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Bihar Assembly Elections 2020: वोट देने में बाहर के दलों पर भरोसा नहीं करती बिहार की जनता, जानें कारण

बिहार की जनता वोट का वोट देने के नाम पर अलग ही रुख है। यहां के लोग मतदान के नाम पर दूसरे राज्यों के राजनीतिक दलों पर भरोसा नहीं करते। जानें क्या है कारण-

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 06:08 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 06:08 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020: वोट देने में बाहर के दलों पर भरोसा नहीं करती बिहार की जनता, जानें कारण
Bihar Assembly Elections 2020: वोट देने में बाहर के दलों पर भरोसा नहीं करती बिहार की जनता, जानें कारण

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। बिहार की जनता वोट देने के मामले में दूसरे राज्यों के राजनीतिक दलों पर भरोसा नहीं करती। यह क्षेत्रीय दल अपने प्रत्याशी तो उतारते हैं, मगर जनता का दिल नहीं जीत पाते। दूसरे प्रदेशों में सुपरहिट रहीं और सरकार बना चुकीं कई ऐसी राजनीतिक पार्टियां हैैं, जो बिहार के चुनाव में किस्मत आजमा कर सुपरफ्लॉप साबित हो चुकी हैं।

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2015 में नहीं मिली कामयाबी

पिछले यानी 2015 के विधानसभा चुनाव में बाहर के राज्यों में सक्रिय दलों ने बिहार में अपने कई प्रत्याशी उतारे, लेकिन उनमें से कोई भी कामयाब नहीं हो पाया। उन्हें हासिल मतों का प्रतिशत भी काफी निराशाजनक रहा। इस बार के चुनाव में भी बाहर के राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारने का एलान किया हुआ है। 

बसपा ने उतारे 228 प्रत्याशी, सब हारे

उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों में शुमार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पिछली बार 228 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था। उनमें से 225 की जमानत जब्त हो गई थी। पार्टी को कुल 7,88,047 वोट ही मिले थे, जो 2015 में हुए कुल मतदान का मात्र 2.07 फीसद था।

सपा के 135 प्रत्याशियों में से 134 की जमानत जब्त

समाजवादी पार्टी भी उत्तर प्रदेश के बड़े राजनीतिक दलों में से एक है। विधानसभा के पिछले चुनाव में इस पार्टी की दुर्गति खूब चर्चा में रही। इसने 135 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था, जिनमें से 134 की जमानत जब्त हो गई थी। सपा के सभी प्रत्याशियों को मिले मतों का कुल जोड़ 3,85,511 रहा। यह कुल मतदान का महज 1.01 प्रतिशत रहा।

झामुमो को एक प्रतिशत वोट भी नहीं

झारखंड के बड़े राजनीतिक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने पिछली बार 32 प्रत्याशियों को टिकट दिया था। वे सभी झारखंड से सटे क्षेत्रों में किस्मत आजमा रहे थे। बावजूद इसके झामुमो के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। पार्टी को एक फीसद भी वोट नहीं मिला। कुल मतदान का मात्र 0.27 प्रतिशत मत ही उसे मिल सका। 

इन दलों की भी हुई दुर्गति

जिन क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को पिछली बार एक प्रतिशत से कम वोट मिले, उनमें ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम भी शामिल है। ओवैसी ने नौ प्रत्याशियों को मैदान में उतारा और उनकी पार्टी को महज 0.21 फीसद वोट मिले। शिवसेना ने 73 प्रत्याशी उतारे और उसे 0.55 फीसद वोट मिले। ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नौ प्रत्याशियों को 0.02 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर नेशनल पैैंथर्स पार्टी के 10 उम्मीदवारों को कुल मिलाकर 0.02 प्रतिशत, आरएसपी के तीन उम्मीदवारों को 0.01 प्रतिशत व इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नौ प्रत्याशियों को 0.02 प्रतिशत वोट मिले।


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