बिहार : नक्सली हमले की आशंका को ले रोका गया जीतनराम मांझी का काफिला
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के काफिले को गया के डुमरिया में जिला पुलिस ने सुरक्षा कारणों से रोक दिया। वे हाल ही में मारे गए लोजपा नेता व भाईा के श्राद्ध में जा रहे थे।
बिहार वेब डेस्क। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के काफिले को पुलिस ने नक्सली हमले के भय से रोक दिया। वे गया के डुमरिया में बीते दिनों नक्सली हमले में मारे गए लोजपा नेता सुदेश पासवान व उनके भाई के श्राद्धकर्म में शामिल होने जा रहे थे। बकौल मांझी, एसएसपी गरिमा मलिक के अनुरोध के मद्देनजर वे डुमरिया नही गए और वापस पटना लौट रहे हैं।
मांझी ने बताया कि रविवार को डुमरिया थाना क्षेत्र में मारे गए सुदेश पासवान व सुनील पासवान का 'दशमा' श्राद्ध हो रहा है। आगे सात जून को ब्रह्मभोज है। उन्होंने बताया कि वे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सात जून को नेपाल में रहेंगे, इसलिए आज ही परिजनों से मिलने जा रहे थे।
मांझी ने कहा, इस संबंध में उन्होंने शनिवार की रात एसएसपी गरिमा मलिक से बात की। एसएसपी ने पंचायत चुनाव की मतगणना को लेकर पुलिस बल की अनुपलब्धता व इलाके की संवेदनशीलता को देखते हुए डुमरिया न जाने का अनुरोध किया। एसएसपी ने यह भी कहा कि मतगणना समाप्ति के बाद वे स्वयं साथ में डुमरिया जाएंगी।
मांझी ने बताया कि उन्हें जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है। इलाके के सीआरपीएफ के अधिकारी हलधर से बात हुई तो उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ सक्षम है, आप आएं। कहीं कुछ नही होगा। मांझी ने कहा कि उन्होंने पुलिस-प्रशासन के अनुरोध पर डुमरिया नही जाने का निर्णय लिया।
मांझी पर हुआ था हमला
दरअसल, जीतनराम मांझी कुछ दिनोंं पहले नक्सली हमले में मारे गए लोजपा नेता सुदेश पासवान और उनके भाई के परिजनों से मिलने जा रहे थे। रास्ते में हत्याकांड से आक्रोशित भीड़ ने मांझी के काफिले पर हमला कर दिया था। उनके कारकेड पर जमकर पथराव किया गया तथा एक गाड़ी को आग के हवाले कर दिया था।
लोजपा नेता व उनके भाई की हत्या की जिम्मेवारी नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी ने ली थी। इस संबंध में संगठन ने गया के इमामगंज में विवादित पोस्टर भी चिपकाया था। पोस्टर के माध्यम से नक्सलियों ने सांसद चिराग पासवान, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और पूर्व एमएलसी अनुज सिंह से पूछा कि वे उस दिन कहां थे जब कामरेड सुशील, नरेश भूईयां, संजय यादव सहित अन्य की हत्या हुई थी।