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सियासी गहमागहमी के बीच काबिले ताऱीफ है माटी, पानी और हरियाली की बात

बिहार में चल रही सियासी गहमागहमी के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जल-जीवन हरियाली यात्रा का कार्यक्रम सराहनीय प्रयास है। पर्यावरण संरक्षण के लिए ये कदम काबिलेतारीफ है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 02:43 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 10:16 PM (IST)
सियासी गहमागहमी के बीच काबिले ताऱीफ है माटी, पानी और हरियाली की बात
सियासी गहमागहमी के बीच काबिले ताऱीफ है माटी, पानी और हरियाली की बात

पटना [मनोज झा, स्थानीय संपादक, बिहार]। जब सिर पर चुनाव हो तो राजनीतिक गलियारे से आमतौर पर लोकलुभावन नारे या मुद्दे ही उछाले जाते हैं। सस्ता अनाज, खाना, कपड़ा, टीवी, मुफ्त लैपटॉप, ऋण माफी जैसे चुनावी शिगूफों की इस देश में कोई कमी नहीं है। इनमें से कई नारे और वादे कारगर भी साबित होते रहे हैं।

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इतना ही नहीं, वोटरों से वादा करके सत्ता में आई पार्टी या सरकार इसे एक हद तक पूरा करने का प्रयास भी करती है। ताजा उदाहरण महाराष्ट्र का है, जहां शिवसेना ने रियायती दर पर खाना उपलब्ध कराने के अपने चुनावी वादे को पूरा करने की तैयारी शुरू कर दी है।

ऐसे सियासी माहौल के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस बात के लिए तारीफ करनी होगी कि उन्होंने एक ऐसे मिशन को पूरा करने का संकल्प लिया है, जिसे लेकर अभी आम जनता में जागरूकता का पर्याप्त अभाव है। लोकलुभावन तो यह कतई नहीं है। बात जल, जीवन और हरियाली मिशन की हो रही है। 

गांधी जयंती के मौके पर पूरे प्रदेश में एक साथ शुरू किए गए इस मिशन का संकल्प और लक्ष्य बेशक बहुत बड़ा और व्यापक है, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे लेकर जिस तरह इच्छाशक्ति और सक्रियता दिखाई है, उससे ऐसा लग रहा है कि बिहार इस मामले में फिर एक नजीर पेश कर सकता है। नीतीश ने इसे लेकर न सिर्फ सरकार की पूरी मशीनरी को कमर कसने को कहा है, बल्कि इसकी मॉनीटरिंग के लिए खुद ही कमान संभालने की बात भी कही है।

उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि पूरे प्रदेश में तालाब और कुओं को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा। इसके लिए समय सीमा भी तय कर दी गई है। चूंकि इस मिशन को लेकर मुख्यमंत्री गंभीर दिखाई देते हैं, इसलिए बहुत संभव है कि इसके कुछ ठोस नतीजे भी जरूर देखने को मिलेंगे।

इस मिशन में जल संसाधनों के जीर्णोद्धार और उन्हें सहेजने के साथ-साथ हरियाली के विस्तार का भी संकल्प जताया गया है। इसके तहत प्रदेश में छह करोड़ पौधे रोपने की योजना है। ऐसे में यह देखना जरूरी होगा कि इस मिशन के परवान चढऩे की कितनी संभावना है? साथ ही यह भी कि इसकी राह में मुख्य बाधाएं क्या हैं? 

इस बात में संदेह नहीं कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर केंद्र से लेकर प्रदेश सरकारें गंभीर हैं। हालांकि यह अलग है कि सरकार के स्तर की शुरुआती गंभीरता बाद में अमल के स्तर पर जाते-जाते उदासीनता के दंश का शिकार होने लगती है। ऐसा इसलिए भी इन योजनाओं या अभियानों से ऐसे सरोकार जुड़े हैं, जो सीधे तौर पर किसी व्यक्ति या मतदाता समूह को प्रभावित नहीं करते।

प्रदूषित हवा, सिमटती हरियाली या दम तोड़ते नदी-तालाब तात्कालिक तौर पर कोई नुकसान पहुंचाते नहीं दिखाई देते हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रति उदासीनता का नुकसान दीर्घकालिक या स्थायी है। दूसरे शब्दों में चूंकि यह समस्या पूरे समाज, देश या भूगोल से जुड़ी है, इसलिए निजी तौर पर इसे लेकर संवेदनशीलता का अभाव दिखाई देता है।

यही कारण है कि हम अपने घर को तो साफ-सुथरा रखते हैं, जबकि पड़ोस या मोहल्ले में कूड़ा फेंकने से बाज नहीं आते। ऐसे हालात के बीच मुख्यमंत्री ने जिस अंदाज में जल, जीवन और हरियाली मिशन को लेकर अपना संकल्प दिखाया है, उससे यह स्पष्ट है कि सरकार के इस प्रयास में हम सभी को साथ-साथ कमर कसनी होगी।

इसी प्रकार नौकरशाही भी जिस तरह चुनाव के दौरान पूरी सक्रियता से अपनी जिम्मेदारी निभाती है, कुछ उसी मूड-मिजाज से उसे इस मिशन को भी लेना होगा।

बिहार के संदर्भ में सबसे संतोषजनक बात यह है कि तमाम दुश्वारियों के बावजूद इस प्रदेश ने पूर्व में कुछ ऐसे व्यापक हित के सामाजिक मुद्दों को लेकर दृढ़ संकल्प और उच्च संवेदनशीलता दिखाई है। शराबबंदी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

तमाम आलोचनाओं के बावजूद जिस तरह शराबबंदी ने बिहार में सामाजिक सुधार की राह एक हद तक आसान बनाई है, उससे यह पता चलता है कि ठोस पहल होनी चाहिए, बाकी का काम लोग मिल-जुलकर पूरा कर लेते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो जल, जीवन और हरियाली मिशन भी उम्मीद जगाती है।

ऐसा इसलिए, क्योंकि बिहार के बंटवारे के समय प्रदेश में वनाच्छादित क्षेत्र बहुत कम रह गया था। तब से सरकार और समाज के समवेत संकल्प और प्रयास का ही शायद यह परिणाम है कि आज हरियाली का दायरा निरंतर बढ़ता जा रहा है।

लोग पानी और हरियाली बचाने को लेकर जागरूक भी हुए हैं। ऐसे में यह उम्मीद की जानी चाहिए कि जल, जीवन और हरियाली का मिशन को भी कामयाब बनाकर बिहार देश के सामने एक अच्छा उदाहरण पेश करेगा। मुख्यमंत्री ने ऐसी अपेक्षा भी जताई है।


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