Bihar Assembly Election: बिहार में 9% 65 से 79 उम्र के मतदाता, वोटों के आंकड़े प्रभावित कर सकते वृद्ध
Bihar Assembly Election कोरोना काल में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में 65 से 79 साल उम्र के मतदाता नौ फीसद हैं। अगर उन्होंने वोट नहीं दिया तो मतदान के आंकड़े प्रभावित हो जाएंगे।
पटना, रमण शुक्ला। Bihar Assembly Election 2020: बिहार में विधानसभा चुनाव में 65 वर्ष के मतदाताओं (Voters) को पोस्टल बैलेट (Postal Ballot) की सुविधा नहीं दिए जाने से मतदान (Voting) के आंकड़े प्रभावित हो सकते हैं। चुनाव आयोग (Election Commission) के निर्णय के बाद कोरोना (CoronaVirus) के खौफ से वृद्ध मतदाताओं द्वारा मतदान केंद्र (Polling Booth) जाने से किनारा किए जाने की संभावना प्रबल हो गई है। बता दें कि बिहार में 65 से 79 वर्ष के बीच वाले मतदाताओं की संख्या 62 लाख से ज्यादा है। कुल 7.18 करोड़ मतदाताओं के लिहाज से देखें तो यह आंकड़ा करीब नौ फीसद है।
इन्हें दी जाएगी पोस्टल बैलेट की सुविधा
कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर वृद्धों के लिए जारी सरकार के दिशा-निर्देश भी इस उम्र वर्ग के मतदाताओं के लिए बड़ी वजह है। आयोग ने चुनाव में कर्मचारियों, साजो-सामान संबंधी बाधाओं और कोविड-19 सुरक्षा नियमों के मद्देनजर यह निर्णय लिया है। हालांकि, आयोग ने एक बयान में कहा कि 80 वर्ष से अधिक आयु वाले मतदाताओं, दिव्यांग मतदाताओं और आवश्यक सेवाओं में कार्यरत मतदाताओं के साथ ही कोविड-19 (COVID-19) संक्रमित मतदाताओं को चुनाव में वैकल्पिक डाक मत की सुविधा प्रदान की जाएगी।
नियमों में संशोधन पर विपक्ष ने की थी आपत्ति
उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर में कानून मंत्रालय (Law Ministry) ने नियमों में संशोधन कर लोकसभा (Lok Sabha Election) और विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के दौरान 80 वर्ष और इससे अधिक उम्र वाले मतदाताओं और दिव्यांग मतदाताओं को डाक मत की सुविधा का विकल्प चुनने की अनुमति दी थी। निर्वाचन आयोग के अनुरोध पर इस साल जून में मंत्रालय ने नियमों में एक ताजा बदलाव किया था, जिसमें 65 वर्ष या इससे अधिक आयु वाले मतदाताओं को डाक मत की सुविधा का विकल्प चुनने की अनुमति दी गई थी। लेकिन हाल ही में कांग्रेस (Congress), माकपा (CPM) और राजद (RJD) समेत कुछ विपक्षी दलों ने 65 वर्ष और इससे अधिक आयु वाले मतदाताओं को डाक मत की सुविधा प्रदान किए जाने पर सवाल खड़ा किया था और दावा किया था कि ऐसा करने से पहले सर्वदलीय सलाह-मशविरा नहीं किया गया। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया था कि इससे ऐसे वोटों में हेराफेरी हो सकती है और मतदान प्रक्रिया को बाधित किया जा सकता है।