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बिहार बोर्ड ने 5 दिन का काम 24 घंटे में निपटा बनाया रिकॉर्ड, तकनीक का इस्तेमाल कर ऐसे पाया मुकाम

12वीं का रिजल्ट घोषणा के बाद बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर की जागरण से विशेष बातचीत की। उन्होंने कहा कि बोर्ड द्वारा मूल्यांकन व रिजल्ट तैयार करने की प्रक्रिया में व्यापक तकनीकी बदलाव के कारण परिणाम पहले जारी किए गए।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 27 Mar 2021 12:06 PM (IST)Updated: Sat, 27 Mar 2021 12:06 PM (IST)
बिहार बोर्ड ने 5 दिन का काम 24 घंटे में निपटा बनाया रिकॉर्ड, तकनीक का इस्तेमाल कर ऐसे पाया मुकाम
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर। जागरण आर्काइव।

जयशंकर बिहारी, पटना। बिहार बोर्ड ने लगातार तीसरे साल भी देश में सबसे पहले इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट जारी करने का रिकॉर्ड कायम रखा है। इसका प्रमुख कारण बोर्ड द्वारा मूल्यांकन व रिजल्ट तैयार करने की प्रक्रिया में व्यापक तकनीकी बदलाव को माना जाता है। तकनीक के सहयोग से पांच दिनों की प्रक्रिया को 24 घंटे में निपटारा किया जा रहा है। सामन्य तौर पर परीक्षा के तीन से चार माह के बाद ही रिजल्ट प्रकाशित किया जाता रहा है। 12वीं का रिजल्ट घोषणा के बाद बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर की जागरण से विशेष बातचीत के प्रमुख अंश।

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-रिकॉर्ड समय में रिजल्ट जारी करने का राज क्या है? 

2018 के बाद से बिहार बोर्ड पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में है। बोर्ड अपनी ही गलतियों से सीखकर सॉफ्टवेयर तैयार किया है। पांच-छह दिनों के काम को तकनीक का उपयोग कर एक दिन में पूरा करने का तरीका इजाद किया गया है। नई तकनीक से बोर्ड के कर्मचारी, शिक्षक और परीक्षार्थी अवगत हो चुके हैं। जिस कारण यह सहजता से संपन्न कराया जा रहा है।  

-जल्द रिजल्ट के कारण ही वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की संख्या बढ़ाई गई है क्या? 

ऐसा नहीं है। जेईई-नीट सहित अधिसंख्य प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न वस्तुनिष्ठ ही रहते हैं। छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पैटर्न को डेवलप किया गया है। इंटरमीडिएट के साथ-साथ छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कर लेते हैं। 

-अगले साल क्या परिवर्तन करने जा रहे हैं? 

परीक्षा के बाद बड़ी संख्या में बोर्ड को परीक्षार्थी, अभिभावक, शिक्षक व परीक्षा प्रक्रिया से जुड़े लोगों का फीडबैक प्राप्त होता है। उसके आधार पर छात्रहित में बदलाव किए जाते हैं। 

-दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने के आरोप में इस साल भी दर्जनों गिरफ्तार किए गए हैं। यह सिलसिला कब रुकेगा? 

परीक्षार्थी कदाचार को सदा के लिए ना बोल दें। बिहार बोर्ड की परीक्षाओं में कदाचार की संभावना शून्य कर दी गई है। जो गलती करेंगे, उनपर कार्रवाई होगी। कदाचार में पकड़े जाने पर परीक्षार्थी का एक साल बर्बाद हो जाता है। जबकि किसी विषय में फेल होने पर कंपार्टमेंट का विकल्प बना रहता है। 

-बिहार बोर्ड के परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में ज्यादा सफल हों, इसके लिए क्या कदम उठा रहे हैं। 

प्रश्न पत्र के पैटर्न को प्रतियोगी परीक्षाओं के अनुकूल किया गया है। जिसका लाभ परीक्षार्थियों को मिल रहा है। इसके साथ ही बोर्ड छात्रों की काउंसिलिंग की व्यवस्था कर रहा है। इंटरमीडिएट की परीक्षा के बाद परीक्षार्थियों के पास क्या-क्या विकल्प हैं, इस पर जल्द ही उनकी काउंसिलिंग कराई जाएगी। 

-परीक्षार्थियों को क्या मैसेज देना चाहेंगे। 

जिन परीक्षार्थियों का रिजल्ट उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा है। वह चिंता के बजाए चिंतन करें। कमजोर पक्ष को चिह्नित कर उसका निदान निकालें। कम अंक मिलने हैं तो स्क्रूटनी के लिए जरूर आवेदन करें। किसी कारण अनुत्तीर्ण हुए हैं तो कंपार्टमेंटल में शामिल हों। यदि किसी विषय में कम अंक मिले हैं, और भविष्य में इससे नुकसान हो सकता है तो इंप्रवमेंट के लिए रजिस्ट्रेशन करें।


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