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बिहार बजट : महागठबंधन सरकार से बढ़ी आकांक्षाएं, चुनौतियां भी कम नहीं

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार शुक्रवार को अपना बजट पेश करेगी। विधानसभा में मुख्यमंत्री के सामने नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से पिछले बजट सत्र में बैठने वाले अब्दुल बारी सिद्दीकी इस बार नीतीश सरकार के वित्त मंत्री के रूप में यह बजट पेश करेंगे।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2016 10:53 AM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2016 06:03 PM (IST)

पटना [एसए शाद]। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार शुक्रवार को अपना बजट पेश करेगी। विधानसभा में मुख्यमंत्री के सामने नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से पिछले बजट सत्र में बैठने वाले अब्दुल बारी सिद्दीकी इस बार नीतीश सरकार के वित्त मंत्री के रूप में यह बजट पेश करेंगे।

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महागठबंधन को मिले प्रचंड बहुमत के कारण सरकार को अहसास है कि समाज का हर तबका आकांक्षाओं से भरा है। नीतीश कुमार के सात निश्चय ने भी जनता की उम्मीदों को नई परवाज दे रखी है, लेकिन केंद्रीय कटौतियां और शराबबंदी के कारण आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां भी कम नहीं हैं।

ऐसे में सभी की निगाहें बजट पर टिकी हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्रीय कटौती और शराबबंदी के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान की भरपाई की इस बजट में कोशिश होगी। साथ ही नीतीश कुमार के सात निश्चय को अमली जामा पहनाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया जाएगा।

नीतियों से नुकसान

वित्तीय संकट का सबसे बड़ा कारण 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें हैं। आयोग ने जो अनुशंसाएं की हैं, उनके तहत 2016-17 में केंद्र सरकार से सूबे को करीब 10,000 करोड़ की कम राशि प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री ने पहली अप्रैल से शराबबंदी भी चरणबद्ध तरीके से प्रदेश में लागू करने की घोषणा कर रखी है।

पहली अप्रैल से राज्य में नई मद्य निषेध नीति लागू कर दी जाएगी। शराब की बिक्री से राज्य सरकार को हर वर्ष करीब 4,000 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन शराबबंदी की सूरत में राज्य सरकार को अब हर साल करीब 4,000 करोड़ का घाटा सहना पड़ेगा।

यही नहीं, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए राज्यों को दी जाने वाली राशि में भी केंद्र सरकार ने कटौती कर दी है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अनुपातिक फार्मूले को 75:25 से बदलकर 60:40 कर दिया गया है। कुछ योजनाओं के लिए तो 50:50 का अनुपात निर्धारित किया गया है। इसके कारण बिहार को अतिरिक्त 400 करोड़ का सालाना नुकसान सहना पड़ेगा।

राजस्व का मोर्चा

अतिरिक्त राजस्व सृजन के लिए राज्य सरकार ने हाल में कुछ उपाय किए हैं, लेकिन केंद्रीय कटौतियों का मुकाबला करने के लिए ये पर्याप्त नहीं हैं। राज्य सरकार ने कुछ ब्रांडेड आइटम एवं महंगे कपड़े पर अतिरिक्त टैक्स लगाए हैं। डीजल-पेट्रोल पर सरचार्ज में वृद्धि की है। इसके अलावा कुछ ट्रेड में प्रोफेशनल टैक्स लगाया है।

अनुमान है कि इससे अतिरिक्त 400 करोड़ सालाना का राजस्व प्राप्त होगा, मगर यह अतिरिक्त राशि तो केवल केंद्र प्रायोजित योजनाओं की अनुपातिक राशि कम करने से होने वाले घाटे की ही भरपाई कर पाएगी। आंकड़ों की नजर से देखा जाए तो कुल 14,400 करोड़ के घाटे के विरुद्ध राज्य सरकार अब तक मात्र 400 करोड़ की राशि जुटा पाने के उपाय कर पाई है।

जो परिस्थिति है वह इस बात की ओर इशारा है कि बजट में कुछ नए टैक्स अवश्य सामने आएंगे जिनके सहारे अतिरिक्त राजस्व संग्रह का प्रयास होगा।

फिजूलखर्ची पर नकेल

फिजूलखर्ची पर रोक की मुहिम चलाने पर भी वित्त विभाग ने विमर्श किया है। जन प्रतिनिधियों द्वारा अनावश्यक रूप से अपने सरकारी आवासों में निर्माण कराने पर रोक लग सकती है। 'री-माडलिंगÓ एवं साज-सज्जा को कुछ दिनों के लिए बंद कर देने पर विचार हुआ है।

हिसाब-किताब...

- 14वें वित्त आयोग की सिफारिश से 10,000 करोड़ के करीब घाटा होगा।

- केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अनुपातिक फार्मूले में बदलाव से 400 करोड़ का सालाना नुकसान होगा।

- शराबबंदी के प्रभावी होने से 4,000 करोड़ के करीब नुकसान उठाना पड़ेगा।

- आंकड़ों की नजर से देखा जाए तो कुल 14,400 करोड़ के घाटे के विरुद्ध राज्य सरकार अब तक मात्र 400 करोड़ की राशि जुटा पाने के उपाय कर पाई है।


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