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बिहार में शिक्षा विभाग की इस 'दरियादिली' पर आप क्या कहेंगे, खुद ही तय कीजिए

बिहार के लखीसराय जिले में शिक्षा विभाग के कारनामे का खुलासा हुआ है जिसे जानकर अाप हैरान हो जाएंगे। एक तरफ जहां मृत शिक्षिका को वेतन भुगतान किया जा रहा था तो वहीं एेसे कई मामले हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 04:14 PM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 10:53 PM (IST)
बिहार में शिक्षा विभाग की इस 'दरियादिली' पर आप क्या कहेंगे, खुद ही तय कीजिए
बिहार में शिक्षा विभाग की इस 'दरियादिली' पर आप क्या कहेंगे, खुद ही तय कीजिए

पटना, जेएनएन। बिहार में शिक्षा विभाग के अजब-गजब कारनामे अक्सर देखने को मिल जाते हैं। ताजा मामला शिक्षा विभाग की 'दरियादिली' की है, जहां एक मृत शिक्षिका को साल भर से वेतन का भुगतान किया जा रहा है, तो वहीं नौकरी छोड़ चुकीं पूर्व शिक्षिका को भी शिक्षा विभाग की तरफ से वेतन दिया जा रहा है।

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इतना ही नहीं, आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि एक फर्जी शिक्षिका को उनके नियोजन से तीन साल पहले से ही वेतन का भुगतान कर दिया गया और एक फर्जी शिक्षिका की मृत्यु पर उनके बेटे को अनुकंपा का लाभ देते हुए नौकरी दे दी गई। अब आप ही तय करें कि इसे क्या कहेंगे?

एक समाचार पत्र के मुताबिक लखीसराय जिले में शिक्षा विभाग की लापरवाही सामने आई है जहां विभाग को अपनी इन गलतियों की पूरी खबर है, लेकिन इस मामले में कार्रवाई सिर्फ एक ही केस में हो सकी है और यह कार्रवाई भी अभी महज प्राथमिकी तक ही सीमित है।

जानकारी के मुताबिक सूर्यगढ़ा प्रखंड के हाई स्कूल अलीनगर में पदस्थापित शिक्षिका मोनिका कुमारी की मृत्यु पिछले वर्ष अगस्त महीने में आग लगने से हो गई थी। वहीं पिपरिया प्रखंड के वलीपुर हाई स्कूल की शिक्षिका को झारखंड के नवोदय में पिछले साल ही अगस्त महीने में नौकरी लग गई और वोस्कूल छोड़कर झारखंड चली गईं, उसके बाद से वह वापस नहीं लौटी।

अब शिक्षा विभाग ने दरियादिली दिखाते हुए इन दोनों शिक्षिकाओं को इस वर्ष के जून महीने तक का वेतन का भुगतान कर दिया है। हालांकि जिले के सभी शिक्षकों का वेतन भुगतान जून तक ही हुआ है। 

इस तरह खुली विभाग की पोल

इसका पता तो तब चला जब शिक्षकों का एडवाइस बैंक गया, तो किसी शिक्षक की नजर उन शिक्षिकाओं के नामों पर पड़ी। शिक्षक को मालूम था कि दोनों शिक्षिकाएं अब संबंधित स्कूलों में नहीं हैं, तो उसने सवाल उठाया। शिक्षक द्वारा विभाग को जब इसकी खबर मिली तो विभाग ने संज्ञान लेने की बात कही।

इस बीच सवाल यह उठ रहा है कि बगैर अनुपस्थिति विवरणी देखे विभाग क्यों संबंधित शिक्षिकाओं के खाते में उनकी सैलेरी के पैसे भेजता रहा? नियमत: शिक्षकों के वेतन भुगतान अनुपस्थिति विवरणी जमा करने के बाद ही होते हैं। हाई स्कूल के लिए डीपीओ स्थापना और प्राथमिक और मध्य विद्यालय के शिक्षकों की अनपुस्थिति विवरणी बीइओ को सौंपनी पड़ती है। 

फर्जी तरीके से कर दिया गया वेतन का भुगतान 

प्राथमिक विद्यालय हरिजन टोला इटौन की नूतन कुमारी का नियोजन विभाग ने अवैध माना है। वर्ष 2016 में इनका फर्जी तरीके से नियोजन हो गया। उक्त शिक्षिका को 2013 के मार्च से ही वेतन का भुगतान कर दिया गया। इस मामले में कुछ शिक्षकों और अधिकारियों द्वारा पैसे के घालमेल करने की बात सामने आई, तब जाकर पूरा मामला सामने आया।

इस मामले में लखीसराय के तत्कालीन डीपीओ और वर्तमान में डीइओ सहित अन्य पर प्राथमिकी दर्ज हुई है। कुल 2.90 लाख रुपये राशि का भुगतान नूतन को फर्जी तरीके से किया गया है। 

फर्जी टीचर का बेटा भी बन गया टीचर  

पता चला कि इटौन में ही कार्यरत एक फर्जी शिक्षिका ममता कुमारी की मृत्यु पर अनुकंपा का लाभ देते हुए उनके बेटे संघर्ष राज को विभाग ने नौकरी दे दी। विभाग ने एक पत्र जारी कर ममता और नूतन कुमारी को फर्जी माना है। बावजूद संघर्ष को नौकरी मिल जाना विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है। विभाग का मानना है कि ममता का नियोजन ही नहीं हुआ है, फिर किस तरह से वह शिक्षिका के पद पर बहाल हुई, यह जांच का विषय है।

इस संबंध में लखीसराय के डीपीओ स्थापना रमेश पासवान ने बताया कि दासी कुमारी और मोनिका कुमारी के वेतन भुगतान का मामला सामने आया है। दोनों के वेतन भुगतान पर रोक लगाने के साथ ही बैंक खाता को फ्रीज करने को कहा है। मामले की जांच की जा रही है, जांच के बाद दोषी पर कार्रवाई की जाएगी। 


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