लालू परिवार ने टाटा की संपत्ति ही नहीं, मेडिकल की डिग्रियां भी हासिल कीं: सुशील मोदी
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने तेजस्वी यादव और लालू परिवार पर नया आरोप लगाते हुए कहा है कि तेजस्वी टाटा स्टील कंपनी की संपत्ति के भी मालिक हैं।
By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 30 Apr 2018 03:35 PM (IST)Updated: Mon, 30 Apr 2018 08:37 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने सोमवार को एक लालू परिवार की एक और संपत्ति का भंडाफोड़ किया है। इस संबंध में उन्होंने तेजस्वी यादव से पूछा कि नेता प्रतिपक्ष बताएं कि टाटा गेस्ट हाउस की रजिस्ट्री कराने के लिए 65 लाख रुपये का भुगतान करने वाला राजेश कुमार नामक व्यक्ति कौन है। उस व्यक्ति का मुखौटा कंपनी फेयरग्रो से क्या संबंध है।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से मुखातिब सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि टाटा कंपनी को 1990-2002 तक अनेक प्रकार से लालू-राबड़ी सरकार ने उपकृत किया और इसके बदले गेस्ट हाऊस के साथ ही साथ लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती का नामांकन योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि टाटा कंपनी के कोटे से टाटा मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर में कराया गया।
इतना ही नहीं लालू प्रसाद की एक और बेटी रोहिणी आचार्य, लालू के कबाब मंत्री अनवर अहमद की बेटी और लालू के अत्यंत विश्वस्त अलकतरा घोटाले के आरोपी मंत्री इलियास हुसैन की बेटी आसमां का नामांकन भी टाटा मेडिकल कॉलेज में टाटा कोटे से कराया गया था।
बकौल सुशील मोदी, आयकर विभाग ने तेजस्वी यादव की जिस संपत्ति को 9 फरवरी को जब्त किया है वह संपत्ति टाटा की थी। 30 अक्टूबर 2002 को टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड के 7105 वर्गफुट जमीन पर निर्मित 5348 वर्गफुट के दो मंजिले मकान को फर्जी कंपनी जिसके निदेशक तेजस्वी सहित लालू परिवार के अन्य सदस्य थे, ने खरीद लिया। यह मकान 1990 से 2000 तक संयुक्त बिहार के दौरान और उसके बाद भी वर्षों तक टाटा का दफ्तर तथा गेस्ट हाउस हुआ करता था।
उन्होंने कहा कि 2002 में जब यह बेशकीमती जमीन और मकान की खरीद दिखाई गई है, उस समय राज्य की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं। टाटा कंपनी के इस बेशकीमती मकान को खरीदने के लिए फेयरग्रो जैसी फर्जी कंपनी का इस्तेमाल किया गया।
उप मुख्यमंत्री ने सवाल किया आखिर टाटा ने एक फर्जी कंपनी को ही अपनी संपत्ति क्यों बेची? इसके साथ ही झारखंड बनने के मात्र दो साल के भीतर राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व काल में ही क्यों टाटा कंपनी ने अपनी संपत्ति बेची? उन्होंने सवाल किया है कि 10 साल बाद इस फर्जी कंपनी सहित टाटा कंपनी के मकान के मालिक तेजस्वी एवं लालू परिवार कैसे हो गए?
उन्होंने कहा कि 1990 से 2000 तक लालू राबड़ी के 10 वर्षों के शासनकाल में टाटा कंपनी पर किए गए उपकार के बदले टाटा स्टील ने प्रेमचंद गुप्ता के लोगों की कंपनी फेयरग्रो को अपनी संपत्ति लिख दी और कुछ वर्ष बाद डिलाइट मार्केटिंग के समान ही तेजस्वी कंपनी सहित पूरी संपत्ति के मालिक बन बैठे।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से मुखातिब सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि टाटा कंपनी को 1990-2002 तक अनेक प्रकार से लालू-राबड़ी सरकार ने उपकृत किया और इसके बदले गेस्ट हाऊस के साथ ही साथ लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती का नामांकन योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि टाटा कंपनी के कोटे से टाटा मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर में कराया गया।
इतना ही नहीं लालू प्रसाद की एक और बेटी रोहिणी आचार्य, लालू के कबाब मंत्री अनवर अहमद की बेटी और लालू के अत्यंत विश्वस्त अलकतरा घोटाले के आरोपी मंत्री इलियास हुसैन की बेटी आसमां का नामांकन भी टाटा मेडिकल कॉलेज में टाटा कोटे से कराया गया था।
बकौल सुशील मोदी, आयकर विभाग ने तेजस्वी यादव की जिस संपत्ति को 9 फरवरी को जब्त किया है वह संपत्ति टाटा की थी। 30 अक्टूबर 2002 को टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड के 7105 वर्गफुट जमीन पर निर्मित 5348 वर्गफुट के दो मंजिले मकान को फर्जी कंपनी जिसके निदेशक तेजस्वी सहित लालू परिवार के अन्य सदस्य थे, ने खरीद लिया। यह मकान 1990 से 2000 तक संयुक्त बिहार के दौरान और उसके बाद भी वर्षों तक टाटा का दफ्तर तथा गेस्ट हाउस हुआ करता था।
उन्होंने कहा कि 2002 में जब यह बेशकीमती जमीन और मकान की खरीद दिखाई गई है, उस समय राज्य की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं। टाटा कंपनी के इस बेशकीमती मकान को खरीदने के लिए फेयरग्रो जैसी फर्जी कंपनी का इस्तेमाल किया गया।
उप मुख्यमंत्री ने सवाल किया आखिर टाटा ने एक फर्जी कंपनी को ही अपनी संपत्ति क्यों बेची? इसके साथ ही झारखंड बनने के मात्र दो साल के भीतर राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व काल में ही क्यों टाटा कंपनी ने अपनी संपत्ति बेची? उन्होंने सवाल किया है कि 10 साल बाद इस फर्जी कंपनी सहित टाटा कंपनी के मकान के मालिक तेजस्वी एवं लालू परिवार कैसे हो गए?
उन्होंने कहा कि 1990 से 2000 तक लालू राबड़ी के 10 वर्षों के शासनकाल में टाटा कंपनी पर किए गए उपकार के बदले टाटा स्टील ने प्रेमचंद गुप्ता के लोगों की कंपनी फेयरग्रो को अपनी संपत्ति लिख दी और कुछ वर्ष बाद डिलाइट मार्केटिंग के समान ही तेजस्वी कंपनी सहित पूरी संपत्ति के मालिक बन बैठे।
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