Move to Jagran APP

बिहार का प्रसिद्ध प्राचीन शिवालय, यहां एक पीठिका पर 11 शिवलिंग हैं स्थापित

बिहार के मधुबनी जिले के मंगरौनी प्रखंड में एक पीठिका पर ग्यारह शिवलिंंग स्थापित हैं, ये एकमात्र एेसा मंदिर है जहां एक साथ ग्यारह शिवलिंगों की एक साथ पूजा की जाती है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 17 Jul 2017 03:52 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jul 2017 11:14 PM (IST)
बिहार का प्रसिद्ध प्राचीन शिवालय, यहां एक पीठिका पर 11 शिवलिंग हैं स्थापित
बिहार का प्रसिद्ध प्राचीन शिवालय, यहां एक पीठिका पर 11 शिवलिंग हैं स्थापित

मधुबनी [विनय पंकज]। बिहार का एक एेसा अनोखा शिवालय है जहां एक साथ ग्यारह शिवलिंग की पूजा की जाती है। यहां ग्यारह शिवलिंग एक साथ विराजमान है। जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर राजनगर प्रखंड क्षेत्र का मंगरौनी गांव प्राचीन काल से तंत्र विद्या के साधकों लिए प्रसिद्ध रहा है।  

loksabha election banner

इस गांव में प्राचीन शक्तिपीठ बूढ़ी माई मंदिर, भुवनेश्वरी देवी मंदिर अवस्थित हैं। माता भुवनेश्वरी मंदिर के बगल में ही अपने आप में अद्भुत एकादशरूद्र शिव विराजमान हैं।

क्या है मंदिर की खासियत

लगभग आठ फुट लंबे व पांच फुट चौड़ाई में बनी एक ही पीठिका (जलढरी) पर शिव के 11 रूपों के रूप में11 शिवलिंग स्थापित हैं। पड़ोसी देश नेपाल सहित राज्य व राज्य के बाहर से शिवभक्त एक ही पीठिका पर विराजमान इन 11 अद्भुत शिवलिंगों के दर्शन, पूजन को पुहंचते हैं। सावन माह में तो यहां की छटा ही निराली हो उठती है। इनके दर्शन मात्र से मन को पूर्ण शांति मिल जाती है।

मंदिर का इतिहास

यह शिवालय श्रद्धालुओं की असीम श्रद्धा का केंद्र है। इसकी स्थापना 1954 ई. में बाबूसाहेब जगदीश नंदन चौधरी ने की थी। यहां कांची कामकोटि के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती व पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती भी आकर पूजा कर चुके हैं। इन शंकराचार्यों ने भी यहां की महिमा का भरपूर बखान किया था। 

परिसर की विशेषता

मंदिर गुंबदनुमा है। परिसर में नेपाल के एक शिवभक्त द्वारा लकड़ी का बनाया दो मंजिला भवन है। हालांकि अब यह जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। कहा जाता है कि पूर्व में इसमें तंत्र विद्या, ज्योतिष के शिक्षार्थी रहते थे। मंदिर से पूरब चातुश्चरण यज्ञ किया तालाब है।

तालाब के पश्चिमी घाट के पीछे श्राद्ध स्थली है।  ऐसी मान्यता है कि बहुत से गरीब लोग अपने पितरों का गया में श्राद्ध करने की इच्छा रहने के बाद भी नहीं जा पाते थे। उनके लिए यहां तंत्र विद्या से अभिसंचित श्राद्ध स्थली बनाई गई। यहां पिंडदान करने पर गया जाने जैसा फल मिलता है। शिवमंदिर के सामने पंडित मुनेश्वर झा जो तंत्र साधक थे द्वारा  स्थापित भगवती भुवनेश्वरी एक मंदिर में विराजमान हैं।

सावन में जुटते कांवरिए 

सावन में यहां हजारों की संख्या में शिव भक्त पहुंचते हैं। यहां बाबूबरही के पिपराघाट स्थित कमला, बलान व सोनी के संगम से जल लेकर कांवरिए आते हैं। कांवरियों की सुविधा के लिए सावन की प्रत्येक सोमवारी

को चार बजे दिन तक जलाभिषेक की व्यवस्था रहती है। चार से साढ़े छह बजे तक षोडषोपचार पूजा की जाती है। बाबा भोलेनाथ का श्रृंगार नयनाभिराम होता है।

ऐसे पहुंचें मंगरौनी

मधुबनी जिला मुख्यालय से लगभग पांच किमी की दूरी पर यह शिवालय है। आप मधुबनी रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से रिक्शा, ऑटो या निजी वाहन से मंदिर परिसर तक पहुंच सकते हैं। 

कहा-पुजारी आत्माराम ने 

‘यहां आने वाले  भक्तों की हरेक मनोकामना बाबा एकादशरूद्र पूरी करते हैं। इन शिवलिंगों के स्पर्श मात्र से मन को अद्भुत शांति मिलती है। महाशविरात्रि में मिथिला पंरपरा के अनुसार शिव-पार्वती विवाह का आयोजन

होता है। यहां की परंपरा के अनुसार चार दिन तक विशेष विवाह श्रृंगार कादर्शन शिवभक्त करते हैं।

चौथे दिन यह श्रृंगार हटा कर शिवलिंग की विशेषपूजा की जाती है। प्रत्येक सोमवार को होने वाले यहां के भंडारा में जो भोजन करता है वह पेट रोग से मुक्त हो जाता है। यहां एक साथ शिव के विभिन्न रूपों का दर्शन शिवभक्तों को अलौकिक आनंद देता है।'

बाबा आत्मा राम , पुजारी                        


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.