बिहार से बड़ी खबर- राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह को भारत रत्न देने सिफारिश करेगी नीतीश सरकार
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह को भारत रत्न देने की मांग उठी है। विधान परिषद में गुरुवार को संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने यह महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा कि श्री बाबू को भारत रत्न देने के लिए नीतीश कुमार की सरकार केंद्र सरकार को सिफारिश भेजेगी।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार विधान परिषद से बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री और बिहार केसरी श्रीकृष्ण सिंह (Bihar Keshri Sri Krishna Singh) को भारत रत्न (Bharat Ratna) देने की मांग उठी है। श्री बाबू को भारत रत्न देने के लिए नीतीश कुमार की सरकार (Nitish Government) केंद्र सरकार (Central Government) से सिफारिश करेगी। विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने सरकार के जवाब में सदन में यह बड़ी घोषणा की । विधान परिषद में ध्यानाकर्षण के दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सच्चिदानंद राय के सवाल के जवाब में मंत्री ने यह जानकारी दी।
कर्पूरी और राममनोहर लोहिया को भी भारत रत्न
संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने सच्चिदानंद राय के साथ अन्य सदस्यों से सभी अपने-अपने स्तर पर पहल करने की मांग की। उन्होंने ने सदन को बताया कि सरकार पहले कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) और राममनोहर लोहिया (ram manohar Lohia) को भी भारतरत्न देने की अनुशंसा कर चुकी है। पूरक सवाल के जरिए सच्चिदानंद राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से भी पीएम नरेंद्र मोदी से सीधे फोन पर बात करने का अनुरोध किया।
संजय झा ने ट्वीट कर प्रशंसा जाहिर की
उधर, सरकार के निर्णय पर सूचना एवं जन संपर्क और जल संसाधन मंत्री संजय झा ने ट्वीट कर प्रसन्नता व्यक्त किया। सदन बाहर पत्रकारों से बातचीत में भाजपा के विधान पार्षद सच्चिदानंद राय ने कहा की हम अपनी प्रसन्नता को और सरकार की पहल को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा की केवल मैं ही नहीं श्रीबाबू को भारत रत्न मिलने पर पूरा बिहार इससे सम्मानित महसूस करेगा। श्रीबाबू नए बिहार के बुनियाद हैं। हमलोग भी कई बार ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाते हैं, लेकिन सरकार की कुछ मजबूरियां होती है। मैं मुख्यमंत्री के प्रति भी आभार व्यक्त करता हूं।
कौन थे श्री बाबू...
बकौल सच्चिदानंद, बिहार केसरी श्रीकृष्ण सिंह की पुण्यतिथि के 60 साल पूरे हो गए हैं। स्वच्छ राजनीति की चाह रखने वाले लोगों के लिए आज भी श्रीबाबू प्रकाश स्तंभ के रूप में है। उन्होंने कहा कि अगर भ्रष्टाचार, वंशवाद, जातिवाद और राजनीतिक बीमारियों से बचना है तो श्रीबाबू के आदर्शों पर चलना ही एकमात्र दवा है। वह मुख्यमंत्री भले बिहार के रहे, लेकिन उनका कद किसी राष्ट्रीय नेता से विराट था। देश में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि 1937 में प्रधानमंत्री प्रीमियर व्यक्ति अपने जीवन पर्यंत 1961 तक मुख्यमंत्री रहे। आजीवन श्रीबाबू अपने चुनाव क्षेत्र में वोट मांगने नहीं गए। दलितों के प्रति उनके प्रेम का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण देवघर के मंदिर में खुद जाकर दलितों के साथ पूजा करना है। सर्वप्रथम देश में जमींदारी उन्मूलन का काम श्रीबाबू ने की किया।
सच्चिदानंद राय ने कहा की विकास के प्रति प्रतिबद्धता का नजीर रांची में एचईसी, सिंदरी में खाद कारखाना, बोकारो इस्पात संयंत्र, पतरातु थर्मल पावर, बरौनी रिफायनरी फर्टिलाइजर और थर्मल पावर, डालमियानगर उद्योग समूह, अशोक पेपर मिल सहित दर्जनों चीनी मिल और कारखाने हैं।