Bihar Assembly Election: महागठबंधन का सीएम चेहरा बनते दिख रहे तेजस्वी, नाम पर नरम पड़े घटक दल
Bihar Assembly Election महागठबंधन में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर सहमति बनती दिख रही है। जीतनराम मांझी को छोड़ सभी घटक दलों के नेतओं के स्टैंड इसके संकेत दे रहे।
पटना, स्टेट ब्यूरो। Bihar Assembly Election: महागठबंधन (Mahagathbandhan) में नेतृत्व का विवाद जल्द सलट जाएगा। उम्मीद है कि बैठक की औपचारिकता के जरिए तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को मुख्यमंत्री चेहरा (CM Face) बनाकर उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर सहमति बन जाएगी। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) कह रहे हैं कि बैठक में जिसके नाम पर सहमति होगी, वे स्वीकार कर लेंगे। तेजस्वी के नाम पर जीतनराम मांझी अभी सहमत नहीं, लेकिन उन्हें कोई नोटिस नहीं ले रहा है। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) अब तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता बता रहे हैं तो कांग्रेस (Congress) का भी कहना है कि नेता राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का ही नेता होना चाहिए।
सबकी सहमति हुई तो तेजस्वी को नेता मान लेंगे कुशवाहा
महागठबंधन में नेतृत्व के मुद्दे पर उपेंद्र कुशवाहा अबतक चुप थे। वे कहते हैं कि महागठबंधन की बैठक में वे अपनी राय रखेंगे। अगर उनकी राय खारिज हो गई तो उस हालत में भी सहयोगी दलों (Alliance Parties) के फैसले को स्वीकार कर लेंगे।
तेजस्वी के समर्थन में वीआइपी, कांग्रेस भी आरजेडी के साथ
एक अन्य घटक वीआइपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी कुछ दिनों तक मांझी के संपर्क में रहने के बाद अब आरजेडी के साथ आ गए हैं। उन्होंने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता बताना शुरू कर दिया है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, वह पंचायत करने के मूड में थी, लेकिन उसके रूख में भी बदलाव आया है। कांग्रेस के एक हिस्से का तर्क था कि बेशक आरजेडी बड़ा दल है और उसका नेता होना भी चाहिए, लेकिन नेतृत्व की जवाबदेही किसी बुजुर्ग और परिपक्व चेहरे को दिया जाए। तेजस्वी नौजवान हैं। उनका भविष्य है। उन्हें पांच साल इंतजार करना चाहिए। पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा कहते हैं- सबसे बड़े दल के नाते आरजेडी महागठबंधन का स्वाभाविक नेता है, लेकिन यह आपस में मिल बैठकर तय हो। कोरोना संकट खत्म हो तो नेतृत्व का मसला भी हल हो जाएगा।
बिदके जीतनराम मांझी की नोटिस नहीं ले रहे घटक दल
मालूम हो कि महागठबंधन के दलों में नेतृत्व के सवाल पर लंबे समय से तकरार जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) इसी सवाल पर बिदके हुए हैं। उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के सामने भी अपनी बात रखी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने अल्टीमेटम के तौर पर कई तारीखें तय कीं। महागठबंधन के किसी दल ने नोटिस नहीं लिया। लिहाजा, अब वे खुद किनारे हो गए हैं। इधर से कोई उन्हें मनाने नहीं जा रहा है। आरजेडी तो आधिकारिक तौर पर अब मांझी का नाम भी नहीं ले रहा है। मांझी और उनकी पार्टी की वह हैसियत नहीं है कि घटक दल उन्हें खुश रखने के लिए आरजेडी से संबंध खराब कर लें।
एनडीए के स्टैंड से मिल रही तेजस्वी को मदद
तेजस्वी पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हमला जितना तेज हो रहा है, महागठबंधन के दलों के बीच नेता के तौर पर उनकी स्वीकार्यता बढ़ रही है। एनडीए के घटक दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जपता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रायः सभी नेता विपक्ष के नाम पर तेजस्वी यादव पर ही हमला कर रहे हैं। 15 साल बनाम 15 साल का नारा जो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के राजकाज को बताने के लिए गढ़ा गया है, वह अंततः तेजस्वी यादव पर ही केंद्रित है। एनडीए यही चाह रहा है कि आरजेडी के साथ उसकी सीधी लड़ाई हो। उसकी रणनीति लड़ाई को आमने-सामने रखने की है। ऐसे में महागठबंधन के घटक दलों में यह समझ विकसित हो रही है कि चुनाव मैदान में तीसरे कोण (Third Front) की गुंजाइश नहीं है। यह समझ उन्हें तेजस्वी के नेतृत्व में गोलबंद होने के लिए प्रेरित करता है।