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बिहार शिक्षा विभाग ने अगले पांच वर्ष का तैयार किया रोडमैप, 50 प्रतिशत बच्चों को रोजगारपरक शिक्षा से जोडऩे का लक्ष्य

बिहार शिक्षा विभाग ने अगले पांच सालों के लिए तय किए गए शिक्षा के रोडमैप में छात्र-शिक्षक अनुपात 61 को कम कर 30 पर लाने का लक्ष्य है। 15 सालों में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 50 फीसद बढ़ाना है। स्टेट इंस्टीट्यूशनल रैकिंग फ्रेम वर्क का भी गठन होगा

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 04:19 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 04:19 PM (IST)
बिहार शिक्षा विभाग ने अगले पांच वर्ष का तैयार किया रोडमैप, 50 प्रतिशत बच्चों को रोजगारपरक शिक्षा से जोडऩे का लक्ष्य
स्‍कूली शिक्षा से ही बच्‍चों को हुनरमंद बनाया जाएगा, सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, दीनानाथ साहनी । बिहार की भावी पीढी को बेरोजगारी के दंश से बचाने के लिए अब हरेक बच्चे को पढ़ाई के साथ हुनरमंद भी बनाया जाएगा। फिलहाल इसकी शुरुआत स्कूलों से होगी, जो उच्च शिक्षा तक जारी रहेगी। अगले पांच वर्षों के लिए तैयार किये गए शिक्षा का रोडमैप में बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव की कार्य योजना तैयार की गई है। इसमें अगले पांच साल में 50 फीसद बच्चों को रोजगारपरक शिक्षा से जोडऩे का लक्ष्य है तो वहीं आगामी 15 वर्षों में प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में सकल नामांकन अनुपात 50 फीसद करने का लक्ष्य है। मौजूदा समय में उच्च शिक्षा का यह सकल नामांकन दर 13.6 फीसद है। यदि तय लक्ष्य हासिल हुआ तब उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वालों की संख्या 75 लाख और बढ़ेगी। वर्तमान में 16 लाख 18 हजार विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

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सीएम नीतीश कुमार के समझ जल्‍द होगा प्रेजेंटेशन

शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष शिक्षा का रोडमैप का पावर प्रजेंटेशन शीघ्र होगा। मुख्यमंत्री से  रोडमैप की मंजूरी होने पर बजट का प्रारूप तय होगा। प्रदेश की जमीनी हकीकत और नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए रोडमैप तैयार हुआ है। इसमें प्रत्येक बच्चे को कम से कम किसी एक व्यवसाय से जुड़े कौशल को सीखना अनिवार्य किया जाएगा। रुचि के मुताबिक वह एक से ज्यादा व्यवसायिक प्रशिक्षण भी ले सकता है। रोडमैप में व्यवसायिक शिक्षा को एकीकृत करने का जो प्रस्ताव है, उसमें माध्यमिक कक्षाओं से होते हुए उच्चतर शिक्षा तक इसकी पढ़ाई सुनिश्चित कराने पर फोकस किया गया है। उद्योगों के सहयोग से व्यवसायिक शिक्षा के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक स्टेट लेबल कमेटी फार द इंटीग्रेशन आफ वोकेशनल एजुकेशन का गठन किया जाएगा। मौजूदा समय में व्यवसायिक शिक्षा का जो ढांचा है, उनमें स्कूल और उच्च शिक्षा के बीच कोई लिंक नहीं है। यानी स्कूल में यदि कोई व्यवसायिक शिक्षा की पढ़ाई कर रहा है, तो वह उसे लेकर उच्च शिक्षा में भी पढ़ सके, इसका कोई सीधा रास्ता नहीं है। फिलहाल रोडमैप में जो कोशिश है, उसके तहत हरेक बच्चा हुनरमंद होगा।

हर जिले के आसपास होगा उच्च शिक्षण संस्थान

उच्च शिक्षा के लिए घर छोड़कर दूर जाने की शायद जरूरत नहीं होगी। रोडमैप में उच्च शिक्षा के बीच की इस दूरी को पाटने की बड़ी पहल की गई है। इसके तहत आने वाले वर्षां प्रत्येक जिले या आसपास ही एक ऐसा बड़ा बहु-ïिवषयक संस्थान विकसित या स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें सभी विषयों की पढ़ाई हो सके। यह संस्थान सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्र के हो सकते हैं।

हर संस्थान की रैकिंग होगी अनिवार्य

प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए रोडमैप में यह व्यवस्था की गई है कि हर शिक्षण संस्थान की रैकिंग अनिवार्य होगी। साथ ही ऑनलाइन शिक्षा, अनुसंधान को बढ़ावा देना, नैक से मूल्यांकन कराना भी जरूरी होगा। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों का नेशनल इंस्टीच्यूटनल रैकिंग फ्रेमवर्क की तर्ज पर स्टेट इंस्टीट्यूशनल रैकिंग फ्रेम वर्क का गठन होगा। यह संस्था संबद्ध डिग्री कॉलेजों का मूल्यांकन भी करेगा।


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