अरब, 60 करोड़, 65 लाख, 23 हजार आठ सौ पांच रुपये का ऋण स्वीकृत किया है। स्वीकृत आवेदनों में दो हजार विद्यार्थियों के बैंक खाते में राशि भी ट्रांसफर भी की जा चुकी है।
ऋण पर एक नजर
पुरुष आवेदक - 7474
ऋण राशि स्वीकृत - 2अरब 10 करोड़ 58 लाख
महिला आवेदक - 1799
ऋण राशि स्वीकृत - 50 करोड़ 71 लाख 13 हजार
सर्वाधिक आवेदन देने वाले जिले
पटना - 742
गया - 454
सिवान - 419
समस्तीपुर - 398
रोहतास - 391
बेगूसराय - 317
दरभंगा -313
एक नजर आवेदन पर
शिक्षा विभाग को मिले जिलों से कुल आवेदन - 54800
निगम को भेजे गए कुल आवेदन - 11589
निगम द्वारा कुल स्वीकृत आवेदन - 9273
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