Move to Jagran APP

Bihar Chunav 2020: मायावती की ताजा कसम उपेंद्र कुशवाहा और ओवैसी के वादे पर भारी पड़ सकती है

Bihar Chunav 2020 बिहार विधान सभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने ओवैसी और कुशवाहा की पार्टी सहित छह दलों के साथ ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट बनाया है। फ्रंट में समाजवादी पार्टी भी शामिल है। उनकी ताजा कसम ने इन दाेनों नेताओं को असमंजस में डाल दिया है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 10:56 AM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 10:22 PM (IST)
Bihar Chunav 2020: मायावती की ताजा कसम उपेंद्र कुशवाहा और ओवैसी के वादे पर भारी पड़ सकती है
बहुजन समाज पार्टी की राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष व यूपी की पूर्व सीएम मायावती ।

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Chunav 2020:  मायावती की ताजा कसम एक हद तक बिहार की चुनावी राजनीति को भी प्रभावित कर सकती है। बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) ने बसपा और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) समेत छह दलों के साथ ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट बनाया है। इसी फ्रंट के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव की पार्टी समाजवादी जनता दल भी है।

loksabha election banner

बढ़ गई उलझन

चुनावी राजनीति में इस फ्रंट को मुस्लिम, दलित एवं कुशवाहा वोटरों का गठजोड़ माना जा रहा है। मायावती के नए एलान से बिहार में बसपा के सहयोगी दलों, प्रत्याशियों एवं मतदाताओं के सामने बड़ी उलझन खड़ी हो गई है। महागठबंधन से अलग होकर समरस समाज बनाने के कुशवाहा के दावों पर भी इससे प्रश्न खड़ा हो सकता है।

बसपा में बगावत का आरोप समाजवादी पार्टी पर

सीमांचल के कई जिलों में मुस्लिमों की अच्छी आबादी है। यहां मतदान होना अभी बाकी है। इसी दौरान मायावती ने यूपी में अपने विधायकों की बगावत का आरोप समाजवादी पार्टी पर लगाते हुए उसे सबक सिखाने की कसम खाई है। उन्होंने कहा है कि जरूरत पड़ी तो इसके लिए वह भाजपा का समर्थन लेंगी या भाजपा को समर्थन दे सकती हैं। मायावती के इस बयान ने भाजपा विरोधी वोटरों को उलझन में डाल दिया है।

ऐसे में बिहार में नया फ्रंट खोलकर वोटरों को गोलबंद करने में जुटे ओवैसी एवं उपेंद्र कुशवाहा के प्रयासों के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। बसपा के प्रत्याशियों के सामने भी सहयोगी दलों के साथ सामंजस्य का संकट है। गठबंधन के तहत बसपा 80 सीटों पर लड़ रही है। सबसे ज्यादा रालोसपा के हिस्से में 104 सीटें हैं। समाजवादी जनता दल 25 सीटों पर लड़ रही है। ओवैसी ने भी 24 प्रत्याशियों को मैदान में उतार रखा है। बाकी 10 सीटों पर सुहैलदेव भारतीय समाज पार्टी और जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी लड़ रहे हैं।

ये है ओवैसी और कुशवाहा की रणनीति

बिहार में 47 सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं, यहां उनकी आबादी 25 से 69 फीसद के बीच है। इसी तरह अन्य विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं। दूसरे चरण के चुनाव में 13 सीटें तो अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों के लिए आरक्षित है। ओवैसी और कुशवाहा की रणनीति मुस्लिमों के साथ अनुसूचित जाति एवं कुशवाहा वोटरों को एकजुट कर दोनों गठबंधनों को चुनौती देने की है। दोनों इस रणनीति के तहत काम भी कर रहे है।

यहां भी पढ़ें:BSP Vs SP in UP: बसपा मुखिया मायावती SP के दलित विरोधी कार्यों से खफा, अब दो-दो हाथ करने को तैयार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.