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बिहार में विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजद-कांग्रेस में रस्साकशी, जदयू के लिए सम्मान की लड़ाई

बिहार में तारापुर एवं कुशेश्वरस्थान पर उपचुनाव होना है। आम चुनाव में दोनों पर जदयू ने कब्जा जमाया था। राजद ने दोनों सीटों पर दावा कर दिया है जबकि आम चुनाव में कुशेश्वरस्थान सीट गठबंधन में कांग्रेस के हिस्से में गई थी। अब दो दल आमने-सामने हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 08:14 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 08:14 PM (IST)
बिहार में विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजद-कांग्रेस में रस्साकशी, जदयू के लिए सम्मान की लड़ाई
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार सीएम नीतीश कुमार। जागरण आर्काइव।

अरविंद शर्मा, पटना : दो विधायकों के असमय निधन से विधानसभा की दो सीटें तारापुर एवं कुशेश्वरस्थान पर उपचुनाव होना है। ऐलान का इंतजार है पर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। दिग्गजों का आना-जाना होने लगा है। आम चुनाव में दोनों पर जदयू ने कब्जा जमाया था। इस बार भी सम्मान बचाने की लड़ाई होगी। जदयू किसी कीमत पर प्राप्त करने का प्रयास करेगा। इसलिए कि सिटिंग सीटें हार जाने का संदेश पक्ष में नहीं जाएगा। फजीहत बढ़ेगी। विपक्ष में दावेदारी को लेकर रस्साकशी है। राजद ने दोनों सीटों पर दावा कर दिया है, जबकि आम चुनाव में कुशेश्वरस्थान सीट गठबंधन में कांग्रेस के हिस्से में गई थी। अशोक कुमार की कम अंतर से हार हुई थी। इस लिहाज से कांग्रेस का दावा मजबूत है, लेकिन राजद की खुलकर दावेदारी के बाद कांग्रेस असमंजस में है।

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तारापुर से मेवालाल चौधरी और कुशेश्वरस्थान से शशिभूषण हजारी विजयी रहे थे। दोनों सीटों पर जदयू की सीधी टक्कर राजद और कांग्रेस से हुई थी। तेजस्वी पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में कुशेश्वरस्थान गए थे। नीतीश कुमार भी टीम के साथ तारापुर का दौरा कर आए हैं। तेजस्वी ने मंच से ही दोनों सीटों पर राजद का दावा करके कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है। हालांकि कांग्रेस ने भी दावा नहीं छोड़ा है। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा का कहना है कि पिछली बार मात्र सात हजार वोटों से हमारी हार हुई थी। हम दावा छोड़ने वाले नहीं हैं। 

घट-बढ़ सकता है वोटों का फासला 

विधानसभा के आम चुनाव में राजग और महागठबंधन के वोटों में करीब साढ़े 12 हजार का फर्क था। विपक्ष का प्रयास फासले को पाटने का होगा। सत्तारूढ़ दल की मंशा बढ़त बनाने की होगी। हार-जीत का असर विधायकों की संख्या पर भी पड़ेगा। विपक्ष की जीत होती है तो सदन में दोनों पक्षों का फासला और कम होगा। जदयू जीतता है तो सरकार के सुकून में इजाफा होगा। अभी सत्ता पक्ष के पास 126 विधायक हैैं, जबकि विपक्ष के पास 115 हैैं। ऐसे में दोनों पक्षों में कांटे की लड़ाई होनी तय है। 

अतीत का हिसाब 

तारापुर में पिछले चुनाव में जदयू के मेवालाल चौधरी को 64468 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी दिव्या प्रकाश को 57243 वोट मिले थे। लोजपा की मीना देवी को भी 11 हजार वोट मिल गए थे। 2015 के चुनाव भी मेवालाल ने ही जीता था। उन्होंने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रत्याशी शकुनी चौधरी को 12 हजार से अधिक वोटों से हराया था। कुशेश्वरस्थान में जदयू के शशिभूषण हजारी को 53980 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अशोक राम को 46758 वोट मिले थे। यहां भी लोजपा की पूनम कुमारी ने 13362 वोट काटकर हार-जीत के हिसाब को प्रभावित कर दिया था। 2015 में भी जदयू के शशिभूषण हजारी ही जीते थे। उन्होंने लोजपा के मृणाल पासवान को करीब 20 हजार वोटों से हराया था। 


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