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बिहार चुनाव 2020ः भाजपा के बड़े रणनीतिकार बनकर उभरे भूपेंद्र यादव, लगा दी जीत की हैट्रिक

बिहार चुनाव 2020ः भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और बिहार व गुजरात प्रभारी अपने हर मिशन में कामयाब साबित हुए। सीधे तौर पर कहें तो भूपेंद्र का विजय रथ हैट्रिक लगाने में सफल रहा। वे बड़े रणनीतिकार बनकर उभरे।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 06:15 PM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 09:45 PM (IST)
बिहार चुनाव 2020ः भाजपा के बड़े रणनीतिकार बनकर उभरे भूपेंद्र यादव, लगा दी जीत की हैट्रिक
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव। जागरण आर्काइव।

रमण शुक्ला, पटना। बिहार में भाजपा को बड़ा भाई बनाने का तमगा मंगलवार को भूपेंद्र यादव ने हासिल कर लिया। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और बतौर बिहार व गुजरात प्रभारी पांच वर्षों में भूपेंद्र यादव अपने हर मिशन में कामयाब साबित हुए। सीधे तौर पर कहें तो भूपेंद्र का विजय रथ हैट्रिक लगाने में सफल रहा। प्रभारी के तौर पर पहली सफलता उन्हें 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में मिली थी। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में भाजपा ने सौ फीसद परिणाम हासिल किया। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बनाकर भूपेंद्र ने इतिहास रच दिया। 

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लगातार छठी बड़ी जीत के अहम रणनीतिकार

अहम यह कि इससे पहले गुजरात में भाजपा की लगातार छठी बड़ी जीत के सबसे अहम रणनीतिकार भूपेंद्र ही रहे थे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में भी भाजपा की वापसी में भूपेंद्र की बड़ी भूमिका रही थी। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता भूपेंद्र यादव का नाम भाजपा में कुशल संगठनकर्ता के साथ चुनावी रणनीति के शीर्ष शिल्पकारों में शुमार है। बिहार में लगातार पांच वर्षों की जमावट में भूपेंद्र ने सभी समीकरणों को ध्वस्त कर दिया।

डॉ. संजय जायसवाल को अध्यक्ष बना खेला तुरुप का पत्ता

दरअसल, 2016 में भाजपा के यादव चेहरा के रूप में नित्यानंद राय को अध्यक्ष बनाकर भूपेंद्र ने बड़ा संदेश दिया था। यहीं से मिशन बिहार में भूपेंद्र जुट गए थे। इसी रणनीति की बदौलत लोकसभा चुनाव में एनडीए का डंका बजाने में सफल हुए थे। अगली कड़ी में उन्होंने वैश्य समाज से आने वाले डॉ. संजय जायसवाल को बिहार भाजपा की कमान सौंप कर तुरुप का पत्ता चल दिया। यह रणनीति भी भूपेंद्र के लिए सोने पर सुहागा जैसा साबित हुआ। इसके साथ ही भूपेंद्र बिहार भाजपा में दूसरी श्रेणी के नेताओं को उभारने में सफल साबित हुए। आखिर में टिकट बंटवारे के दौरान भाजपा के तमाम कमजोर विधायकों और टिकट के दावेदारों को चिह्नित कर जिताऊ प्रत्याशियों पर दांव लगाकर दूरदर्शिता का परिचय दिया।


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