बिहार कांग्रेस के गले की हड्डी बने नवनियुक्त जिलाध्यक्ष, असमंजस में आलाकमान
संगठन चुनाव के बीच प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने के बाद बिहार कांग्रेस नई मुसीबत में फंस गई है। 38 में से दो दर्जन जिलों के अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है। आलाकमान भी असमंजस में है।
पटना [सुनील राज]। संगठन चुनाव के बीच में सत्ता परिवर्तन किए जाने के साथ ही बिहार प्रदेश कांग्रेस एक नई मुसीबत में फंस गई है। 38 जिलों में से तकरीबन दो दर्जन जिलों के लिए जिलाध्यक्षों को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी के कार्यकाल में ही नियुक्त कर दिया गया था। अब उन्हें बनाए रखने को लेकर कांग्रेस आलाकमान के सामने असमंजस की स्थिति है।
करीब चार दिन पहले ही बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने जिलाध्यक्षों के चुनाव स्थगित करने के आदेश दिए थे। जिसे लेकर कांग्रेस से नाराज गुट के नेताओं ने आरोप लगाए कि संगठन चुनाव की पूरी प्रक्रिया सांगठनिक चुनाव आयुक्त देखते हैं। ऐसे में किसी कार्यकारी अध्यक्ष का, जिलाध्यक्षों का चुनाव स्थगित करने का अधिकार कहां से मिला। नाराज गुट का आरोप था कि कार्यकारी अध्यक्ष चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रहे हैं।
विरोधियों के इस जवाबी हमले के बाद अब कार्यकारी अध्यक्ष ने बयान जारी कर विरोधियों को हिदायत दी है कि यदि कांग्रेस का कोई भी नेता दल में रहते हुए दल को कमजोर करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे। कादरी ने अपने बयान में साफ किया है कि संगठन चुनाव का अंतिम निर्णय केंद्रीय निर्वाचन प्राधिकार के स्तर पर ही लिया जाता है। गंभीर शिकायतें मिलने के बाद जिलाध्यक्षों के चुनाव पर रोक लगाई गई है।
सूत्रों की मानें तो इस विवाद की असल वजह कुछ और है। दरअसल पार्टी संगठन को यह भय सता रहा है कि जिस अध्यक्ष के कार्यकाल में जिलाध्यक्ष नियुक्त किए गए यदि वे भविष्य में पाला बदल कर उसके साथ जाते हैं तो पार्टी के लिए मुसीबत हो सकती है। इतना ही नहीं पार्टी को यह भय भी है कि कहीं नवनियुक्त जिलाध्यक्ष पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति चुनाव से कराने की मांग न कर दें।
बहरहाल इन तमाम शंका-आशंका के बीच बिहार के संगठन चुनाव पदाधिकारी व राज्यसभा सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने एक बयान जारी कर साफ कर दिया है कि संगठन चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा तय मियाद के अंदर कर दी जाएगी।
इधर पार्टी के पूर्व प्रवक्ता विनोद सिंह यादव ने बयान जारी कर कहा कि निर्वाचन पदाधिकारी ने जिलों में निर्वाचन प्रक्रिया पूरी कर ली है। अब इस पर रोक लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है।