Move to Jagran APP

Bihar Politics: एक मुलाकात, सरकार बनवाने और चलाने वाले की; नीतीश के तीर का प्रशांत बन गए शिकार!

Bihar Politics इस मुलाकात से एक झटके में सरकार चलाने वाले ने राजनीतिक रणनीतिकार की रणनीति को धता बता दिया। फिलहाल तो इस मुलाकात का यही परिणाम दिखा है आगे क्या होता है वह तो समय ही बताएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 17 Sep 2022 11:53 AM (IST)Updated: Sat, 17 Sep 2022 11:53 AM (IST)
Bihar Politics: एक मुलाकात, सरकार बनवाने और चलाने वाले की; नीतीश के तीर का प्रशांत बन गए शिकार!
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मुलाकात।

पटना, आलोक मिश्रा। नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर उर्फ पीके, इन दोनों नाम से अनजान लोग आपको कम मिलेंगे। नीतीश कुमार को जहां लगभग 17 वर्षों से सरकार चलाने का अनुभव है तो वहीं प्रशांत किशोर कई राज्यों में सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर चुके हैं। पीके की पहचान एक ऐसे ठेकेदार के रूप में कही जा सकती है, जिसने जहां ठेका लिया, गद्दी दिलवा दी। हां, कहीं-कहीं उनकी चली भी नहीं, लेकिन उनका नाम अधिकतर जीत के साथ ही जुड़ता रहा।

loksabha election banner

बिहार में वर्ष 2015 में नीतीश और लालू की मिली-जुली सरकार जिसे महागठबंधन सरकार के नाम से भी जाना जाता है, उसे बनवाने में भी उनका योगदान था। आजकल वे नीतीश कुमार के खिलाफ हैं और अपना राजनीतिक प्रयोग कर रहे हैं। इसी विरोधी समय के बीच चार दिन पहले नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात हो गई। इस मुलाकात में रहा क्या, यह तो किसी ने नहीं बताया, लेकिन हवा के अनुसार सरकार चलाने वाला उन पर भारी पड़ा है।

दरअसल बीते दिनों किसी घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि, अरे! उनको इसकी ए, बी, सी भी आती है क्या? राजनीतिक रणनीतिकार कहे जाने वाले प्रशांत किशोर ने बस इस बात को धर लिया। हाल ही के एक साक्षात्कार में उन्होंने नीतीश का उपहास उड़ाते हुए कहा कि हम लोग तो ए, बी, सी नहीं जानते, लेकिन वे तो ए से जेड तक जानते हैं। इसी को आधार बनाकर उन्होंने तमाम मुद्दों को उठाते हुए नीतीश कुमार का खूब उपहास उड़ाया। यह पहला मौका नहीं था। इधर राजद के साथ बनने वाली नई सरकार के बाद उनके प्रहार तेज हो गए थे। किसी तगड़े विपक्षी की तरह प्रशांत किशोर नीतीश के खिलाफ लगातार हमलावर थे। ये वही प्रशांत किशोर हैं जिन्होंने 2015 में राजद के साथ मिलकर जदयू की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।

बाद में नीतीश से अलग होकर बंगाल आदि राज्यों में किसी प्रमुख राजनीतिक दल के साथ ऐसे प्रयोग में लगे रहे। बीच में कांग्रेस में आने की चर्चा चली, लेकिन बात नहीं बनी। प्रशांत किशोर अपने गृह राज्य बिहार लौट आए और राजनीतिक शुचिता की बात करते हुए खुद राजनीति में उतर आए। वह भी दल बनाकर नहीं कंपनी बनाकर, जिसका नाम है आइपैक (इंडियन पालिटिकल एक्शन कमेटी)। जैसे किसी भी सत्ता विरोधी का काम होता है सत्ता का विरोध, उसी तरह पीके भी जुटे हैं बिहार में। उनका जनसुराज अभियान जारी है। इसमें वह प्रबुद्ध लोगों से मुलाकात कर अपना आधार तैयार कर रहे हैं। दो अक्टूबर से जनसुराज यात्रा पर निकलने वाले हैं। सारी तैयारी पूरी हो गई थी कि अचानक यह प्रचारित होने लगा कि पीके की नीतीश से मुलाकात हो सकती है और इसके सूत्रधार बन सकते हैं पूर्व राज्यसभा सदस्य पवन वर्मा।

पवन वर्मा प्रशासनिक अधिकारी थे, जो भूटान में राजदूत भी रह चुके हैं। नीतीश ने इन्हें राज्यसभा भेजा था, बाद में ये तृणमूल कांग्रेस से जुड़ गए। हाल ही में उन्होंने तृणमूल से किनारा किया है। ये अटकलें चल ही रही थीं कि मंगलवार को दोपहर में पवन वर्मा की नीतीश से मुलाकात हो गई। इस मुलाकात के साथ पीके को लेकर भी बात चलने लगी, लेकिन पवन वर्मा ने इसे शिष्टाचार मुलाकात कह टरका दिया। बुधवार सुबह समाचार आम हुआ कि रात पीके-नीतीश की मुलाकात हुई।

पवन वर्मा टरकाते रहे, पीके का खेमा भी शांत रहा, लेकिन नीतीश ने ही कह दिया कि सामान्य मुलाकात थी। साथ आएंगे क्या, इस सवाल को हंसकर यह कहते हुए टाल दिया कि उनसे ही पूछ लीजिए। इसके बाद पीके को भी स्वीकारना पड़ा कि हां, मिले थे, लेकिन साथ की कोई बात नहीं हुई। इस मुलाकात का असर नीतीश पर पड़ा हो या न हो, लेकिन पीके पर जरूर पड़ा। वह अपनी ही उस टीम के संदेह के घेरे में आ गए, जो उनके साथ उनके अभियान में जुटी है।

मुलाकात के समय से ही पलटूराम से मिलने जैसे संदेश चलने लगे। इन संदेशों में संदेह भी था कि ऐसा नहीं हो सकता। लेकिन खबर पूरी तरह बाहर आ जाने के बाद जब प्रमाणित हो गया तो लोग साथ छोड़ने लगे। पूरे ग्रुप के सारे संदेश मिटा दिए गए और नए लोग जोड़े गए, लेकिन अभी तक पदयात्रा के लिए नाम मांगे जाने पर नाम नहीं आ रहे। पूरे घटनाक्रम से पीके संदेह के घेरे में आ गए हैं। इतने दिन की मेहनत पर असर पड़ गया। अब फिर से उन्हें अपनी टीम को एकजुट करना है। जबकि दूसरी तरफ नीतीश कुमार प्रदेश में बढ़ चले अपराधों पर उठ रहे सवालों का सामना कर रहे हैं। वे अपने पुराने ढर्रे पर हैं, यानी इस मुलाकात से एक झटके में सरकार चलाने वाले ने राजनीतिक रणनीतिकार की रणनीति को धता बता दिया। फिलहाल तो इस मुलाकात का यही परिणाम दिखा है, आगे क्या होता है वह तो समय ही बताएगा।

[स्थानीय संपादक, बिहार]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.