बिहार चुनाव 2020ः जन अधिकार पार्टी का नहीं खुला खाता, लोकसभा के बाद विधानसभा भी हारे पप्पू यादव
जाप सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के हाथ बिहार विधानसभा चुनाव में निराशा ही लगी है। महासमर में 154 सीटों पर किस्मत आजमाने उतरे पप्पू यादव समेत उनकी पार्टी को भारी पराजय का सामना करना पड़ा है।
पटना, जेएनएन। विधानसभा चुनाव में ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं करने के बाद भी जन अधिकार पार्टी (जाप) सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के हाथ निराशा ही लगी है। महासमर में 154 सीटों पर किस्मत आजमाने उतरे पप्पू यादव समेत उनकी पार्टी को भारी पराजय का सामना करना पड़ा है।
लोकसभा के बाद फिर हाथ लगी हार
बिहार विधानसभा के चुनाव पप्पू यादव के लिए काफी अहम थे। पिछले वर्ष संसदीय सीट हारने के बाद से पप्पू यादव ने अपना सारा ध्यान अपनी पार्टी जाप और इसके उम्मीदवारों पर लगा रहे थे। कोरोना के दौरान उन्होंने दिन-रात एक करके मुसीबत में फंसे लोगों की सहायता भी की। चुनाव के पहले उन्होंने कई दलों को साथ लेकर बिहार में प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक एलायंस भी बनाया। बकायदा एफेडेविट कराकर अपना घोषणा पत्र भी जारी किया। परन्तु उनकी हर कोशिश को जनता ने पूरी तरह से नकार दिया।
सिर्फ तीन स्थानों पर मिले ठीक-ठाक वोट
आज आए विधानसभा नतीजों में 154 स्थानों में से महज तीन पर पप्पू यादव की पार्टी को जनता ने ठीक-ठाक वोट दिए। जमुई में जाप प्रत्याशी शमशाद आलम को करीब 14 हजार, वाल्मीकि नगर में उनके प्रत्याशी सुमंत कुमार को 17 हजार और मधेपुरा में पप्पू यादव को साढ़े 17 हजार के आसपास वोट मिले। दो भाइयों की 15 बनाम 15 वर्ष की सरकार को कठघरे में खड़ा कर पप्पू यादव ने जनता से तीन साल की मांग की थी, परन्तु जनता ने अपना फैसला सुना दिया है। जिसमें पप्पू यादव और उनकी पार्टी की किस्मत में हार के सिवा कुछ नहीं आया। गौरतलब हो कि बिहार चुनाव से पहले जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (पीडीए) बनाने की घोषणा की थी। इस गठबंधन में चंद्रशेखर आजाद की अध्यक्षता वाली आजाद समाज पार्टी शामिल थी तो एमके फैजी के अगुवाई वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी यानी एसटीपीआई और बीपीएल मातंग की बहुजन मुक्ति पार्टी शामिल हुई थी। तीनों ने मिलकर चुनाव लड़ा था।