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पटना नगर निगम की बड़ी लापरवाही: 25 साल बाद टूटी नींद तो स्कूल प्रबंधन से मांगा 18 लाख बकाया

पटना नगर निगम ने अचानक 25 साल बाद दो सरकारी स्‍कूलों को 18-18 लाख और एक को छह लाख बकाया टैक्‍स जमा करने का नोटिस थमाया है। प्राचार्य ने कहा अब इतनी बड़ी रकम कहां से दें ।

By Bihar News NetworkEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 10:27 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 10:27 PM (IST)
पटना नगर निगम की बड़ी लापरवाही: 25 साल बाद टूटी नींद तो स्कूल प्रबंधन से मांगा 18 लाख बकाया
पटना नगर निगम की बड़ी लापरवाही: 25 साल बाद टूटी नींद तो स्कूल प्रबंधन से मांगा 18 लाख बकाया

पटना, नीरज कुमार। राजस्व का स्रोत बढ़ाने में जुटे पटना नगर निगम को 25 साल बाद अचानक सरकारी स्कूलों की याद आई। फिर क्या था, नोटिस पकड़ा दी। कुछ स्कूलों पर तो कई-कई लाख बकाया है। इनमें दो पर 18 तो तीसरे पर छह लाख रुपये। स्कूल प्रबंधन माथा पकड़े हुए है। उन्‍हें समझ नहीं आ रहा इतना भारी टैक्‍स कैसे चुकाए।

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होल्डिंग टैक्स पर ब्याज और जुर्माना भी

निगम प्रशासन ने कहा है कि बहुत पुराना बकाया है, इसलिए होल्डिंग टैक्स पर ब्याज के साथ जुर्माना भी लगाया गया है। वहीं, स्कूल प्रबंधन अपनी फाइलें खंगाल रहा कि आज तक तो कभी टैक्स मांगा ही नहीं गया था।  नगर निगम ने शास्त्रीनगर हाईस्कूल को पिछले सप्ताह ही 18 लाख रुपये जमा करने का फरमान जारी किया। इस स्कूल की स्थापना 1972 में हुई थी। करीब 17 एकड़ में फैले परिसर में ही बिहार बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय भी है। प्राचार्य श्रीकांत शर्मा ने कहा कि निगम ने कभी टैक्स मांगा ही नहीं। अगर मांग की गई होती तो प्रबंधन उसे समय पर जमा करा देता। अब अचानक इतनी बड़ी रकम देना संभव नहीं है। इस मामले से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।

ऐसा ही मामला कन्या हाईस्कूल के साथ भी है। यहां भी 18 लाख रुपये चुकता करने को कहा गया है। वहीं, केवी सहाय हाईस्कूल पर छह लाख रुपये का बकाया बताया है। यहां के प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार मिश्र ने कहा कि यह राशि कैसे अदा की जाए, इस पर विचार किया जा रहा है।

1995 का सर्वे बना आधार

विद्यालय इतना पुराना है तो होल्डिंग टैक्स की मांग इतने वर्षों बाद क्यों? इस सवाल पर पटना नगर निगम, पाटलिपुत्र अंचल के राजस्व अधिकारी रविकांत कहते हैं कि 1995 के सर्वे को आधार बनाया गया है। इस सर्वे में शहर के कई इलाकों को टैक्स के दायरे में लाया गया था। इसी आधार पर कई शिक्षण संस्थानों को टैक्स जमा करने के लिए नोटिस भेजा गया है। हालांकि, यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है कि इसी सर्वे को आधार माना जाए तो 25 वर्षों तक निगम कहां था?


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