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Bihar CoronaVirus News: पलट कर देखा तो बढ़ गया कोरोना से मौत का आंकड़ा

बिहार में अचानक कोरोना मृतकों की संख्या बढ़ने का असर राष्ट्रीय आंकड़ों पर भी पड़ा और बुधवार को 6139 मौतें दर्ज की गईं जो दुनिया में एक दिन का सबसे बड़ा आंकड़ा रहा। पटना के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती के लिए ऐसे लगी थी मरीजों की कतार। जागरण आर्काइव

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 10:05 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 10:07 AM (IST)
राष्ट्रीय स्तर पर मौतों के मामले में जहां बिहार का स्थान पहले 16वां था, वह अब 12वां हो गया है।

पटना, आलोक मिश्र। बिहार में बढ़े मौत के आंकड़े इस समय चर्चा में है। सरकारी संख्या पर उठ रहे सवालों पर विराम लगाने के लिए दोबारा गिनती कराई गई तो 3951 मौंते और सामने आ गईं, जो पहले गिनती में नहीं थीं। इस संख्या से राष्ट्रीय आंकड़ों में भी फेरबदल हो गया और अन्य राज्यों पर भी दबाव बढ़ गया है कि वे भी पलट कर फिर से गिनती करें।

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उल्लेखनीय है कि अप्रैल-मई के दौरान कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हो रही मौतों ने सभी को झकझोर कर रख दिया था। अंत्येष्टि स्थलों पर लगी शवों की कतारें, सरकारी आंकड़े पर सवालिया निशान लगा रही थी। ऐसे में हाई कोर्ट को भी सरकार की संख्या पर विश्वास नहीं था। विपक्ष भी सरकार पर इस मामले में सही संख्या छिपाने का आरोप लगा रहा था। अब इसे चौतरफा दबाव कहें या फिर राज्य सरकार का खुद का निर्णय, बहरहाल दोबारा गिनती कराने के लिए दो टीम बनाई गई। इस टीम ने 20 दिन बाद मंगलवार को जो रिपोर्ट पेश की उसमें कोरोना संक्रमण से मरने वालों की 3951 की संख्या बढ़ी हुई थी। इससे पहले 5424 मौतें ही बताई जा रही थी। बुधवार को सरकार ने जांच के बाद संशोधित आंकड़े जारी किए तो संख्या 9375 पहुंच गई। यानी मौत का आंकड़ा 72.84 फीसद बढ़ गया। अभी भी सभी जिलों में जांच जारी है। जिससे यह संख्या और बढ़ सकती है।

बढ़ी संख्या को लेकर विपक्ष यह कहकर हमलावार है कि सरकार ने अपनी छवि बनाए रखने के लिए मौतों की संख्या छिपाई थी। जबकि सरकार का तर्क है कि उस समय इलाज के लिए अन्य जिलों से आने वालों की राह में हुई मौतों को शामिल नहीं किया जा सका था। ग्रामीण इलाकों से भी सूचना नहीं मिल रही थी। निजी अस्पतालों से भी सही आंकड़े नहीं मिल सके थे। इन सभी को अब जांच के बाद साफगोई से जोड़ा गया है। टीम के अलावा फोन पर भी मिलने वाली सूचनाओं को दर्ज किया जा रहा है। शुरूआत में सही तस्वीर सामने न आने को सरकार ने गंभीरता से लिया है और लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की बात कही है। लापरवाही इसलिए कि जिन्हें मृत दिखाया गया वे एक दिन पहले तक स्वस्थ लोगों के रिकार्ड में दर्ज थे। अब उनकी संख्या घट गई है। इसके कारण रिकवरी का आंकड़ा 98.7 से हटकर 97.65 पर आ गया।

इतना ही नहीं, बिहार में अचानक कोरोना मृतकों की संख्या बढ़ने का असर राष्ट्रीय आंकड़ों पर भी पड़ा और बुधवार को 6139 मौतें दर्ज की गईं जो दुनिया में एक दिन का सबसे बड़ा आंकड़ा रहा। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर मौतों के मामले में जहां बिहार का स्थान पहले 16वां था, वह अब 12वां हो गया है। भले ही बढ़े आंकड़ों पर राज्य सरकार की आलोचना हो, लेकिन एक तरह से बिहार ने अन्य राज्यों के लिए एक नजीर पेश की है। अब उन पर भी दबाव बढ़ गया है कि वे भी जांच कराएं और सही तस्वीर पेश करें। चूंकि बिहार ही एक ऐसा राज्य है जहां कोरोना से मौत पर चार लाख का मुआवजा दिया जा रहा है। इसलिए बिहार में इस कदम को सराहनीय माना जा रहा है। जिस दिन मौत के नए आंकड़े सरकार को मिले, उसी दिन कैबिनेट में 300 करोड़ रुपये भी इस मद में जारी कर दिए गए। मुआवजे के लिए अब वो लोग भी सामने आ रहे हैं जिन्होंने अपने स्वजन की मौत पर कोरोना के कारण को छिपाया था। अब लोग फोन से भी सूचना दे रहे हैं और उसे जोड़ा जा रहा है।

इसके अलावा, इस प्रक्रिया को भी इतना सरल बना दिया गया है कि मुआवजा लेने के लिए भी किसी को बहुत भागदौड़ की जरूरत नहीं पड़ रही। इससे उन तमाम लोगों के आंसू कुछ हद तक पुछे हैं, जिन्होंने अपनों को खोया है। अब शुक्रवार को सरकार ने जांच के बाद की रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी है। हालांकि हाई कोर्ट सरकार की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हआ है और शनिवार को भी इस पर सुनवाई जारी रहेगी। मामले पर राजनीति भी अपने अपने स्तर से जारी है।

[स्थानीय संपादक, बिहार]


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