Ara : 12 दिनों से बंद धान की खरीददारी, कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर किसान
धान का कटोरा कहे जाने वाले भोजपुर में 12 दिनों से सरकारी खरीद बंद है। बिचौलियों और महाजनों को समर्थन मूल्य से बेहद ही कम दाम पर अपनी फसल बेचने को किसान मजबूर हैं। अरवा और उसना चावल के फेर में पैक्स किसानों का धान खरीदने से बच रहे हैं।
आरा, जागरण संवाददाता : धान का कटोरा कहे जाने वाले भोजपुर में 12 दिनों से सरकारी खरीद बंद चल रही है। अरवा और उसना चावल के फेर में पैक्स किसानों का धान खरीदने से बच रहे हैं, जिससे किसान बिचौलियों और महाजनों को सरकार के समर्थन मूल्य से बेहद ही कम दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं।
जिले में धान की फसल की कटाई लगभग समाप्त हो चुकी है लेकिन पैक्सों द्वारा किसानों की फसल के बहिष्कार के कारण किसान संकट में फंस गए हैं। मजबूरी में वे अपनी फसल बिचौलियों को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं। सरकार की ओर से समर्थन मूल्य 2040 होने के बाद भी किसान स्थानीय व्यापारियों को महज सोलह सौ से सत्रह सौ रूपए में अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर हैं।
जिले में जगदीशपुर, शाहपुर, संहार, संदेश, उदवंत नगर में धान कटनी 60 प्रतिशत से अधिक हो गई है। वहीं पैक्सों द्वारा मात्र 669 मीट्रिक टन ही धान की खरीद की गई है। 22 नवंबर के बाद से धान की खरीद बंद चल रही है। जिले के 209 पैक्सों ने धान की खरीद बंद कर रखा है।
बता दें कि अरवा चावल उपलब्ध कराने की बाध्यता को लेकर पैक्सों ने धान अधिप्राप्ति का बहिष्कार किया है। जिला सहकारिता पदाधिकारी विजय कुमार सिंह ने बताया कि, सरकार ने अरवा चावल को बिहार राज्य खाद्य निगम में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि जिले में नौ उसना मिल है, इसलिए पैक्सों को धान खरीद करनी चाहिए। वहीं, संदेश प्रखंड के चिलहौस पैक्स के अध्यक्ष तेजप्रताप सिंह का कहना है कि जितनी मात्रा में धान की खरीद होनी है, उसके अनुसार जिले में उसना मिल नहीं है, ऐसे में सरकार को केवल उसना चावल की मिलिंग की बाध्यता को खत्म कर उसना और अरवा चावल का अनुपात तय करना चाहिए।