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बिहार के जवान ने सबसे देर तक शंख बजाकर बनाया विश्व रिकॉर्ड, क्या आप कर सकते हैं एक सांस में ये काम

बेगूसराय के रहने वाले शंभू कुमार ने लगातार 1 मिनट 20 सेकेंड तक शंख बजाकर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराया है। गिनीज बुक में अभी तक किसी और के नाम यह रिकॉर्ड नहीं है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 01:35 PM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 01:35 PM (IST)
बिहार के जवान ने सबसे देर तक शंख बजाकर बनाया विश्व रिकॉर्ड, क्या आप कर सकते हैं एक सांस में ये काम
गिनीज बुक में नाम दर्ज होने के बाद प्रमाण पत्रों के साथ शंभू कुमार।

जागरण टीम, बेगूसराय। बेगूसराय के बछवाड़ा के रहने वाले शंभू कुमार ने लगातार 1 मिनट 20 सेकेंड तक शंख बजाकर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराया है। गिनीज बुक में अभी तक किसी और के नाम यह रिकॉर्ड नहीं है। शंभू कुमार वर्तमान में भारतीय सेना में में कार्यरत हैं। शंभू कुमार को रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता भारत भूषण बाबू एडीजी, ने गिनीज बुक का सार्टिफिकेट देकर सम्मानित किया है। 

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कई बार कायम किया विश्व रिकॉर्ड 

शंभू कुमार ने बताया कि उनका बचपन वाराणसी के मठ में स्वामी शीतल दास ट्रस्ट में बीता। वहां उन्होंने अध्ययन और पुजारी का काम किया। भगवान की आरती के समय वह शंख बजाया करते थे। मठाधीश ने उनके शंख बजाने की जिज्ञासा देखकर उन्हें लगातार शंख बजाने की प्रेरणा दी। शंभू कुमार ने उस प्रेरणा को आशीर्वाद के रूप में लिया और शंख बजाने का कई बार विश्व रिकॉर्ड कायम किया। उन्होंने बताया कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाक बंद कर के 1 मिनट 20 सेकंड शंख बजाकर रिकॉर्ड कायम किया है। बताया कि पूर्व में लगातार शंख बजाने का रिकॉर्ड भारत वर्ल्ड रिकार्ड में 53 सेकेंड, इंडिया स्टार बुक में 53 सेकेंड जबकि लिम्का बुक रिकॉर्ड में 33 सेकेंड का है।

योग और अभ्यास कर दिया अपने मन का काम

शंभू ने बताया कि उनकी विश्व रिकॉर्ड बनाने की लालसा बहुत दिनों से थी। जब गिनीज बुक वालों ने 70 सेकंड तक शंख बजाने का लक्ष्य दिया तो उन्हें थोड़ा कठिन लगा था। उन्होंने लगातार योग करके पांच मिनट तक सांस रोकने की कोशिश का अभ्यास कराया। फिर उन्होंने गिनीज की टीम के सामने शंख बजाने का रिकॉर्ड कायम कर दिया। शंभू ने बताया कि शंख बजाने से गर्दन की मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम होता है। शंख को बजाने से गला, फेफड़ा एवं उदर के विकार दूर होते हैं। तानसेन ने भी अपने आरंभिक दौड़ में शंख बजाकर ही गायन की शक्ति प्रदान की थी। अर्थव वेद के चतुर्थ अध्याय में शंखमणि सप्तमी शंख वादन के महत्व का वर्णन है। 


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