Bihar, Aurangabad Election 2020: औरंगाबाद में कहीं भी सीधी टक्कर नहीं, सभी सीट पर तीन-तीन और चार-चार में मुकाबला
Bihar Aurangabad Election 2020 औरंगाबाद जिला छोटा है मगर रुतबा बड़ा। इसलिए यहां लड़ाई भी कभी छोटी नहीं हुई। पढि़ए जिले के पांचाें विधान सभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों के पराक्रम और मतदाताओं की सियासी बेचैनी का आकलन करती रोचक रिपोर्ट ।
औरंगाबाद से अरविंद शर्मा । Bihar, Aurangabad Election 2020: सासाराम और गया के पड़ोस में औरंगाबाद है। जिला छोटा है मगर रुतबा बड़ा। इसलिए यहां लड़ाई भी कभी छोटी नहीं हुई। बिहार में प्रत्याशियों का पराक्रम और मतदाताओं की सियासी बेचैनी का अगर आकलन करना है तो चुनाव के वक्त एक बार औरंगाबाद जरूर आकर देखना चाहिए। टिकट बंटने से पहले ही यहां चुनावी बयार अपनी रफ्तार में आ जाती है। इस बार भी मैदान और माहौल इस तरह बन चुका है कि सीधी भिड़ंत का समीकरण इक्का-दुक्का सीटों पर ही बन पाया है। सभी सीटों पर तीन-तीन, चार-चार प्रत्याशियों में मुकाबला दिख रहा है। कोई किसी से कम नहीं।
एंट्री करते ही नारेबाजी, भाग-दौड़ और जाम
औरंगाबाद जिले में विधानसभा के पांच क्षेत्र हैं। गोह, ओबरा, औरंगाबाद, रफीगंज और कुटुंबा। कहीं भी सीधी टक्कर नहीं है। गया से कोंच होते हुए जैसे ही मैंने गोह विधानसभा क्षेत्र की सीमा में प्रवेश किया, पूछने की जरूरत नहीं पड़ी कि औरंगाबाद जिला यही है क्या? प्रत्याशियों और समर्थकों के काफिले के चलते गोह चौराहे पर सुबह नौ बजे ही जाम। नारेबाजी और भाग-दौड़। भाजपा के मनोज शर्मा के साथ रालोसपा के रणविजय सिंह की आरपार की लड़ाई। बीच से रास्ता निकालने की कोशिश में राजद के भीम सिंह।
मतदाता किसी समीकरण में बंधे नहीं रहना चाहते
गोह बाजार के स्वर्ण व्यवसायी राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि एक खास वर्ग का वोट बंटा तो परिणाम कुछ भी हो सकता है। राजमिस्त्री रामाशीष को मलाल है कि जीतने के बाद विधायक ने कभी हाल जानने की कोशिश नहीं की। गोह के मुस्लिम मतदाता किसी समीकरण में बंधे नहीं रहना चाह रहे। झिकटिया पंचायत के जैतिया गांव के मो. असरार और सरवर आलम काम के आधार पर आकलन कर रहे। कहते हैं 2015 में जिसे वोट दिया, उसने पांच साल तक दर्शन नहीं दिया। अबकी वोट उसी को मिलेगा जो हमारे सुख-दुख में शामिल रहता है। खैरा गांव के युगेश्वर और महेश्वर यादव खूंटा ठोककर खड़े हैं। कहा-कुछ भी हो, हम टसक नहीं सकते।
ओबरा में तीन में बराबर की टक्क्र
गोह से आगे बढऩे पर ओबरा क्षेत्र की शुरुआत होती है। मुख्य सड़क पर ही मखरा है। दोपहर में ही चौपाल लगा था। चर्चा चुनाव की ही थी। यादव-भूमिहार और मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में राजद ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि यादव को प्रत्याशी बनाया है। जदयू की ओर से सुनील यादव हैं। दोनों एक ही वर्ग से आते हैं। इसलिए लोजपा ने वैश्य समुदाय के चंद्र प्रकाश को सिंबल पकड़ा दिया। तीनों में बराबर की टक्कर है। मखरा से आगे एक मंदिर के पास सरोज ठाकुर ने गाड़ी रुकवाई। पूछा किस अखबार से हैं। सरोज पटना में एम्स में नौकरी करते हैं। वोट डालने के लिए घर आए हैं। दिल की बात दो-टूक रख दी। जात-पात से परहेज सिर्फ मंचों पर शोभा देता है। बूथों पर नहीं। वोट उसी को मिलेगा, जो प्रत्याशी स्वजातीय होगा। हालांकि उन्होंने अभी तक स्वजातीय प्रत्याशी की पहचान नहीं की है। मखरा से करीब 10 किमी पर तरारी गांव है। लोजपा प्रत्याशी इसी गांव के रहने वाले हैं। इसलिए विरोध का सवाल नहीं है।
रफीगंज में राजद जदयू प्रत्याशी को निर्दलीय की टक्कर
रफीगंज में जदयू के अशोक कुमार सिंह से मुकाबले के लिए इस बार राजद ने नेहालुद्दीन को उतारा है। वह पहले भी विधायक रह चुके हैं। दोनों को चुनौती दे रहे हैं निर्दलीय प्रमोद सिंह। चुनाव लडऩे के लिए प्रमोद के पास सारे संसाधन हैं। पिछली बार लोजपा के टिकट पर लड़े थे तो 53 हजार वोट आया था। इस बार निर्दलीय हैं। रफीगंज से थोड़ा पहले खैरी गांव है। यादव और पासवान बहुल गांव है। सोनू कुमार और भूषण कुमार पुल पर बैठकर गप्प हांक रहे हैं। दोनों को पहली बार वोट देना है। नए जमाने की सोच है। सोनू ने कहा कि हम जात-पात नहीं जानते और न ही किसी के वोट बैंक हैं। जिसका अच्छा काम होगा, उसे ही समर्थन देंगे। रफीगंज के रमेश कुमार, कमलेश प्रसाद और मनोज कुमार ने क्षेत्र का समीकरण और वोटों का हिसाब समझाया।
औरंगाबाद और नवीनगर में भी दिलचस्प मुकाबला
औरंगाबाद में कांग्रेस के आनंद शंकर ने पिछली बार रामाधार सिंह को हराकर भाजपा से जमीन छीन ली थी। इस बार फिर रामाधार भाजपा के टिकट पर अपनी खोई जमीन प्राप्त करने की कोशिश में हैं। बसपा के अनिल यादव तीसरा कोण बना रहे। अनिल जिला पार्षद हैं और मुखिया भी रह चुके हैं। माहौल के सवाल पर जम्होर के रामचंद्र चंद्रवंशी कहते हैं यह लहर है बाबू। औरंगाबाद से उठी है। आगे बेतिया और मुजफ्फरपुर तक जाएगी। रामाधार को महागठबंधन के वोटरों के बिखरने का इंतजार है। बसपा ने अगर काटा तो भाजपा का रास्ता आसान हो सकता है। नहीं बंटा तो नतीजे का अंदाजा अभी मुश्किल है। राजपूत बहुल नवीनगर में जदयू के वीरेंद्र सिंह के सामने राजद ने डब्ल्यू सिंह को उतारा है। डब्ल्यू सिंह पहले भी एक बार जीत चुके हैं। दोनों के बीच तीसरा मोर्चा लोजपा के विजय यादव ने खोल रखा है।
समर्पण से बदल सकता है वोटों का समीकरण :
गोह में जन अधिकार पार्टी (जाप) के प्रत्याशी श्याम सुंदर ने बीच समर में मोर्चा छोड़ दिया। इससे समीकरण पर फर्क पड़ सकता है। पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में आए श्याम ने पांच साल खूब संघर्ष किया। जाप ने टिकट दिया। नामांकन कर भी लिया। किंतु चुनाव के पहले राजद को समर्थन दे दिया। बिहार में इस बार यह पहली घटना है जब किसी प्रत्याशी ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान ही अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। तेजस्वी यादव की मौजूदगी में मंच से ही श्याम सुंदर ने राजद प्रत्याशी को समर्थन देकर वोटरों की गोलबंदी का मंच तैयार कर दिया। हालांकि गोलबंदी दोनों तरफ हो सकती है।